रायपुर (khabargali) महात्मा गांधी ने देश की स्त्रियों की दशा में बदलाव के लिये जो प्रयास किये उससे, उनके खुद के जीवन, सोच और आज़ादी के आंदोलन में सकारात्मक बदलाव हुए साथ ही आज़ादी के बाद से आज तक समाज पर उनका असर देखा जा सकता है, ये उदगार आज लोकायन भवन में आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली से आये अरविंद मोहन ने व्यक्त किये।
वरिष्ठ पत्रकार तथा चिंतक अरविंद मोहन जी रायपुर में मायाराम सुरजन शताब्दी समारोह के दूसरे दिन , इंटेक ( भारतीय सांस्कृतिक निधि , रायपुर अध्याय) रायपुर चेप्टर द्वारा आयोजित व्याख्यान में अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदेश के वरिष्ठ कवि रवि श्रीवास्तव ने आज के कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। मायाराम सुरजन फाउंडेशन की ओर सेज तरुशिखा द्वारा मुख्यवक्ता अरविंद मोहन का परिचय दिया गया, उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी छत्तीसगढ के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त का भी परिचय दिया।
व्याख्यान की शुरुआत करते अरविंद मोहन ने बताया कि गांधी जी पर अपने अध्ययन की शुरुआत में उन्होंने गांधी जी के जीवन में कस्तूरबा के साथ साथ संपर्क में आयी अन्य 75 महिलाओं की सूची बना कर उनके विषय में जानकारी इकट्ठी करनी से शुरू की तो दिलचस्प विवरणों से उनके आश्चर्य का ठिकाना नही रहा। हर वर्ग , जाति, धर्म की महिलाओं के सैकड़ों विवरण सामने आने लगे जिन्हों ने महात्मा के जीवनकाल में उनसे बहुत कुछ सीखा और गांधी जी ने भी महिलाओं से ऐसे सबक सीखे जिनका समुचित इस्तेमाल महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए , आंदोलन को मजबूत करने पर हुआ।
कला के संबंध में देशी विदेशी पद्धतियों का ज्ञान तथा उसकी अदभुत समझ गांधी जी को थी। बिहार चम्पारण्य में नील की खेती करने वाले किसानों के साथ अंग्रेजो की मारपीट की जानकारी मिलने पर महात्मा अपने साथियों के साथ बिहार के चम्पारण्य के सुदूर क्षेत्रों का दौरा करने जाते समय पर्दानशीन महिलाओं को देखा, उन्होंने उनके पर्दायुक्त जीवन की समस्याओं को देखा। किन्तु साथ ही वे पश्चिम के समाज में बेपर्दा स्त्रियों की स्थिति भी जान गए थे तथा उसे गलत मानते थे।
1917 में कस्तूरबा के साथ वहां की स्त्रियों और समाज में व्याप्त जारी जातिगत ऊंच नीच और छुआछुत को दूर करने के प्रयास किये। कार्यक्रम के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने गांधी जी की शेरनियों के समय समय पर देश मे अपनी भूमिका निबाहने का उदाहरण CAA आंदोलन , किसानों के आंदोलन में भागीदारी का जिक्र किया। गांधी जी मानते थे की राजनीति का आधार नैतिकता होनी चाहिए। गांधी जी कला और साहित्य के अध्ययन से जुड़े थे जो दुनिया को सुंदरता और अच्छाइयों से बेहतर बनाना चाहते थे। दरअसल जो नैतिक नही है वो राजनीतिक ही नही हो सकते। अंत में जबलपुर से आये निरंकार जी ने आभार प्रदर्शन किया।
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