किसान आंदोलन: नुकीले तार, बैरिकेडिंग और इंटरनेट बैन पर जानें क्या लिख रहा है ग्लोबल मीडिया

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नई दिल्ली (khabargali) पिछले 72 दिन से भारत में चल रहे किसान आंदोलन की चर्चा अब विदेशों में भी जोर पकड़ रही है. जैसी ही पॉपस्टार रिहाना ने ट्विटर पर लिखा कि 'हम भारत में किसानों के प्रदर्शन पर बात क्यों नहीं कर रहे हैं?' इसके बाद फिर क्या था इंटरनेशनल सेलेब्रिटीज से लेकर विदेशी मीडिया सब का फोकस भारत में हो रहे किसान आंदोलन की तरफ है. क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से लेकर अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने किसानों के समर्थन में ट्वीट किया. विदेशी मीडिया किसान आंदोलन के अलग-अलग पहलुओं पर बात कर रही है. इंटरनेट बैन से लेकर दिल्ली की सरहदों पर लगाई गई. बैरिकेडिंग और नुकीले तारों पर चर्चा हो रही है. आईए जानते हैं ग्लोबल मीडिया किसान आंदोलन पर क्या लिख रहा है..

द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा

द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है किसानों के आंदोलन पर सबसे पहले विदेशी घुसपैठ का आरोप लगा. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की, प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों की गिरफ्तारी की. सरकार ने जहां प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए हैं वहां इंटरनेट भी बंद कर दिया. द न्यू यॉर्क टाइम्स में आगे लिखा है, “पीएम मोदी की सरकार ने गिरफ्तारी, असहमतिपूर्ण आवाजों को रोकने और इंटरनेट को बंद करने का सहारा लिया है. इंटरनेट स्वतंत्रता पर नजर रखने वाले समूह कहते हैं कि भारत में चीजें हाथ से निकल रही हैं.” गणतंत्र दिवस की घटने बाद से, पुलिस ने बैरिकेड्स और कंटीले तार लगाए हैं और यहां तक कि नई दिल्ली की ओर जाने वाले आंदोलनों को रोकने के लिए कंक्रीट में कील लगाए हैं. सरकार ने धरना स्थल के इलाकों में बिजली और पानी की कटौती की है, साथ ही इंटरनेट काट दिया गए, और पत्रकारों की पहुंच सीमित कर दी है.

द इंडिपेंडेट ने लिखा

द इंडिपेंडेट ने लिखा है कि भारत में चल रहे किसान आंदोलन की गूंज अमेरिका में सुनाई दे रही है और अमेरिकी किसान इससे जुड़ाव महसूस कर रहे हैं. अमेरिका में 70 और 80 के दशक में हजारों किसान ट्रैक्टर लेकर राजधानी वॉशिंगटन पहुंच गए थे. 1970-80 के दशक में अमेरिका में सरकार की नीतियों के कारण हजारों किसानों को अपनी जमीन खोनी पड़ी, जिससे उनके उत्पादों की मांग के सामने ब्याज दरें बढ़ गईं, जिससे जमीन की कीमत में गिरावट आई." अखबार लिखता है कि ये विवाद न केवल कृषि के बारे में बल्कि ग्रामीण भारत की आबादी के बारे में सवाल उठाता है जहां छोटे समुदाय पहले से ही जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

अलजजीरा ने लिखा

अलजजीरा ने भी भारत के किसान आंदोलन के दौरान लोहे की कीलें, कंक्रीट की दीवारों की तस्वीरें दिखाई हैं. अलजजीरा ने लिखा है कि बैरिकेड्स की तस्वीरें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा की जा रही हैं, कई लोगों ने इनकी तुलना बॉर्डर पर सेना की बैरिकेडिंग से की है. महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को परेशान कर दिया है, जो कहते हैं कि नए कानूनों से किसानों को लाभ होगा और निजी निवेश के माध्यम से उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.