ईडी ने सुकमा का कांग्रेस भवन किया अटैच, लखमा व उनके पुत्र हरीश की प्रॉपर्टी भी आई लपटे में

ED attached the Congress Bhawan of Sukma, the property of Lakhma and his son Harish also came under fire latest news hindi news big news khabargali

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ में 2161 करोड रुपए के शराब घोटाले में जेल भेजे गए पूर्व आबकारी मंत्री व कांग्रेस विधायक कवासी लखमा तथा उसके पुत्र हरीश की 6 करोड़ 15 लाख 75 हजार रुपए की अचल संपत्ति ईडी ने अटैच की है। जिन तीन संपत्तियों को ईडी ने अटैच की है, उनमें सुकमा स्थित कांग्रेस भवन की बिल्डिंग भी शामिल है। यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर हेमंत के निर्देश पर की गई है। इसका आदेश 11 जून को आदेश जारी किया है।

ईडी के रायपुर क्षेत्रीय कार्यालय के जोनल ऑफिस द्वारा जारी किए गए आदेश 180 दिनों के लिए प्रभावी रहेगा। इस दौरान अटैक की गई चल अचल संपत्तियों का किसी भी तरह का उपयोग, हस्तांतरण और विक्रय, गिरवी रखना पर प्रतिबंध रहेगा। कवासी लखमा के जिन संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई की गई है। इसमें धरमपुरा, विधायक कालोनी स्थित चार करोड़ सात लाख 75 हजार रुपए की लागत से निर्मित बंगला, उनके बेटे हरीश का सुकमा, पुसामी पारा स्थित 1 करोड़ 40 लाख रुपए का बंगला और सुकमा में 68 लाख रुपए की लागत से निर्मित कांग्रेस भवन शामिल है। इनकी संपत्ति पीएमएलए 2002 की धारा 5(1) के तहत अटैच की गई है।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा अब तक जितनी भी संपत्ति अटैच की कार्रवाई की उनमें व्यक्तिगत संपत्ति शामिल है। देश में यह पहला मामला है, जब शराब घोटाला मामले में किसी पार्टी के कार्यालय को अटैच किया है। बताया जाता है कि कांग्रेस भवन कार्यालय को अटैच करने की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ेगी।

ईडी द्वारा अटैक की गई संपत्तियों का विस्तृत विवरण देते हुए बताया गया है कि उपरोक्त संपत्तियों की अनुसूची में निर्दिष्ट अचल संपत्तियां (जिसमें इसमें निर्मित संरचनाएं, साथ ही संलग्न बेसमेंट, किराया, यदि कोई हो, तथा ताले, चाबियां, सलाखें, दरवाजे, खिड़कियां और इसके साथ स्थायी उपयोग के लिए उपलब्ध सभी अन्य चीजें शामिल हैं) जिनकी कुल कीमत 6,15,75,000 रुपए है। इसे पीएमएलए, 2002 की धारा 5(1) के अनुसार 180 दिनों की अवधि के लिए अनंतिम रूप से कुर्क किया जाता है।

जब तक कि नीचे हस्ताक्षरकर्ता द्वारा ऐसा करने की विशेष रूप से अनुमति नहीं दी जाती है, तब तक इसे हस्तांतरित, निपटाया, हटाया, अलग नहीं किया जाएगा या अन्यथा निपटाया नहीं जाएगा। अधिनियम की धारा 5(1) के तहत किया गया यह कुर्की आदेश 180 दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद या अधिनियम की धारा 8(3) के तहत किए गए आदेश की तिथि पर जो भी पहले हो, प्रभावी नहीं होगा।

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