रायपुर (khabargali) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए हलिये फैसले पर सवाल उठाए है. दरअसल पिछले दिनों बिना किसी पूर्व सूचना के निजी अस्पतालों में डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर सहित कोरोना वारियर्स के निशुल्क टीकाकरण की सुविधा छत्तीसगढ़ के प्राइवेट अस्पतालों में अचानक बिना किसी सूचना के बंद कर दी गई . सभी डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर को वैक्सीनेशन की दूसरी डोज लगाने अपने नियत अस्पताल से 24 घंटे पूर्व मिलने वाली आवश्यक पूर्व सूचना भी नहीं आई ना ही प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर के लिए पोर्टल बंद करने की सूचना आई. आईएमए ने कहा कि केवल छत्तीसगढ़ राज्य के ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा बिना सूचना टीकाकरण की सुविधा वापस लेना डॉक्टर्स और कोरोनावायरस के प्रति सम्मान की भावना की सच्चाई को दिखाता है. संभवत उच्च स्तर पर लिए गए इस निर्णय की कोई अधिकृत जानकारी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी देने को तैयार नहीं है.
अब घंटों लाइन लगाकर यह टीका लगाना पड़ रहा
आईएमए ने कहा कि कोविड टीकाकरण की सुविधा सभी डॉक्टर्स व हेल्थ वर्कर्स के लिए केंद्र सरकार गाइड लाइन के अनुसार सभी अस्पतालों में निशुल्क रखी गई थी. अब सभी डॉक्टर्स व हेल्थ केयर वर्कर्स को सरकारी अस्पतालों में जा कर घंटों लाइन लगाकर यह टीका लगाना पड़ रहा है, जिससे निजी अस्पतालों और डॉक्टर की क्लीनिक का कामकाज प्रभावित हो रहा है .स्वास्थ्य विभाग के बिना किसी पूर्व सूचना के एकतरफा निर्णय की वजह से डॉक्टर्स व हेल्थ केयर वर्कर्स मैं दूसरा डोज लेने वालों की संख्या में भारी कमी हो सकती है अथवा उन्हें प्राइवेट अस्पताल में सशुल्क टीकाकरण करवाना पड़ेगा, जो कि केंद्र सरकार की घोषणा के विपरीत है.कोरोना संक्रमण काल में सराहनीय सामंजस्य और सहयोग से काम करने वाले निजी अस्पतालों के डॉक्टर, हेल्थ केयर वर्कर्स में इस निर्णय से निराशा की भावना देखी जा रही है.
बाहरी लैब को छूट
कोरोना काल में निजी क्षेत्र ने हर कदम पर आगे बढ़कर काम किया है लेकिन सरकारी सोच बदलती नहीं दिखाई देती. राज्य के बाहर की लैब को यहाँ से सैंपल ले जाकर जाँच करने की छूट है लेकिन उसी जाँच के स्थानीय निजी क्षेत्र के लोगों के द्वारा करने पर प्रतिबंध है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इस प्रकार के एकतरफा निर्णय लिए जाने की कड़ी निंदा करता है.
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