विपक्षी दल कांग्रेस के 34 सदस्य हो गए निलंबित
रायपुर (खबरगली) छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को सियासी टकराव अपने चरम पर पहुंच गया। सत्र के अंतिम प्रश्नकाल के दौरान नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राहत मिलने को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने आ गए। विपक्षी विधायकों द्वारा सदन में “सत्यमेव जयते” लिखी तख्तियां और स्टीकर पहनकर प्रवेश करने पर सत्तापक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद सदन का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष को दबाने के लिए किया जा रहा है, और इसके साथ ही उन्होंने स्थगन प्रस्ताव लाकर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। जब अध्यक्ष ने यह मांग खारिज कर दी, तो कांग्रेस विधायक सदन के वेल (गर्भगृह) में चले गए, जिसके कारण विपक्षी पार्टी के 34 विधायकों को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, स्पीकर ने कुछ मिनट बाद उनका निलंबन रद्द कर दिया।
प्रदर्शन का उद्देश्य यंग इंडियन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर अदालत के फैसले के बाद केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाना था। हंगामे के बीच सदन में “सत्यमेव जयते” और “वंदे मातरम” के नारे गूंजने लगे। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि प्रश्नकाल की कार्यवाही पूरी तरह से बाधित हो गई और अंततः इसे स्थगित करना पड़ा।आसंदी ने प्रश्नकाल बाधित होने पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए विपक्ष के आचरण की निंदा की।
शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष का गला घोंटने के लिए किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा अपने कार्यालय में पहले से तैयार किए गए बयानों को, जांच के दौरान असली दस्तावेज के रूप में अदालत में पेश करने का आरोप लगाया।
बघेल ने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां तक कि गवाहों को भी डराया जा रहा है।' इससे पहले जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई कांग्रेस सदस्य 'सत्यमेव जयते' लिखे कपड़े पहनकर सदन में घुस आए और सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। जिसके चलते प्रश्नकाल पूरी तरह से बाधित हो गया, इसी दौरान भाजपा विधायक चंद्राकर ने पूछा कि किस नियम के तहत कांग्रेस सदस्य अपने कपड़ों पर पोस्टर लगाकर सदन में आए हैं।
इससे पहले बघेल ने इस बारे में सोशल मीडिया पर लिखा, 'एजेंसियों का दुरुपयोग कर एक दशक तक हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व की छवि धूमिल करने के बाद अब भाजपा बेनक़ाब हो चुकी है। कोर्ट ने ED को फटकारते हुए कह दिया है कि श्रीमती सोनिया गांधी जी, श्री राहुल गांधी जी सहित किसी पर भी नेशनल हेराल्ड में मनी लाउंड्रिंग का मामला नहीं बनता है। जिस तरह से एजेंसियों का दुरुपयोग कर भाजपा विपक्ष को डराना, धमकाना चाहती है, उसके ख़िलाफ़ हम सब एकजुट हैं। आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में हम सबने “सत्यमेव जयते” के संकल्प को दोहराया है।'
इधर, छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामे के साथ-साथ राजधानी रायपुर की सड़कों पर भी सियासी हलचल देखने को मिली।नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेतृत्व को मिली राहत के बाद कांग्रेस ने शक्ति प्रदर्शन किया। पंडरी इलाके से बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा कार्यालय की ओर मार्च करते हुए निकले, लेकिन कलेक्ट्रेट और मेकाहारा चौक के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक लिया। इस प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। कुछ स्थानों पर कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के पोस्टर पर कालिख पोती, जिससे माहौल और गर्मा गया।
मीडिया से बातचीत में भूपेश बघेल ने केंद्रीय एजेंसियों पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ईडी और अन्य जांच एजेंसियों का राजनीतिक दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव बनाकर विपक्ष को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदर्शन को देखते हुए पूरे इलाके में भारी पुलिस बल तैनात रहा और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अदालत के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार द्वारा की गई कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित और गैरकानूनी थी। अदालत ने अपने निर्णय में माना कि यंग इंडियन मामले में ईडी की कार्रवाई उसके क्षेत्राधिकार से बाहर थी और बिना FIR के कोई मामला बनता ही नहीं है। कांग्रेस का आरोप है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से की गई थी, जिसका उद्देश्य मुख्य विपक्षी दल और उसके नेतृत्व को बदनाम करना था।
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस विधायकों ने कहा कि पिछले एक दशक से केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष को दबाने का प्रयास कर रही है लेकिन अब सच्चाई देश के सामने आ चुकी है। नेताओं ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं है, न ही किसी प्रकार की अपराध से अर्जित आय या संपत्ति के हस्तांतरण का कोई प्रमाण है। इसके बावजूद झूठे और निराधार आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की गई।
डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि सत्य की जीत हुई है और अदालत के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसका नेतृत्व संविधान, लोकतंत्र और देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस सत्य के मार्ग पर चलते हुए हर भारतीय के अधिकारों के लिए संघर्ष करती रहेगी।
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