टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने दुनिया के सबसे बड़ी डिजिटल पैथोलॉजी कंपनी से साझेदारी कर अब तक का सबसे बड़ा एआई मॉडल तैयार किया
नई दिल्ली (khabargali) कैंसर शब्द सुनकर ही मन खौफ से भर जाता है। पहले आम धारणा यही थी कि यह लाइलाज होता है, किंतु अब ऐसा नहीं विज्ञान और नई तकनीकों से कैंसर पर जीत हो रही है। एक राहतभरी खबर सामने आई है। कैंसर का इलाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए संभव हो सकेगा। टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने इसके लिए Paige के साथ साझेदारी की है जो कि दुनिया के सबसे बड़ी डिजिटल पैथोलॉजी कंपनी है। इस साझेदारी के तहत अब तक का सबसे बड़ा एआई मॉडल तैयार किया जाएगा।
सामान्य कैंसर और दुर्लभ कैंसर दोनों की होगी पहचान
यह एआई मॉडल कैंसर की सूक्ष्म जटिलताओं को पकड़ने में सहायता करेगा और कम्प्यूटेशनल बायोमार्कर के लिए आधारशिला के रूप में काम करेगा जो ऑन्कोलॉजी और पैथोलॉजी की सीमाओं को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है। नया एआई मॉडल सामान्य कैंसर और दुर्लभ कैंसर दोनों की पहचान कर सकता है जिनका इलाज बेहद मुश्किल है। माइक्रोसॉफ्ट हेल्थ फ्यूचर्स के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डेसनी टैन ने अपने एक बयान में कहा, ‘हम नए एआई मॉडल बना रहे हैं जो कैंसर की प्रकृति को समझने में अभूतपूर्व योगदान देंगा। एआई की ताकत को समझना जीवन को बेहतर बनाने के लिए और स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है।
पहला बड़ा फाउंडेशन मॉडल विकसित
एंड-टू-एंड डिजिटल पैथोलॉजी सॉल्यूशंस और क्लिनिकल एआई की अग्रणी कंपनी Paige ने एक अरब से अधिक छवियों का उपयोग करके पहला बड़ा फाउंडेशन मॉडल विकसित किया है। अपने आगामी मॉडल में Paige चार अरब डिजिटल माइक्रोस्कॉपी स्लाइड का इस्तेमाल करने वाली है।
भारत में भी इस दिशा में तेजी से हो रहा काम
चंडीगढ़ में पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), नई दिल्ली की टीम डीप लर्निंग मॉडल को बनाने की दिशा में काम कर रही है जो पेट के अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पित्ताशय के कैंसर का पता लगा सके।यहां जानना जरूरी है कि डीप लर्निंग, एआई में एक ऐसी विधि है जो कंप्यूटर को उसी तरह से डेटा प्रोसेस करना सिखाती है जैसा कि इंसानों का मस्तिष्क करता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसकी मदद से दुनिया के कई देशों में तेजी से बढ़ रहे इस कैंसर का समय रहते निदान किया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीक को लेकर आशा जताई
वैज्ञानिकों की टीम ने 233 रोगियों के डेटासेट पर डीप लर्निंग के इस मेथड को ट्रेन किया और 273 रोगियों पर इसका परीक्षण किया गया। परीक्षण के अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट की दो रेडियोलॉजिस्टों ने समीक्षा भी की। अध्ययन के अनुसार परीक्षण सेट में डीएल मॉडल की प्रभाविकता 92।3 प्रतिशत पाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि रेडियोलॉजिस्ट की तरह एआई के माध्यम से भी कैंसर का आसानी से निदान करने में मदद मिल सकती है। कैंसर के समय पर निदान को बढ़ावा देने में इसका लाभ हो सकता है, वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीक को लेकर आशा जताई है।
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