
हर दुकान के आगे रखा कूड़ेदान
देश का पहला ईपीआर क्रेडिट पाने वाला इंदौर नगर निगम
इंदौर(khabargali) देश में मध्य प्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर की पहचान स्वच्छ शहर के तौर पर बन चुकी है। अब इंदौर में लोगों ने प्लास्टिक की थैलियों को ना कहना शुरू कर एक मिसाल कायम की है। इंदौर में पर्यावरण संरक्षण में सब्जी मंडी के दुकानदार अहम भूमिका निभा रहे हैं । राजकुमार ब्रिज के नीचे संचालित सब्जी मंडी में दुकानदारों ने प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग लगभग बंद कर दिया है और इनका स्थान कपड़े की थैलियों ने ले लिया है। सब्जी मंडी में हर दुकान के सामने डस्टबिन (कूड़ेदान) भी रखा नजर आता है।
सब्जी मंडी के एक दुकानदार कहते हैं कि ‘हम ग्राहकों से कहते हैं कि वे अपने साथ थैला लेकर सब्जी मंडी आएं। जो ग्राहक अपने साथ थैला लेकर नहीं आता, हम उसे कपड़े की थैली में सब्जी देते हैं। हालांकि, प्लास्टिक की थैलियों के मुकाबले हमें कपड़े की थैलियां महंगी पड़ती हैं।’ केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर लगातार छह सालों से अव्वल बना हुआ है और देश के सबसे साफ शहर के अपने खिताब को वर्ष 2023 के जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में कायम रखने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।
देश का पहला ईपीआर क्रेडिट पाने वाला नगर निगम
इंदौर नगर निगम देश का पहला ईपीआर क्रेडिट पाने वाला बना है।ईपीआर क्रेडिट अर्जित करने की उपलब्धि नगर निगम ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 पीडब्लूएम और ईपीआर नीति के सफलता से लागू करने के कारण मिली।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ईपीआर पोर्टल पर पंजीकृत होने वाला भारत का पहला शहर इंदौर है। ईपीआर नीति में प्लास्टिक की रोकथाम के अलाव उत्पादकों की जिम्मेदारी भी शामिल है। इंदौर मेें इस मामले में बेहतर काम हुए।
नगर निगम ने सिंगल यूज्ड प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए ‘मैं हूँ झोलाधारी इंदौरी’, ‘प्लास्टिक प्रीमियर लीग’और ‘हल्ला बोल ड्राइव’ जैसे अभियान चलाए है। होटलों मेें प्लास्टिक के बजाए कागज की प्लेट का उपयोग होता है। शहर में प्रतिदिन 1162 मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरा निकलता है। शहरवासी छह प्रकार के कचरे (प्लास्टिक अपशिष्ट, गैर-प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट, सेनेटरी-अपशिष्ट, घरेलू खतरनाक अपशिष्ट और गीले अपशिष्ट) को अलग अलग ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाते है।
क्या है ईपीआर
शहर में अमानक प्लास्टिक जब्त करने का अभियान बड़े पैमाने पर चलता है। जब्त प्लास्टिक को देगुराड़िया में बने प्लांट पर भेजा जाता है। अनुबंधित एजेंसी की 400 टीपीडी क्षमता के प्लांट में उनका निपटान करती है। नगर निगम ने ईपीआर क्रेडिट को अर्जित करने के लिए एजेंसी के साथ भी एमओयू किया है। आईएमसी ने 8 मीट्रिक टन जब्त प्लास्टिक के बदले में ईपीआर क्रेडिट की अपनी पहली किस्त अर्जित की। ईपीआर क्रेडिट का मूल्य 8 हज़ार 100 रुपये है।
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