छत्तीसगढ़ के इन 8 जिलों में ई-ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक में पास होने पर ही मिलेगा लाइसेंस, परिवहन मंत्री ने दिए निर्देश

E-driving licenses will be granted only after passing the test track in these eight districts of Chhattisgarh, the Transport Minister has given instructions. Chhattisgarh news hindi News latest news khabargali


रायपुर (खबरगली)   परिवहन विभाग द्वारा वाहन चालकों की योग्यता और सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट और लाइसेंसिंग प्रक्रिया का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। परिवहन मंत्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार राज्य के 8 जिले रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ और कोरबा में ई-ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (ई-ट्रैक) की स्थापना की जा रही है। इन आधुनिक ई-ट्रैकों के माध्यम से ड्राइविंग टेस्ट पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी तरीके से लिए जाएंगे। 

इसका उद्देश्य है कि ड्राइविंग परीक्षण में मानव हस्तक्षेप कम हो, निष्पक्षता बनी रहे और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आए। ई-ट्रैक प्रणाली में वाहन नियंत्रण, लेन अनुशासन, सिग्नलिंग, गति नियंत्रण और सड़क सुरक्षा से जुड़ी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इसमें लगे डिजिटल सेंसर और कैमरे अभ्यर्थियों की ड्राइविंग क्षमता का सटीक मूल्यांकन करेंगे। इससे लाइसेंस प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होगी तथा पात्र आवेदकों को समय पर सही परिणाम प्राप्त होंगे।

परिवहन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि यह पहल न केवल सड़क सुरक्षा को बढ़ाएगी, बल्कि छत्तीसगढ़ को स्मार्ट परिवहन व्यवस्था की दिशा में आगे ले जाएगी। सुरक्षित और आधुनिक परिवहन व्यवस्था राज्य के लोगों के जीवन में सहजता और भरोसा लाएगी। यह राज्य में सुरक्षित, स्मार्ट और विश्वसनीय परिवहन व्यवस्था के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सड़क दुर्घटनाओं में आएगी कमी

परिवहन सचिव एस प्रकाश ने कहा कि ई-ट्रैक की मदद से योग्य चालकों को प्रमाणित किया जाएगा, जिससे जिम्मेदार ड्राइविंग को बढ़ावा मिलेगा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि इन जिलों में ई-ट्रैक शुरू होने के बाद आवेदक ऑनलाइन आवेदन और अपॉइंटमेंट बुकिंग के माध्यम से ड्राइविंग टेस्ट दे सकेंगे। सफल परीक्षण के बाद उन्हें डिजिटल फीडबैक और लाइसेंस जारी किया जाएगा।

अभी यह है व्यवस्था

पंडरी पुराने बस स्टैंड के पीछे स्थित ड्राइविंग लाइसेंस सिटी सेंटर में टेस्ट ड्राइविंग खुले मैदान में कराई जाती है। यहां यातायात नियमों का पालन कराने के उद्देश्य से जरूरी संसाधन और मापक यंत्र नहीं हैं। जहां टेस्ट ड्राइविंग कराई जाती है वहां बैरीकेड बनाकर चालक से वाहन चलवाए जाते हैं। हालांकि इसमें सबसे बड़ी खामी यह है कि संकेतक नहीं होने के कारण चालक यह नहीं समझ पाता कि वाहन को किस दिशा में मोडऩा है। इसके साथ ही दाएं अथवा बाएं मुडऩे, गति नियंत्रक, आभाषी ट्रैफिक सिग्नल भी नहीं हैं, जिससे नियमों के पूर्ण पालन की जानकारी के बिना ही लाइसेंस दे दिया जाता है।

ऐसे टेस्ट देते हैं चालक

अभी एक मोटर वाहन निरीक्षक टेस्ट ड्राइविंग के दौरान निगरानी करता है।

आवेदक अपना वाहन या ड्राइविंग स्कूल का वाहन टेस्ट के लिए उपयोग कर सकता है।

अगर निरीक्षक परीक्षण से संतुष्ट नहीं होता तो दोबारा टेस्ट ड्राइविंग के लिए कहता है। 

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