
जिसके कभी धुर विरोधी थे, वही ‘हाथ’ थाम कर दूसरी बार बनेंगे मुख्यमंत्री
बेंगलुरु (khabargali) कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? आखिरकार बुधवार देर रात इस सस्पेंस पर विराम लग गया। कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धारमैया की मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। डीके शिवकुमार उनके डिप्टी होंगे. वहीं, सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच 50:50 पावर शेयरिंग फॉर्मूले पर भी बात हुई है.शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए खरगे ने विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया है। बेंगलुरु में पार्टी कार्यालय में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) ने नेता के रूप में सिद्धारमैया के नाम को मंजूरी दी। आरवी देशपांडे, एचके पाटिल, एमबी पाटिल और लक्ष्मी हेब्बलकर ने सिद्धारमैया के नाम का प्रस्ताव रखा । सिद्धारमैया-शिवकुमार ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात की। राज्यपाल ने मनोनीत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सरकार बनाने का न्यौता दिया। उनको टीम के सदस्यों के साथ शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। शपथ समारोह 20 मई को दोपहर 12.30 बजे बेंगलुरु के कांटेरावा स्टेडियम में होगा।
इनको भेजा गया न्यौता
कर्नाटक में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रदेश कांग्रेस ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को न्यौता भेजा है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पूर्व मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, नेकां प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक को भी न्यौता दिया गया है।
सिद्धरमैया के बारे में जानिए...
मैसुरू जिले के गांव सिद्धारमनहुंडी में 12 अगस्त, 1948 को जन्मे सिद्धरमैया ने मैसुरू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली और बाद में यहीं से कानून की डिग्री हासिल की। सिद्धरमैया का विवाह पार्वती से हुआ है। उनके पुत्र डॉ. यतींद्र पिछली विधानसभा में वरुणा से विधायक थे। इस बार सिद्धरमैया ने इस सीट से चुनाव जीता है। उनके बड़े बेटे राकेश की 2016 में मृत्यु हो गई, जिन्हें कभी उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था। गरीब किसान परिवार से आने वाले सिद्धरमैया 1980 के दशक की शुरुआत से 2005 तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा की पार्टी जद(एस) से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद उन्होंने वह ‘हाथ' थाम लिया जिसका वह विरोध करते रहे थे।
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