केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की
नई दिल्ली (khabargali) केंद्र सरकार ने देश में बढ़ते पेयजल संकट को देखते हुए पानी की बर्बादी करने वालों पर नकेल कसने के लिए बड़ा सख्त कदम उठाया है। अब देश में पेयजल का दुरुपयोग या बर्बादी करना दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा दोषियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें पांच साल जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।
एक याचिका का है ये असर
आपको बता दें कि राजेंद्र त्यागी एंड फ्रेंड्स स्वयंसेवी संस्था ने NGT में दाखिल की थी याचिका एनजीओ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में एक जनहित याचिका दायर करते हुए देश में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए इस दंडनीय अपराध घोषित करने की मांग की थी।
NGT ने सरकार को यह निर्देश दिए
इस पर NGT ने सरकार को इस संबंध में अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए थे। NGT ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश दिया था कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पानी की बर्बादी लाभदायक नहीं है और इस तरह के दुरुपयोग की लागत वसूली जानी चाहिए। NGT ने कहा था कि भविष्य में पेयजल संकट बड़ी समस्या होगी।अब इस पर जल शक्ति मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत अधिसूचना जारी की है।
अब इनकी होगी जिम्मेदारी
इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जल आपूर्ति से संबंधित नागरिक निकाय, जल बोर्ड, जल निगम, जल कार्य विभाग, नगर निगम, नगर परिषद, विकास प्राधिकरण, पंचायत या कोई अन्य निकायों की जिम्मेदारी होगी। उन्हें अपने क्षेत्र में दोषियों पर कार्रवाई के लिए अनुपालन तंत्र विकसित करना होगा।
इस तरह से होगा सजा का प्रावधान
मामले के अधिवक्ता ने बताया कि अधिसूचना के अनुसार पीने योग्य भूजल का दुरुपयोग और बर्बादी करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने तथा पांच साल की सजा या फिर दोनों से दंडिया किया जा सकेगा। इसी तरह यदि किसी पर केवल जुर्माना लगाया गया है और उसके बाद भी वह पानी की बर्बाद करता है तो उस पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम की धारा 15 के तहत प्रतिदिन 5,000 रुपये के हिसाब से अतिरिक्त जुर्माना लगेगा।
भारत को बारिश से प्रति वर्ष मिलता है इतना पानी
एकीकृत जल संसाधन विकास पर राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत को प्रति वर्ष बारिश से कुल 4,000 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) पानी मिलता है। इसमें से वाष्पीकरण के बाद स्थलाकृतिक और प्राकृतिक अपवाह के रूप में 1,869 BCM पानी ही बचता है। इसके अलावा अन्य कारणों के बाद देश में उपयोग के लायक केवल 1,122 BCM पानी ही बचता है। ऐसे में अब पानी के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
पानी का दुरुपयोग नहीं रुका तो ये होगा
देश में 2011 से 2025 के बीच प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक पानी की उपलब्धता में 25 प्रतिशत की कमी आई है और यह लगातार बढ़ती जा रही है। यदि पानी का दुरुपयोग नहीं रुका तो साल 2035 तक यह बढ़कर 36 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
ऐसे हो रही है पेयजल की बर्बादी
जल शक्ति विकास मंत्रालय ने कहा कि लोगों में जागरूकता की कमी के कारण भी भूजल का दुरुपयोग हो रहा है। वर्तमान में देश में ओवरहेड टैंक से पानी बर्बाद हो रहा है। इसी तरह शौचालयों में अत्यधिक पानी का उपयोग, नहाने, सिंक और वॉस बेसिन में आवश्यक से अधिक पानी का खर्च, वाहन धोने और पेयजल वितरण लाइनों में लीकेज आदि के कारण भी पानी बर्बाद हो रहा है। ऐसे में इसके लिए लोगों को संवेदनशील बनाना होगा।
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