8 घंटे की पूछताछ के बाद CBI का एक्शन, कोर्ट में कल होगी पेशी
नई दिल्ली (khabargali) सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में रविवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से दूसरे दौर की पूछताछ के बाद शाम को गिरफ्तार कर लिया। वहीं मनीष सिसोदिया को सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इससे पहले राज घाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद सिसोदिया भारी-भरकम बैरिकेड्स वाले सीबीआई कार्यालय पहुंचे थे। सीबीआई की प्राथमिकी में आरोपी नंबर एक सिसोदिया से पहले 17 अक्टूबर को पूछताछ की गई थी। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सियासी घमासान शुरू हो गय़ा है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस पार्टी के मुखिया दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी के पाप का घड़ा आज फूट गया है ।
मनीष सिसोदिया पर इस तरह सिलसिलेवार हुई कार्रवा
17 अगस्त, 2022 – CBI FIR में सिसोदिया आरोपी नंबर 1
19 अगस्त, 2022 – मनीष सिसोदिया के घर CBI छापा 30 अगस्त, 2022 – मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर खंगाले
17 अक्टूबर, 2022 – मनीष सिसोदिया से 9 घंटे तक CBI पूछताछ
25 नवंबर, 2022 – CBI चार्जशीट दाख़िल, सिसोदिया का नाम नहीं
15 जनवरी, 2023- मनीष सिसोदिया के दफ़्तर से CBI ने कंप्यूटर ज़ब्त किया
18 फ़रवरी, 2023- मनीष सिसोदिया को CBI का समन
19 फ़रवरी, 2023- सिसोदिया की मांग पर CBI ने दिया वक़्त
26 फरवरी 2023 – मनीष सिसोदिया को CBI ने किया गिरफ्तार
27 फरवरी, 2023- को मनीष सिसोदिया की कोर्ट में होगी पेशी
मोदी जी आपकी तानाशाही का अंत जरूर होगा: संजय सिंह
मनीष सिसोदिया कि गिरफ्तारी के बाद आप के राज्यसभा सांसद ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने तानाशाही की हद कर दी। अडानी के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल से बीजेपी को डर लगता है। उसके मॉडल से डर लगता है। मोदी जी आपकी तानाशाही का अंत जरूर होगा।
क्या थी नई आबकारी नीति?
दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 पेश की थी। सरकार इस नई नीति के जरिए शराब खरीदने का नया अनुभव लोगों को देना चाहती थी। नई नीति में होटलों के बार, क्लब्स और रेस्टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई थी। इसमें छत समेत खुली जगह पर भी जगह शराब परोसने की अनुमति दी गई थी। इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी। बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम करने का भी प्रावधान था। इसके अलावा बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं रखी गई थी। नई पॉलिसी के तहत किसी भी शराब की दुकान पर सरकार का मालिकाना हक नहीं रखने का प्रावधान था। नई पॉलिसी में कंज्यूमर की चॉइस और ब्रैंड्स की उपलब्धता को तवज्जो दी गई थी। इसका उद्देश्य स्मगलिंग और बूटलेगिंग रोकना था। नई पॉलिसी में सबसे खास बात थी कि ई-टेंडरिंग के जरिए हर जोन ऑपरेटर के लिए नया L-7Z लाइसेंस अलॉट किया जाना था।
नई नीति पर क्यों उठे थे सवाल?
नई नीति दिल्ली को 32 जोन में बांटती थी। इसके अनुसार मार्केट में केवल 16 प्लेयर्स को इजाजत दी जा सकती है। इससे एकाधिकार मिलने की बात थी। विपक्षी दलों का आरोप था कि नई आबकारी नीति के जरिए केजरीवाल सरकार ने करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया। दिल्ली में शराब के कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके थे। उनका कहना था कि कुछ बड़े प्लेयर्स अपने यहां स्टोर्स पर भारी डिस्काउंट से लेकर ऑफर्स दे रहे हैं। ऐसे में इससे उनके लिए बिजनेस कर पाना नामुमकिन हो गया। नई पॉलिसी को कोर्ट में भी चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया कि नई पॉलिसी अवैध, अनुचित, मनमानी है। यह दिल्ली आबकारी अधिनियम-2009 का उल्लंघन करती है। साथ ही दिल्ली सरकार के 28 जून के ई-टेंडर नोटिस को भी रद्द करने की मांग की गई थी। इसमें शराब के रिटेल विक्रेताओं को 32 जोनल लाइसेंस देने के लिए जोन वाइज इलेक्ट्रॉनिक बोलियां मंगाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तय की गई थी। वहीं, बीजेपी का कहना था कि टेंडर की शर्तों के हिसाब से कॉर्टल यानी दो-तीन कंपनियों को एक करने की परमिशन नहीं थी। बीजेपी का आरोप था कि दस्तावेज के मुताबिक कार्टल हुआ है। टेंडर के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को अनुमति नहीं थी, लेकिन दिल्ली में एक कंपनी को दो जोन डिस्ट्रीब्यूशन के लिए दिए गए। तीसरा रिटेल सेक्टर में मैन्युफेक्चरिंग कंपनी को परमिशन नहीं थी। मगर, इन निर्माता कंपनियों को दो जोन दिए। इसके दस्तावेज आबकारी विभाग को भी दिए थे।
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