एसकेएम ने कहा, आंदोलन खत्म नहीं, स्थगित 15 जनवरी को फिर से होगी बैठक
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी 'घर वापसी' की तैयारी शुरू की
नई दिल्ली (khabargali) केंद्र सरकार के लाए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से ज्यादा दिन तक दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठे किसान संगठनों के लिए गुरुवार को राहत की खबर आई है। मोदी सरकार को किसानों द्वारा भेजी गई ज्यादातर मांगो पर सहमति बन गई है। इसके बाद 378 दिनों तक चलने वाले किसान आंदोलन को किसानों ने स्थगित करने का फैसला लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका औपचारिक एलान कर दिया है। माना जा रहा है कि 11 दिसंबर से किसानों की वापसी भी शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही आंदोलन के चलते बंद पड़े दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को भी खोला जाएगा। जिसके बाद लोगों की आवाजाही आसान हो जाएगी। लोगों को इसके चलते 20 मिनट की दूरी तय करने के लिए 2 घंटे तक का वक्त लग जाता था। सिंघु-कोंडली बॉर्डर से टेंट हटने शुरू दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी 'घर वापसी' की तैयारी शुरू कर दी है। सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान अब लौट रहे हैं। किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है और तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर दिया है।
जानें किसान नेताओं ने क्या कहा
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी इस फैसले के बाद बयान सामने आया। राकेश टिकैत ने अपने बयान में कहा कि, किसानों और सरकार के बीच ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बन गई है। उन्होंने आगे कहा कि, किसान आगामी 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर को खाली करना शुरु कर देंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि बॉर्डर खाली होने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। वहीं किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में कहा है कि, हम 15 दिसंबर को एक मीटिंग करेंगे। अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो हम आगे दोबारा आंदोलन कर सकते हैं।
वहीँ किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा कि हम एक बड़ी जीत लेकर जा रहे हैं, एक अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे है। उन्होंने कहा कि ये आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है, इसे अभी स्थगित किया गया है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार ने कई वादे किए हैं। केस वापसी की बात कही है, मुआवजा देने की बात कही है, लेकिन अभी केस वापस तो नहीं हो गए, मुआवजा तो नहीं मिल गया। चढ़ूनी ने कहा कि सरकार अपने वादे पूरे कर दे, हम अपने वादे पूरे कर देंगे।
किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया कि 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था । हमने 21 नवंबर को अपनी 6 मांगों के साथ एक चिट्ठी लिखी थी। दो हफ्ते तक उस पर कोई जवाब नहीं आया। परसों (7 दिसंबर) सरकार की ओर से एक प्रस्ताव आया था जिसपर हमने कुछ बदलाव बताए थे। उसके बाद कल (8 दिसंबर) फिर एक प्रस्ताव आया और आज केंद्र सरकार के कृषि सचिव संजय अग्रवाल की ओर से चिट्ठी आई है, जिसके बाद हमने आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया है।
किसानों की मांगों पर सरकार ने ये कहा
1. MSP की गारंटी परः एमसएसपी को लेकर सरकार ने कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही MSP पर खरीद जारी रहेगी, ऐसा भी सरकार ने लिखकर दिया है।
2. केस वापसी परः यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतः सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित मामलों को वापस लिया जाएगा दिल्ली समेत सभी यूटी में दर्ज मामलों को भी वापस लिया जाएगा।
3. मुआवजे परः मुआवजे के सवाल पर यूपी और हरियाणा सरकार ने सहमति दे दी है।
4. बिजली बिल परः सरकार ने लिखित में दिया है कि बिजली बिल को बिना किसानों से चर्चा के संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
5. पराली परः पराली जलाने पर पहले 5 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान था, जिसे सरकार पहले ही खत्म कर चुकी है। पराली जलाने पर किसानों पर आपराधिक मुकदमे नहीं चलेंगे।
6. लखीमपुर हिंसा परः यूपी के लखीमपुर में हुई हिंसा के मामले में किसानों की मांग थी कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए, क्योंकि उनके बेटे आशीष मिश्रा मामले में मुख्य आरोपी है। इस मांग पर कुछ नहीं हुआ है। किसान नेता शिव प्रसाद कक्का ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी बनी है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद कुछ होगा।
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