शराब बिक्री के सरकारी आदेश पर रोक लगाकर महिला कलेक्टर आईं सुर्खियों में

खंडवा कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल, शराबबंदी, ख़बरगली

मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले की युवा महिला कलेक्टर ने साहस दिखाते हुए ज़िले में शराब बेचने से इनकार कर दिया

भोपाल (khabargali) कोरोना महामारी को लेकर देश भर में लागू 'लाॅकडाउन-3' के बीच शराब बिक्री के राज्य सरकारों के फ़ैसले पर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। कोरोना संक्रमण जिस तरह से तेजी से पैर पसार रहा है और देश में कोरोना मीटर के अंक हर पल बढ़ रहे है। दुकानों में शराब खरीदने वालों की लंबी लाइन देखी जा रही है। अधिकांश जगहों में फिजीकल डिस्टेंसिंग का ख्याल भी नही रखा जा रहा है। ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है। लेकिन अधिकारी वर्ग चुप्पियों के बीच सरकारी आदेश का पालन करने में लगा है। प्रतिकूल हालातों में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले की युवा महिला कलेक्टर ने साहस दिखाते हुए ज़िले में शराब बेचने से इनकार कर दिया है। 2019 में उक्त उच्च अधिकारी अपनी बिटिया को आंगनबाड़ी में प्री नर्सरी में एडमिशन करवा कर खबरों में आई थीं।

आपको बता दे कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने 6 मई से शराब बिक्री की शुरुआत की है। राज्य सरकारों की आय और राजस्व जुटाने का बड़ा ज़रिया शराब भी है। इसी के मद्देनज़र मध्य प्रदेश सरकार ने भी ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में शराब की दुकानें और ठेके खोलने की मंजूरी देने वाले आदेश जारी किए हैं। भोपाल, इंदौर और उज्जैन ज़िलों को छोड़कर कोरोना रेड ज़ोन वाले अन्य ज़िलों में भी कोरोना मुक्त एवं आंशिक प्रभावित क्षेत्रों और ‘कोरोना फ्री’ ग्रामीण इलाक़ों में भी शराब बेचे जाने का आदेश हुआ है। खंडवा कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल ने मध्य प्रदेश सरकार के इस निर्णय को ज़िले में लागू करने में न केवल असमर्थता जता दी है, बल्कि आदेश जारी कर दिया है कि ‘लाॅकडाउन-3’ ख़त्म होने की तिथि 17 मई तक ज़िले में कहीं भी शराब की दुकानें और ठेके नहीं खोले जायेंगे। कोरोना से जंग में कोई जोख़िम मोल लेने के पक्ष में खंडवा कलेक्टर नहीं हैं और इसी वजह से डिजास्टर मैनेजमेंट में लगी अपनी टीम से गहन विचार-विमर्श के बाद उन्होंने सरकार के निर्णय को अपने ज़िले में पलटा है।

बता दें कि खंडवा ज़िला कोरोना के रेड ज़ोन में है। खंडवा कलेक्टर ने 17 मई तक ज़िले में शराब की बिक्री शुरू ना करने संबंधी अपने फ़ैसले की प्रति - वाणिज्यिक कर मंत्रालय, आबकारी आयुक्त, इंदौर के वाणिज्य कर उपायुक्त और अन्य संबंधित अफ़सरों को भी भेजी हुई है। खंडवा कलेक्टर के इस कड़े फैसले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्रीमंडल से की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। राज्य के आला अफ़सरों और आबकारी विभाग ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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