बड़ी खबर: तीनों कृषि कानूनों पर "सुप्रीम" रोक..कमेटी का गठन..इधर किसान अंतिम फैसले तक आंदोलन पर अड़े

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सरकार ने जबरदस्ती हटाया तो मारे जा सकते हैं 10 हजार लोग: राकेश टिकैत

नई दिल्ली (khanargali) किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर अगले आदेश तक रोक लगी दी है. साथ ही समिति का भी गठन किया है. CJI एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि हम समस्या का समाधान चाहते हैं और इसके लिए कमेटी का गठन जरूरी है. हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं.

कमेटी में ये शामिल

सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी शामिल हैं. ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे की 5 बड़ी बात

1. किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी. हम समस्या का समाधान चाहते हैं. हमारे पास अधिकार है, जिसमें एक यह है कि हम कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दे.

2. हमें समिति बनाने का अधिकार है, जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं. हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं. कमेटी हमें रिपोर्ट देगी. कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है. हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए समिति का गठन चाहते हैं.

3. कल किसानों के वकील दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे. अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं, तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे. हम चाहते हैं कि कोई जानकार व्यक्ति (कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है.

4. कोई भी ताकत हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है. यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी. समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए. फिर वो कानूनों से निपटेगा. CJI ने कहा कि हम कानून को सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन सशर्त. हालांकि, अनिश्चितकाल के लिए नहीं.

5.हम प्रधानमंत्री से कुछ नहीं कह सकते हैं. प्रधानमंत्री इस केस में पक्षकार नहीं हैं. उनके लिए हम कुछ नहीं कहेंगे. यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायपालिका में अंतर है और आपको सहयोग करना होगा.

आंदोलन जारी रहेगा: किसान नेता राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कोर्ट के आदेश के बाद कहा, ''हम किसानों की कमेटी में इसकी चर्चा करेंगे। 15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे। जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। जब तक बिल वापस नहीं होगा, तब तक घर वापसी नहीं होगी।'' उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड करके रहेगा।

सरकार ने जबरदस्ती हटाया तो मारे जा सकते हैं लोग

राकेश टिकैत ने आगे कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है। सरकार का आकलन है कि यहां हटाने पर एक हजार आदमी मारा जा सकता है। यह गलत आकलन है। यदि जबरन हटाने की कोशिश की गई तो यहां 10 हजार आदमी मारा जा सकता है। टिकैत ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। आंदोलन लंबा चलेगा। कोर्ट की तरफ से जारी समिति के नाम में सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से कोई भी नाम नहीं हैं।''