उपलब्धि : भारत के पहले हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' को मिला अंतरराष्ट्रीय बुकर अवॉर्ड

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लेखकों में हर्ष, कहा - हिंदी लेखन को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

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लंदन / नई दिल्ली (khabargali) दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री के हिन्दी उपन्यास 'रेत समाधि' (Tomb of Sand) को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ मिला है. 'रेत समाधि' प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला किसी भी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास बन गया है. उनके उपन्यास को डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल ने 'टूंब ऑफ सैंड' के नाम से किया है. यह 50,000 पाउंड के पुरस्कार के लिए चुने जाने वाला पहला हिन्दी भाषा का उपन्यास है. यह विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल था, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था.

बुकर अवॉर्ड जीतने वाली ये पुस्तक एक वृद्ध विधवा की कहानी बताती है, जो उपमहाद्वीप के 1947 के भारत और पाकिस्तान में विभाजन के दौरान भूतों का सामना करने की हिम्मत करती है. फ्रैंक वाईन ने कहा कि दर्दनाक घटनाओं का सामना करने के बावजूद, यह एक असाधारण रूप से विपुल और अविश्वसनीय रूप से चंचल पुस्तक है.

हिंदी की वरिष्ठ लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार का मिलना हिंदी साहित्य संसार के लिए बेहद सम्मान की बात है. इससे पहले कई भारतीय लेखकों को यह सम्मान मिल चुका है, लेकिन हिंदी के लिए मिला यह पहला बुकर सम्मान है. इस सम्मान के बाद हिंदी के कई रचनाकारों ने इसे हिंदी के लिए मील का पत्थर बताया.

बता दें कि बुकर सम्मान के चयन में यह अनिवार्य शर्त है कि वह किताब ब्रिटेन के किसी भी प्रकाशक से प्रकाशित हुई हो. इस पुरस्कार पर प्रतिक्रिया देते वक्त अमूमन सारे लेखकों ने इस बात पर दुख जताया. उनका मानना है कि इस अनिवार्य शर्त का खमियाजा कई लेखकों को भुगतना पड़ा है और भविष्य में भी यह लेखकों के लिए बाधक बनेगा. प्रतिक्रिया देने वालों का कहना है कि हर लेखक की पहुंच ब्रिटिश प्रकाशक तक नहीं होती. ऐसे में इस शर्त का साथ छोड़ देना चाहिए.

बुकर प्राइज ने एक ट्वीट में कहा, "गीतांजलि श्री और @shreedaisy को बधाई”. बंगाली लेखक अरुणावा सिन्हा ने ट्वीट किया कि "यस! अनुवादक डेज़ी रॉकवेल और लेखक गीतांजलि श्री ने 'रेत समाधि' के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर जीता. एक हिन्दी उपन्यास, एक भारतीय उपन्यास, एक दक्षिण एशियाई उपन्यास के लिए पहली जीत... बधाई!"

गीतांजलि श्री कई लघुकथाओं और उपन्यासों की लेखिका हैं. उनके 2000 के उपन्यास 'माई' को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था. उन्होंने 50,000 पौंड का अपना पुरस्कार लिया और पुस्तक के अंग्रेजी अनुवादक, डेजी रॉकवेल के साथ इसे साझा किया. गीतांजलि श्री का ‘रेत समाधि’ उनका पांचवां उपन्यास है. पहला उपन्यास ‘माई’ है. इसके बाद उनका उपन्यास ‘हमारा शहर उस बरस’ नब्बे के दशक में आया था. यह उपन्यास सांप्रदायिकता पर केंद्रित संजीदा उपन्यासों में एक है. कुछ साल बाद ‘तिरोहित’ आया. इस उपन्यास की चर्चा हिंदी में स्त्री समलैंगिकता पर लिखे गए पहले उपन्यास के रूप में भी होती रही है. उनके चौथा उपन्यास ‘खाली जगह’ है और कुछ साल पहले ‘रेत समाधि’ प्रकाशित हुआ.

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