आरक्षण पर राजभवन के सभी 10 सवालों के जवाब भेजे सरकार ने...यहाँ पढ़ें वे सवाल-जवाब

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रायपुर (khabargali) राज्य में 76 फीसदी आरक्षण दिए जाने संबंधी विधेयक को विधेयक को मंजूरी देने के पहले राजभवन सरकार से दस सवालों के जवाब पर अड़ा हुआ था। राज्य सरकार ने राज्यपाल अनुसुईया उइके को इन सारे सवालों का जवाब विस्तार से भेज दिया है।

राजभवन के 10 सवालों पर शासन द्वारा दिये गये जवाब:

सवाल-1- क्या संशोधन विधेयक पारित करने से पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संबंध में मात्रात्मक डाटा कलेक्ट किया गया था?

उत्तर- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सीधी भर्ती के पदों के लिये मात्रात्मक डाटा दिये जाने की बाध्यता नहीं है और ना ही कोर्ट का ऐसा कोई आदेश है। अन्य पिछड़े वर्ग और ईडब्लूएस के लिये क्वांटिफायबल डाटा आयोग के आंकड़े और रिपोर्ट को आधार बनाया गया है।

सवाल-2- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों में ही हो सकता है, इसलिये उक्त विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों को उपलब्ध करायें?

उत्तर- उक्त विधेयक में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण इसलिये किया गया है, क्योंकि राज्य में इन जातियों की स्थिति शैक्षणिक और सामाजिक स्तर पर बहुत कमजोर है, साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। क्वांटिफायबल डाटा की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अंत्योदय राशन कार्डों की संख्या 14 लाख से अधिक है, जिसमें 5 लाख 88 हजार से अधिक सिर्फ ओबीसी वर्ग के अंत्योदय कार्ड हैं। इससे पता चलता है कि राज्य में ओबीसी की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है।

सवाल-3 - उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ऐसी क्या विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हुईं कि आरक्षण का प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक हो गया, क्या इन विशेष परिस्थितियों के संबंध में को डाटा कलेक्ट किया है?

उत्तर- शासन ने सितंबर 2019 में क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन किया था, उसी की रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के डाटा को आधार बनाया गया है।

सवाल-4 राज्य के एससी, एसटी वर्ग के लोग किस प्रकार से राज्य में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुये हैं, डाटा प्रस्तुत करें?

उत्तर- आरक्षण देने हेतु एससी, एसटी वर्ग के लोगों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के डाटा की कोई जरूरत नहीं है, जबकि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिये क्वांटिफायबल डाटा आयोग कि रिपोर्ट को आधार बनाया गया है।

सवाल-5 क्या सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का जानने के लिये किसी कमेटी का गठन किया गया था?

उत्तर- सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन किया गया है, उक्त रिपोर्ट 21 नवंबर 2022 को प्रस्तुत की गई है।

सवाल-6- क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल के सचिवालय के समक्ष प्रस्तुत करें?

उत्तर- क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट शासन को 21 नवंबर 2022 को प्रस्तुत की जा चुकी है।

प्रश्न- 7- प्रस्तावित संशोधित अधिनियम में विधि एवं विधाई कार्य विभाग का क्या अभिमत है?

उत्तर- शासन ने विधि और विधाई कार्य विभाग द्वारा मूल विधेयक में परिमार्जन कराकर सभी नियमों का पालन करते हुये विधानसभा सचिवालय को आगामी कार्रवाई हेतु भेजा।

प्रश्न-8- संशोधित विधेयक के शीर्षक में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का कोई उल्लेख नहीं है, क्या शासन को इस वर्ग के लिये अलग से अधिनियम लाना था?

उत्तर- राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद आरक्षण संशोधन विधेयक 2022, छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिये आरक्षण ) अधिनियम,1994 कहलाएगा। अलग से संशोधन विधेयक लाना कानूनी रूप से ठीक नहीं है।

प्रश्न -9- शासन ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत सारणी में कहा था कि सेवाओं में एससी, एसटी वर्ग के लोग कम चयनित हो रहे हैं, उनके पद रिक्त रह जाते हैं। यह सूचित करें कि इस वर्ग के लोग राज्य में क्यों चयनित नहीं हो रहे?

उत्तर- उक्त सारणी में दिये गये आंकड़े 2012 के पहले के हैं। वर्तमान में निर्धारित आरक्षण प्रतिशत के आधार पर एससी, एसटी वर्ग के लोगों का शासकीय सेवा में चयन किया जा रहा था। आरक्षण न होने से इन वर्गों के चयन में कमी आयेगी।

प्रश्न- 10- क्या उक्त संशोधन विधेयक में प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है और क्या इस संबंध में कोई सर्वेक्षण किया गया है?

उत्तर- शासकीय सेवकों की सालाना गोपनीय प्रतिवेदन के आधार पर उनकी दक्षता का आंकलन किया जाता है। राज्य की सेवाओं में एसटी, एससी वर्ग के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और राज्य में पूर्व से संचालित आरक्षण नीति से किसी भी तरह की प्रशासनिक दक्षता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है।

साभार : नवभारत

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