राजस्थान में पटाखे फोड़ने के लिए दो की जगह तीन घंटे की छूट की मांग भी ठुकराई सुप्रीम कोर्ट ने
नई दिल्ली (khabargali) दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर बड़ा निर्देश दिया है। बढ़ते वायु और ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बेरियम वाले पटाखों को प्रतिबंधित करने संबंधी आदेश प्रत्येक राज्य के लिए है तथा यह केवल दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तक सीमित नहीं है, जो गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है। शीर्ष अदालत पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक लंबित याचिका में दायर हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। उच्चतम न्यायालय ने वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए 2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था और अब उसकी ओर से जारी स्पष्टीकरण से देश भर में प्रभाव पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) से पराली जलाने को लेकर जवाब मांगा है। इससे पहले अदालत को सूचित किया गया था कि दिल्ली से लगे राज्यों में पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
राजस्थान सरकार से पूर्व के निर्देशों का पालन करने को कहा
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने राजस्थान सरकार से दिवाली पर पटाखे चलाने के संबंध में उसके पूर्व के निर्देशों का पालन करने को कहा। राजस्थान सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने अदालत से आग्रह किया कि दिवाली और अन्य त्योहारों के दौरान राजस्थान में रात आठ बजे से रात 10 बजे के बजाए रात आठ बजे से 11 बजे के बीच तीन घंटे के लिए पटाखे चलाने की अनुमति दी जाए। मुख्य याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि अगर एक राज्य को छूट दी गई तो अन्य राज्यों से आवेदनों की न्यायालय में बाढ़ आ जाएगी। पीठ ने शंकरनारायणन की बात से सहमति जताई।
लोगों के सहयोग के बिना कभी नहीं रोक पाएंगे : पीठ
पीठ ने कहा कि ये आदेश राजस्थान सहित प्रत्येक राज्य के लिए बाध्यकारी है और राज्य सरकार को केवल त्योहार के मौसम में ही नहीं बल्कि उसके बाद भी इस पर विचार करना चाहिए।’ पीठ ने कहा, ‘आम आदमी को पटाखों से होने वाले नुकसान को लेकर संवेदनशील बनाना अहम है। आजकल बच्चे ज्यादा पटाखे नहीं चलाते बल्कि वयस्क चलाते हैं। यह गलत अवधारणा है कि प्रदूषण अथवा पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी न्यायालय की है। लोगों को आगे आना होगा। वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी सभी की है।’ आवेदन में राजस्थान सरकार को वायु और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाने और दिवाली तथा विवाह समारोहों के दौरान उदयपुर शहर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति बोपन्ना ने कहा, ‘समयसीमा को एक घंटे बढ़ाने या एक घंटे घटाने से प्रदूषण में कोई कमी नहीं आएगी। उन्होंने जो खरीद लिया है उसे वे जरूर जलाएंगे।’ न्यायमूर्ति सुंदरेश ने सिंघवी से कहा, ‘आपके पास जो है उसे साझा करके भी पर्व मनाया जा सकता है। अगर आप पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, तो आप स्वार्थी और आत्मके्द्रिरत हो रहे हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। लोगों को शिक्षित करना और संवेदनशील बनाना ज्यादा अहम है। हम पूरी तरह से यह मानते हैं कि इसे पूरी तरह से कभी नहीं रोका जा सकता जब तक कि लोग अपने आप ही ऐसा नहीं करें।’
पटाखों में आखिर क्यों इस्तेमाल होता है बेरियम
आतिशबाजी में हरा रंग पैदा करने के लिए पटाखों में बेरियम का इस्तेमाल किया जाता है। यह पटाखों को लंबी शेल्फ-लाइफ देने के लिए एक स्थिर एजेंट के रूप में भी काम करता है। साथ ही पटाखों में आर्सेनिक, सीसा, सल्फर और क्लोरीन की अलग-अलग मात्रा इस्तेमाल की जाती है, जिन्हें केंद्र सरकार के खतरनाक रासायनिक नियम (2000) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है। बेरियम के संपर्क में आने से गंभीर गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल संकट पैदा हो सकता है। यह अक्सर उल्टी, पेट में दर्द और दस्त और कभी-कभी हाइपोकैलिमिया (शरीर में पोटेशियम का कम स्तर) नामक संभावित घातक स्थिति का कारण बनता है।
- Log in to post comments