सपा व राजद की मान्यता रद्द करे चुनाव आयोग : विहिप

Ramcharitmanas, Tulsidas, Chaupai, Swami Prasad Maurya, Objectionable remarks, VHP, SP, RJD, Sunil Singh Sajan, Samajwadi Party,khabargali

रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामला

नई दिल्ली (khabargali) रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने निर्वाचन आयोग से सपा और राजद की मान्यता रद्द करने की मांग की है। विहिप का कहना है कि दोनों पार्टियों ने रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई न कर उन बुनियादी शर्तों का उल्लंघन किया है, जिनके तहत उन्हें राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकृत किया गया।

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल का पंजीकरण रद्द करने का आग्रह करने के लिए सीईसी राजीव कुमार से मिलने का समय मांगा है। आलोक कुमार ने आरोप लगाया, सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस का अपमान करना, उसके पन्नों को जलाना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर किया गया कृत्य है। इसके बावजूद सपा ने महासचिव पद पर पदोन्नत कर यह साबित किया कि उनके बयान को उनकी पार्टी का समर्थन प्राप्त है। कुमार ने आरोप लगाया, इसी तरह, राजद नेता चंद्रशेखर ने भी रामचरितमानस और अन्य पवित्र पुस्तकों की जानबूझकर आलोचना की, जिससे हिंदू समाज में आक्रोश पैदा हो, अविश्वास पैदा हो और विभाजन हो। राजद ने भी चंद्रशेखर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब इस सपा प्रवक्ता ने की चौपाई हटाने की मांग

रामचरितमानस को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन अब का बड़ा बयान सामने आया है। सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने रामचरितमानस की चौपाई को रामचरितमानस से हटाने की मांग कर डाली है। पूर्व एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा है, “जहां तक सवाल रामचरितमानस का है, समाजवादी पार्टी और समाजवादी कभी इसके विरोध में नहीं रहे हैं। मगर रामचरितमानस में 1-2 चौपाई ऐसी है, जिससे हिंदू समाज का बड़ा तबका आहत होता है।“

स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया था विवादित बयान

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस पर विवाद बयान देते हुए कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। इसमें, ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं।