राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार के मामले में फ्रांस में जांच शुरू..भारत में मचा सियासी बवाल

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राफेल डील में फ्रांस से 36 फाइटर जेट का सौदा हुआ था

नयी दिल्ली (khabargali) साल 2016 में भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार और लाभ पहुंचाने के मामले में फ्रांस में अब जांच शुरू की गई है. जिसे लेकर इधर भारत में फिर सियासी पारा बढ़ गया है और केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष सवाल उठा रहा है कि जिस देश को फायदा हुआ है वो इस मामले की जांच कर रहा है और जिस देश को इस सौदे में नुकसान हुआ है वह चुप है. वहीं इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के मौन होने पर भी निशाना साध रही है. माकपा ने तो प्रधानमंत्री की भूमिका की जेपीसी जांच की मांग उठा दी है.

फ्रांस में सौदे पर जाँच का आदेश एक NGO की शिकायत के बाद दिए गए हैं. इतना ही नहीं अब मामले में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रों से भी पूछताछ हो सकती है. जब राफेल डील साइन हुई थी तब फ्रांस्वा ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति थे और मैंक्रों वित्त मंत्री हुआ करते थे.

फ्रांस में ऐसे शिकायत दर्ज हुई

दरअसल, फ्रांसीसी पत्रकार यान फिलीपीन की एक रिपोर्ट में राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं का दावा किया गया था. रिपोर्ट के बाद एक एनजीओ शेरपा ने शिकायत दर्ज करवाई थी. यह NGO वित्त फ्रॉड का शिकार हुए लोगों की मदद करता है. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डसॉल्ट-रिलायंस के इस जाइंट वेंचर के लिए डसॉल्ट एविएशन 94 फीसदी हिस्सेदारी लगा रहा था, वहीं रिलायंस सिर्फ 51 फीसदी. आगे दावा किया गया था कि भारत सरकार द्वारा फाइटर जेट खरीदने की बात सार्वजनिक करने से पहले ही डसॉल्ट एविएशन को पहले से पता था कि भारत को किस तरह के फाइटर जेट चाहिए. इसके अलावा रिपोर्ट में सुशेन गुप्ता का भी नाम है. जो कि अगस्ता वेस्टलैंड VVIP चॉपर डील घोटाले में पकड़ा गया था. दावा किया गया है कि उसकी कंपनी से भी कुछ 'संदिग्ध लेनदेन' हुआ था, कहा गया था कि यह पैसा उसे राफेल संबंधित कागजात मंत्रालय से निकालने के लिए डसॉल्ट ने दिया था.

एक जज को इस डील की जांच के लिए नियुक्त किया

इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रीय अभियोजक कार्यालय (पीएनएफ) ने एक जज को इस डील की जांच के लिए नियुक्त किया है. ऐसे न्यायिक जांच का आदेश फ्रांस में आमतौर पर नहीं दिया जाता है, इसलिए यह मुद्दा बड़ा भी बना. ऐसे जांच के आदेश मिलने पर जज के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं, जिसमें उसे एक्शन लेने, निर्देश देने से पहले दूसरी अथॉरिटीज से रजामंदी आदि नहीं लेनी होती. अब अगर न्यायिक जांच में भी सबूत सही पाए जाते हैं तो फिर आगे ट्रायल होगा.

जानें क्या है राफेल सौदा, क्या था विवाद

साल 2016 में हुई राफेल डील में 36 राफेल विमानों का सौदा हुआ था. यह डील फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये में की गई थी. बता दें कि इससे पहले यूपीए सरकार पिछले सात सालों से इस डील को करने की कोशिश में थी. इसमें 126 मध्यम बहु-भूमिका लड़ाकू विमान (MMRCA) खरीदे जाने थे, लेकिन डील हो नहीं पाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थीं डील पर कई याचिकाएं राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. कोर्ट से गुजारिश की गई थी कि वह राफेल डील की जांच के आदेश दे. इसपर कोर्ट ने कहा था कि FIR दर्ज करने को कहने, या जांच के आदेश देने का कोई ठोस सबूत नहीं है.

कांग्रेस के यह सवाल

राफेल सौदे पर सवाल कांग्रेस पार्टी ने उठाए थे. पहला आरोप था कि सरकार ने राफेल विमानों को बहुत महंगा खरीदा है. दूसरा आरोप ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट को लेकर था. इसमें इस बात पर सवाल उठाए गए थे कि यह कॉन्ट्रैक्ट पब्लिक सेक्टर के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को ना देकर निजी कंपनी रिलायंस डिफेंस को क्यों दिया गया. यह आरोप लगाया गया कि एनडीए सरकार ने 526 करोड़ रुपये का विमान 1670 करोड़ रुपये में खरीदा है. दूसरी तरफ एनडीए सरकार सफाई देती रही कि कांग्रेस जिस राफेल विमान का सौदा कर रही थी, यह उससे अडवांस है, इसलिए कीमत बढ़ी है. कांग्रेस का कहना है कि फ्रांस राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और पक्षपात की जांच कर रहा है. दो सरकारों के साथ हुए इस सौदे में यह सब कैसे हो सकता है जब इसमें कोई बिचौलिया शामिल नहीं था. अब इस मामले में एक पक्ष कैसे चुप रह सकता है जब दूसरे पक्ष ने इसकी न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं.

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने यह जवाब दिया

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस सवाल का खुद ही जवाब देते हुए कहा कि क्या यह इसलिए था, क्योंकि गांधी परिवार को उसका मनचाहा कमीशन नहीं मिला था? भाजपा ने रविवार को कांग्रेस से यह बताने को कहा कि भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन शक्ति में कमी आने के बावजूद कांग्रेस की सरकार ने 10 साल तक लड़ाकू विमान क्यों नहीं खरीदे?