रायपुर में होगा साहित्य उत्सव, देश भर के 100 से अधिक साहित्यकार जुटेंगे, छत्तीसगढ़ को मिलेगी नई पहचान

A literary festival will be held in Raipur, where more than 100 literary figures from across the country will gather, Chhattisgarh will get a new identity. Hindi news Chhattisgarh news khabargali

रायपुर (खबरगली) नए वर्ष की शुरुआत के साथ छत्तीसगढ़ एक बार फिर साहित्यिक ऊर्जा से सराबोर होने को तैयार है। आगामी महीने रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी तक होगा, जिसमें देश भर से 100 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यकार शामिल होंगे। राज्य स्थापना के रजत वर्ष पर मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय द्वारा इस आयोजन की परिकल्पना की गई थी।

उनकी यह परिकल्पना अब साकार रूप लेने जा रही है। मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने आज अपने निवास कार्यालय में रायपुर साहित्य उत्सव के लोगो का अनावरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शंशाक शर्मा, जनसंपर्क विभाग के सचिव डॉ. रोहित यादव, वरिष्ठ साहित्यकार सुशील त्रिवेदी, डॉ. चितरंजन कर,  गिरीश पंकज, डॉ. संजीव बक्शी,  प्रदीप श्रीवास्तव और  शकुंतला तरार उपस्थित थे।

लोगो अनावरण के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर पूरा प्रदेश रजत महोत्सव मना रहा है, और रायपुर साहित्य उत्सव उसी श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने कहा कि यह उत्सव न केवल छत्तीसगढ़ को, बल्कि पूरे देश के मूर्धन्य साहित्यकारों को एक साझा मंच प्रदान करेगा, जहाँ उनके अनुभव, विचार और रचनात्मक धारा से अवगत होने का अवसर मिलेगा। 

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह आयोजन छत्तीसगढ़ को साहित्यिक जगत में एक नई पहचान प्रदान करेगा तथा जनसमुदाय को साहित्य, लेखन और पठन-पाठन की ओर प्रेरित करेगा। साथ ही यह उत्सव राज्य की विकास योजनाओं के लिए भी सकारात्मक सामाजिक चेतना और विमर्श का मंच बनेगा।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संकल्पना पर आधारित इस आयोजन की व्यापक कार्ययोजना मात्र दो माह में तैयार की गई है। यह तीन दिवसीय महोत्सव 23, 24 एवं 25 जनवरी 2026 को जनजातीय संग्रहालय के समीप आयोजित होगा।

इस उत्सव में कुल 11 सत्र शामिल होंगे। इनमें 5 समानांतर सत्र, 4 सामूहिक सत्र, और 3 संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें साहित्यकारों एवं प्रतिभागियों के बीच सीधा संवाद और विचार-विमर्श होगा। 

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक-साहित्यिक विरासत का प्रतीक उत्सव का लोगो

अगले महीने आयोजित होने जा रहे रायपुर साहित्य उत्सव के लोगो में छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को एक प्रभावशाली प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। यह लोगो न सिर्फ राज्य की पहचान को दर्शाता है, बल्कि बस्तर की जैव-विविधता, जनजातीय परंपराओं, और छत्तीसगढ़ की आत्मा माने जाने वाले सल्फी पेड़ की सांस्कृतिक महत्ता को भी सशक्त रूप में उजागर करता है।

लोगो में सल्फी के पेड़ को छत्तीसगढ़ राज्य के नक्शे का रूप देकर यह संदेश दिया गया है कि राज्य की सभ्यता, संस्कृति और साहित्य सदियों से इसी भूमि की जड़ों से पोषित होते आए हैं। सल्फी का यह पेड़ आदिकाल से चली आ रही पौराणिक परंपराओं, भाईचारे और एकजुटता का प्रतीक माना जाता है।

जनजातीय समाज के जीवन में गहराई से रचे-बसे इस पेड़ को साहित्य उत्सव के लोगो में शामिल करने से यह संदेश भी मिलता है कि छत्तीसगढ़ का जनजातीय साहित्य, लोकविश्वास और पारंपरिक ज्ञान-धारा आज भी समकालीन साहित्यिक प्रवाह के केंद्र में है।

लोगो में अंकित *आदि से अनादि तक’* वाक्य साहित्य की उस अटूट यात्रा को दर्शाता है, जिसमें आदिकालीन रचनाओं से लेकर निरंतर विकसित हो रहे आधुनिक साहित्य तक सभी रूप समाहित हैं। यह संदेश स्पष्ट रूप से प्रकट होता है कि साहित्य कालातीत है, वह समय, समाज, भाषा और पीढ़ियों को जोड़कर चलने वाली निरंतर धारा है।

इसी प्रकार लोगो में शामिल *‘सुरसरि सम सबके हित होई’* वाक्य साहित्य को गंगा की तरह मुक्त, समावेशी और सर्वहितकारी शक्ति के रूप में स्थापित करता है। साहित्य सभी जाति, वर्ग, परंपरा और जीवन-रीतियों को अपनी व्यापकता में समाहित कर समाज को दिशा देता है और सबके हित का मार्ग प्रशस्त करता है।

रायपुर साहित्य उत्सव का यह लोगो पूरे छत्तीसगढ़ के लिए सांस्कृतिक गर्व का विषय है, क्योंकि इसमें राज्य की हजारों वर्षों पुरानी साहित्यिक जड़ें, जनजातीय परंपराएँ, सामाजिक समरसता और आधुनिक रचनात्मक दृष्टि-सभी का सुंदर, सार्थक और कलात्मक संगम दिखाई देता है।

यह लोगो जनमानस तक यह सशक्त संदेश पहुँचाता है कि छत्तीसगढ़ की साहित्यिक यात्रा ‘आदि से अनादि’ तक अविचल, जीवंत और समृद्ध रही है और आगे भी इसी धारा में निरंतर विकास की नई कहानियाँ लिखती रहेगी। रायपुर साहित्य उत्सव के लोगो से छत्तीसगढ़ में आदि-अनादि काल से मजबूत साहित्य की जड़ों और उनसे जुड़ाव का सशक्त संदेश जनमानस तक पहुंचेगा।

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