प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला: कोर्ट ने दस साल बाद जांच की दी अनुमति.. आम लोगों ने खोई थी गाढ़ी कमाई

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राज्य सरकार ने मांगी थी नए सिरे से जांच की अनुमति

इंदिरा बैंक घोटाले में रमन और उनके मंत्रियों रामविचार, बृजमोहन, राजेश मूणत, अमर ने पैसा लिया था : भूपेश बघेल

बिलासपुर (khabargali) राजधानी रायपुर के चर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की अब दस साल बाद जांच की जाएगी। राज्य शासन द्वारा की गई प्रार्थना मंजूर कर कोर्ट ने जांच की अनुमति दे दी है। लगभग 10 साल पहले रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया था। उस दौरान मामले की जांच भी हुई थी। अब राज्य सरकार ने उस मामले की नए सिरे से जांच कराने की अनुमति हाईकोर्ट से मांगी थी जो अब मिल गई है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लम्बा ट्वीट कर यह प्रतिक्रिया दी-

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस फैसले के बाद लंबा ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि बीजेपी के कई लोग इस घोटाले में शामिल हैं। बैंक संचालकों सहित अन्य लोगों कभी पैसे दिए गए। मालूम हो कि, इस घोटाले में हजारों आम खातेदारों ने अपनी लाखों की गाढ़ी कमाई गंवा दी थी। किसी कैसी ने तो सारी जमा पूंजी ही इस बैंक में जमा कराई थी। लोगों के विशवास और भरोसे का भी अंत हो गया था। नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे। बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए।

सीएम ने लिखा है कि, भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए। दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।

 अदालत के फैसले के बाद रमन एवं उनके मंत्रियों के गुनाहों का खुलासा होगा: सुशील आनंद शुक्ला

वहीं प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इस मामले के गरीब खातेदारों को न्याय मिलने तथा दोषी तत्कालीन सत्ताधीशों और गुनाहगारों को सजा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। इंदिरा बैंक घोटाले में जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा तत्कालीन सरकार के ऊपर से नीचे तक गया था।

नार्को टेस्ट में बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को 1 करोड़, तत्कालीन गृह मंत्री रामविचार नेताम को 1 करोड़, तत्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को 2 करोड़, मंत्री राजेश मूणत को 1 करोड़, अमर अग्रवाल को 1 करोड़ तथा तत्कालीन डीजीपी को 1 करोड़ रू. घूस देने का खुलासा किया था। उसने नार्को टेस्ट में बताया है कि बैंक की अध्यक्ष रीता तिवारी के कहने पर उसने लाल, नीले और काले रंग के एडीडास कंपनी के बैग में रकम इन नेताओं के यहां पहुंचाया था। इसलिये रमन सरकार के समय पुलिस ने लेब से नार्को टेस्ट की अधिकृत सीडी लेकर साक्ष्य के रूप में अदालत में जमा ही नहीं किया था ताकि रसूखदार नेताओं को बचाया जा सके।

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