
पं. रविवि का 26वां दीक्षांत समारोह में 500 से अधिक छात्रों को गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधि दी गई

रायपुर (khabargali) पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागार में पं. रविवि का 26वां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। जहां 500 से अधिक छात्रों को गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधि दी गई। समारोह में राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन तथा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. वाई. एस. राजन, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. वाई.एस. राजन का छत्तीसगढ़ में स्वागत करते हुए कहा कि प्रॉफेसर राजन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) को अपने नवाचारों द्वारा नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हमारा सौभाग्य है कि भारतरत्न ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के निकटतम सहयोगी रह चुके प्रसिद्ध अन्तरिक्ष वैज्ञानिक पद्म श्री प्रो. राजन आज के दीक्षांत समारोह में हमारे बीच हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है, जिसके जरिये हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज दीक्षांत समारोह में 76 प्रतिशत बेटियां उपस्थित हैं। यह नारी के सशक्त होने का प्रतीक है। महिलाएं अब अबला नहीं सबला बन रही हैं।
पीएचडी मिलने वालों उल्लेखनीय नामों में सीनियर जर्नलिस्ट वैभव शिव पांडेय, हेमचंद्र जांगड़े, देवश्री भोयर हैं। वहीं शिवानी तंबोली नाम की छात्रा को 4 गोल्ड मेडल मिला। राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुंदर दास को डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि प्रदान की।
अपने महान पिता पर पीएचडी करने वाले हेमचंद्र जांगड़े ने ख़बरगली से यह कहा

हेमचंद्र ने कहा कि आज पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के 26 वें दीक्षांत समारोह में मुझे पी एच डी की उपाधि से नवाजा गया। मैने राजनीति विज्ञान विषय के अंतर्गत पी एच डी की बड़ी बात मैने अपने पिता श्री रेशमलाल जांगड़े जी के जीवन व्यक्तित्व और उनके योगदान पर शोध कार्य किया। शीर्षक था " छत्तीसगढ़ के विकास में रेशमलाल जांगड़े का योगदान"।
उन्होंने बताया कि रेशमलाल जांगड़े जी स्वतंत्रता सेनानी भारतीय संविधान सभा के सदस्य अंतरिम संसद के सदस्य,आजाद भारत के पहली लोकसभा के सांसद रहे हैं।अपितु चार बार सांसद , तीन बार विधायक और मध्यप्रदेश की सरकार में 1963 में मंत्री व महान समाज सुधारक रहे है। वे बेहद ईमानदार सरल सहज देशभक्त इंसान थे जीवन भर खादी का धोती कुर्ता पहनते रहे । उनका 60 से भी अधिक राजनीतिक जीवन बेदाग रहा।
आज की राजनीति में ऐसे बिरले व्यक्ति मिलना बेहद मुश्किल है ईमानदारी का तो ये आलम रहा की अपने दो कमरे के जनता क्वार्टर में पूरा जीवन बिता दिया जो दस बाय दस का केवल दो कमरा था।जो आज जर्जर हालत में अपनी दासता बयां कर रहा है जांगड़े जी को 13 में 2012 को संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रथम लोकसभा सांसद के नाते प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है ।
हेमचंद ने बताया कि उनके पिता जीवन भर गरीब दलित शोषित वर्गों के लिए संघर्षरत रहे । उन्होंने ही 1954 में संसद में छुआछूत कानून पास कराया और sc st act कानून भी पास कराया । छुआछूत के वे घोर विरोधी रहे और आजीवन इसके खिलाफ सघर्ष किया। वे इतने सरल थे की पैदल ही जन संपर्क करते थेऔर रिक्शे में आना जाना करते थे । दलित वर्गों में उनका बहुत बड़ा नाम रहा है । दलित समाज में आज भी उनकी स्वीकार्यता को नकारा नहीं जा सकता।
लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने जांगड़े जी के योगदान को पूरी तरह से भुला दिया है दलित समाज का होने की बड़ी कीमत जांगड़े जी को चुकानी पड़ रही है तभी इतनी बड़ी हस्ती के नाम से आज प्रदेश में एक पत्थर भी उनके नाम से नही रखी गई है।
हेमचंद ने आगे कहा कि मैने अपने पूज्य पिता पर पी एच डी की इसका मुझे बेहद गर्व है और चाहता हूं कि आनेवाली पीढ़ी जांगड़े जी के जीवन से प्रेरणा ले , की किस प्रकार ईमानदारी से सादगी से साधारण आवासों में भी रहकर जनता की सेवा की जा सकती है।

गाँव से निकलकर यहां तक का सफर चुनौतियों से भरा रहा वैभव का
पीएचडी की उपाधि मिलने के बाद वैभव शिव पांडेय ने कहा, साहित्य एवं भाषा अध्ययन शाला से हिंदी विषय में पीएचडी किया है। 2021 में अवार्ड हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण दीक्षांत समारोह नहीं हो पाया था। हिंदी में श्री लाल शुक्ला जी के उपन्यासों के समाज भाषा में वैज्ञानिक अध्ययन किया है। गांव से निकलकर यहां तक सफर करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इसके लिए गुरुजनों को माता-पिता परिवारजनों को अपनी धर्मपत्नी को अपने दोस्तों को श्रेय देता हूं, जिनकी बदौलत इस मुकाम तक पहुंच पाया।
शिवानी तंबोली को मिला 4 गोल्ड मेडल
शिवानी को एमएससी कंप्यूटर साइंस में 4 गोल्ड मेडल मिला है। शिवानी ने लालपुर के स्वामी आत्मानंद स्कूल के कंप्यूटर टीचर पद पर पदस्थ हैं।उन्होंने खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से कथक नृत्य में m.a. भी किया है। जिनमें उन्हें गोल्ड मेडल मिला।

आंखों से देख नहीं सकती, मिली पीएचडी की उपाधि
पीएचडी की उपाधि पाने वालों में एक ऐसी छात्रा देवश्री भोयर भी है। जो आंख से देख नहीं सकती। देवश्री भोयर ने बताया कि, पढ़ाई के दौरान कठिनाई जरूर आई, लेकिन उसे उन्होंने दरकिनार कर दिया।< गुढ़ियारी के जनता कॉलोनी में रहने वाली देवश्री भोयर जन्म से ही नेत्रहीन हैं। भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान पर पीएचडी करने वाली बेटी देवश्री जितनी मेहनती हैं। उनके पिता भी उतनी ही मेहनत करते हैं। देवश्री के लिए अकेले थीसिस लिखना मुश्किल था। इसलिए देवश्री के पिता गोपीचंद भोयर ने तय किया कि, इस काम में वे बेटी की मदद करेंगे। और फिर गाइड से अनुमति लेकर थीसिस लिखने का काम पूरा किया। देवश्री ने बताया, दिनभर मजदूरी के बाद पिता गोपीचंद उनके साथ रातभर जागकर थीसिस लिखते थे। कई बार लगातार 12 घंटे लिखने का काम चलता रहता। देवश्री बोलतीं जाती और उनके पिता उसे कागज पर लिखा करते थे। देवश्री के पिता ने महज 10वीं तक की पढ़ाई की है लेकिन पीएचडी की थीसिस को उन्होंने पूरा किया है।
राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष को डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि
पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के 26 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुंदर दास को संस्कृत विषय में डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि प्रदान की।

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