यह शासन की नहीं ये लूट की महाअघाड़ी है : रविशंकर
मुंबई (khabargali) महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री अनिल देशमुख पर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार उद्धव सरकार पर सवाल दाग रही है। अब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सवाल पूछा है कि अगर मुंबई का 100 करोड़ का टारगेट है, तो पूरे महाराष्ट्र का कितना था? इधर, MNS प्रमुख राज ठाकरे भी पहली बार इस मामले में बयान दिया। उन्होंने कहा कि अंबानी से पैसे वसूलने के लिए यह सारी थ्योरी बनाई गई, जो ठीक नहीं है। पहले आतंकी बम रखते थे, अब पुलिस से रखवाया जा रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रविशंकर प्रसाद ने उद्धव पर तंज कसते हुए कहा, ''आप बाला साहब ठाकरे के पुत्र हैं ना, जिन्होंने जय महाराष्ट्र शब्द बताया था। आपने कुर्सी के लिए बेईमानी की सरकार बनाई। अब आप अपने पिता जी की गरिमा पर क्या चोट पहुंचा रहे हैं? 'जय महाराष्ट्र' जहां आप मुख्यमंत्री हैं. वहां करोड़ों रुपये की लूट हो रही है।'' उद्धव सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार खो चुकी है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, "मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर की चिठ्ठी को लेकर देश में काफी हंगामा हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने सचिन वाजे से कहा कि हमें 100 करोड़ रुपये महीना बंदोबस्त करके दो। BJP की तरफ से सवाल है कि सचिन वाजे की नियुक्ति किसके दबाव में की गई? एक और बहुत बड़ा गंभीर सवाल है कि 100 करोड़ का टारगेट था मुंबई से है तो कृपया करके उद्धव ठाकरे और शरद पवार जी बताएं कि पूरे महाराष्ट्र का टार्गेट क्या था? अगर एक मंत्री का टारगेट 100 करोड़ था तो बाकी मंत्रियों का टारगेट क्या था?"
उद्धव और शरद पवार की खामोशी सवाल उठाती है- प्रसाद
उद्धव ठाकरे और शरद पवार पर निशाना साधते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दोनों की खामोशी सवाल उठाती है. उद्धव ठाकरे की शांति और सदन के अंदर और बाहर सचिन वाजे का डिफेंड करना. सचिन की हैसियत एक एएसआई है। जिसे क्राइम सीआईडी का चार्ज दिया गया है। यह अपने आप में आश्चर्य की बात है। इस मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच जरूरी है क्योंकि इसमें शरद पवार, मुंबई पुलिस की भूमिका सामने आएगी. मुख्यमंत्री और होम मिनिस्टर से कई सवाल किए जा सकते हैं।
ये है मामला
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने के मामले में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगे आरोपों ने उद्धव सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है। मामला ये है कि मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सचिन वझे को गृहमंत्री का संरक्षण था और उन्होंने वझे से हर महीने 100 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था।
शरद पवार ने ये कहा
इन आरोपों के बाद NCP चीफ शरद पवार ने रविवार को मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वझे की बहाली पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने की थी, मुख्यमंत्री या गृह मंत्री ने नहीं। रही बात देशमुख के इस्तीफे की, तो उस पर फैसला उद्धव लें। उन्होंने कहा कि परमबीर ने देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन उसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया। चिट्ठी में यह भी नहीं बताया गया कि पैसा किसके पास गया। साथ ही पत्र पर परमबीर के साइन भी नहीं हैं।
देशमुख पर एक-दो दिन में फैसला : पवार
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि महाराष्ट्र सरकार को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं या नहीं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि सरकार पर इन सब मामलों का कोई असर नहीं होगा। उन्होंने मामले की जांच पूर्व IPS ऑफिसर जूलियो रिबेरो से कराने का सुझाव दिया। उन्होंने देशमुख के इस्तीफे से जुड़े एक सवाल पर कहा कि उद्धव से चर्चा के बाद एक-दो दिन में इस पर फैसला ले लिया जाएगा।
पवार सच से भाग रहे : फडणवीस
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह सरकार शरद पवार ने बनाई है, इसलिए वह इसका बचाव कर रहे हैं। वझे को वापस सर्विस में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के आदेश पर लाया गया था। पवार साहब सच से भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक देशमुख पद पर बरकरार हैं, मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
ATS ने 2 और लोगों को गिरफ्तार किया
मनसुख हिरेन हत्याकांड मामले में महाराष्ट्र ATS ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान विनायक शिंदे और नरेश धारे के रूप में हुई है। विनायक सस्पेंडेड कॉन्स्टेबल हैं और लखन भैय्या फेक एनकाउंटर केस में आरोपी रह चुके हैं।
परमबीर बोले- मेरी ही आईडी से भेजी गई चिट्ठी
सोशल मीडिया पर परमबीर की एक चिट्ठी वायरल हो रही है, जिस पर उनके साइन मौजूद हैं। साइन को लेकर ही राज्य सरकार चिट्ठी की सत्यता पर सवाल उठा रही थी। परमबीर ने कहा कि चिट्ठी पूरी तरह सही है। उसे मेरी ही आईडी से भेजा गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से भी चिट्ठी की सत्यता पर संदेह जताया गया था। यह बात सामने आई थी कि जो चिट्ठी भेजी गई है, उस पर परमबीर के साइन नहीं हैं।
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