एनसीईआरटी समिति की सिफारिश : अब प्राचीन इतिहास के बजाय शास्त्रीय इतिहास पढ़ाया जाएगा

NCERT committee's recommendation, now classical history will be taught in school books instead of ancient history, India will be replaced by Bharat, Vishnu Purana, CI Isaac, victory of Hindus, our victory over Mughals and Sultans, ICHR President Raghuvendra Tanwar, Jawaharlal Nehru University  Of Prof.  Vandana Mishra, Vasant Shinde, former Vice Chancellor of Deccan College Deemed University and Mamta Yadav, sociology teacher from Haryana, Khabargali.

इंडिया की जगह होगा भारत

नई दिल्ली (khabargali) भारत का शास्त्रीय इतिहास गौरवशाली रहा है इसी के चलते राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की उच्चस्तरीय समिति ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम इंडिया की जगह भारत करने की सिफारिश की है। समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक के मुताबिक समिति ने सर्वसम्मति से पाठ्यपुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास’ के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने और सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को भी शामिल करने का सुझाव दिया है।

एनसीईआरटी के चेयरमैन दिनेश सकलानी ने हालांकि कहा कि अब तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत सदियों पुराना नाम है। 7,000 वर्ष पुराने विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में भी इसका जिक्र है। बता दें कि एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए सामाजिक विज्ञान की समिति का गठन किया है।

भारत नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर तब सामने आया जब सरकार ने हाल में नई दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत के नाम से निमंत्रण भेजा था। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नाम पट्टिका पर भी इंडिया के बजाय भारत लिखा गया।

अब ‘हिंदुओं की जीत’ को उजागर करने की सिफारिश

 इसाक ने बताया, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न लड़ाइयों में ‘हिंदुओं की जीत’ को उजागर करने की भी सिफारिश की है। वर्तमान में पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का उल्लेख नहीं है। इसाक ने कहा, अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों-प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित किया था। इसमें भारत को अंधकार में, वैज्ञानिक ज्ञान व प्रगति से अनभिज्ञ दिखाया गया था। इसलिए, हमने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्यकालीन व आधुनिक काल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाया जाए।

नई शिक्षा नीति के आधार पर संशोधन

 एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आधार पर स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम में संशोधन कर रही है। इसके लिए 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम व शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) गठित हुई है। यह समिति सभी कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देगी। इसके अन्य सदस्यों में आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. वंदना मिश्रा, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे व हरियाणा की समाजशास्त्र की शिक्षिका ममता यादव शामिल हैं।

बच्चे भारत शब्द का संबोधन चालू कर देंगे

इसी तरह इंडिया एजुकेशन सिस्टम एंड रिफॉर्म्स (आईईएसआर) के संयोजक ऋषि तनेजा कहते हैं कि अगर एनसीईआरटी की किताबों से इंडिया की जगह पर भारत का नाम लिखे जाने के प्रस्ताव की मंजूरी मिलती है, तो निश्चित तौर पर यह एक बड़ा प्रभावी कदम हो सकता है। वह कहते हैं कि स्कूलों में शुरूआती दौर से अगर बच्चों को इंडिया की जगह पर भारत शब्द का इस्तेमाल करना सिखाएंगे तो धीरे-धीरे वह भारत ही संबोधन में लाना शुरू कर देंगे। हालांकि उनका कहना है कि इसको सियासी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।

सुझाव पर सियासत शुरू

एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत का नाम किए जाने को लेकर सियासत अभी से शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ सियासत के मकसद से इस तरीके की अफवाहों और कुतर्कों के माध्यम से अपनी बात को आगे रखने की सियासत कर रही है। अखिलेश सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार को अगर इंडिया के नाम से इतनी ही आपत्ति है, तो हर जगह इंडिया बदल दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार के इशारे पर चलने वाले सरकारी महकमे भी उन्हीं की भाषा में बात कर रहे हैं।

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