सदियों का इंतजार हुआ खत्म! राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हुए रामलला

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शुरू हुए 12 तरह के अधिवास

लखनऊ (khabargali) आखिरकार 500 वर्षो का इंतजार खत्म हुआ और अयोध्या में बने श्रीराम मंदिर के भव्य मंदिर में 4 घंटे की पूजा और अनुष्ठान के बाद रामलला अपने गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं. इसके साथ ही प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अन्य तैयारियों को पूरा किया जा रहा है. उनकी अचल मूर्ति को बुधवार देर रात गर्भगृह में पहुंचा दिया गया था. इसके लिए जरूरी कर्मकांड बृहस्पतिवार दोपहर ही शुरू कर दिए गए थे. 21 वैदिक विद्वानों की मौजूदगी में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा अपनी पत्नी के साथ रामलला के गर्भ गृह में पूजन में शामिल हुए. राम मंदिर ट्रस्ट के सभी सदस्य भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल रहे.

शुरू हुए 12 अधिवास

 भगवान रामलला का आज से 12 तरह का अधिवास भी शुरू हुआ है जो 21 जनवरी तक चलेगा. कर्मकांड की शुरुआत गणेश पूजन व अंबिका पूजन के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ. 4 घंटे तक वैदिक विद्वानों ने रामलला की परिसर में पूजन संपन्न कराया और भगवान रामलला के जन्म स्थान पर लगे सिंहासन के नीचे नवरत्नों को भी स्थापित किया गया है. जिसमें स्वर्ण, चांदी, माणिक, पन्ना, गोमेद, हीरा नीलम जैसे कीमती धातु भी शामिल है. नौ ग्रहों के अलावा पवित्र नदियों का जल और पवित्र स्थलों की मिट्टी भी डाली गई. जिसमें प्रमुख रूप से यज्ञशाला , गौशाला, अश्वशाला की मिट्टी के अलावा तीर्थ स्थलों की मिट्टी शामिल थी.पूजन के क्रम में ही भगवान रामलला के अचल विग्रह को पवित्र नदियों के जल और विभिन्न औषधियों से स्नान कराया जाएगा.

मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है प्रतिमा

 प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए भगवान रामलला के आसन के नीचे स्वर्ण का श्री राम यंत्र लगाया गया और उस पर कमल दल पर भगवान रामलला की 5 वर्षीय बालक की खड़ी प्रतिमा को स्थापित किया गया है. यह वही प्रतिमा है जिसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य उडुपी पीठाधीश्वर विश्व तीर्थ प्रपन्नाचार्य ने बताया कि जहां आज रामलला की स्थापना की गई उसे प्रतिमा के नीचे कर्म पीठ की प्रतिष्ठा की गई है. इसके अलावा नवरत्न तथा पवित्र स्थलों की रज भी वहां पर स्थापित की गई है.

पहले चांदी की प्रतिमा को राममंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया

इसके पहले बुधवार को रामलला की चांदी की प्रतिमा को राममंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया। पहले रामलला की अचल मूर्ति को जन्मभूमि परिसर में भ्रमण कराने की योजना थी लेकिन सुरक्षा कारणों और मूर्ति का वजन अधिक होने के कारण परिसर भ्रमण की रस्म रामलला की छोटी रजत प्रतिमा से पूरी कराई गई. बुधवार देर रात प्रभु राम की भव्य मूर्ति राम मंदिर परिसर में पहुंचाई गई. इस दौरान अयोध्यावासियों और मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों की तरफ से ‘जय श्री राम’ के जयकारे लगाए.  रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आज तीसरा दिन है, और भगवान राम की मूर्ति को गर्भगृह के चबूतरे पर सजा दिया गया है.

गर्भगृह के बाहर लगा पर्दा, सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम

 आचार्य दास ने बताया कि गर्भगृह के बाहर पर्दा लगाया गया है और रामलला की मूर्ति की आँखों पर कपड़ा बंधा है. गर्भगृह के आस-पास किसी को भी मोबाइल ले जाने की इजाज़त नहीं है. यहां UPSSF की टीम तैनात है और खासतौर से गर्भगृह के बाहर सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए गए है.

22 जनवरी के बाद नई विधि से होगी पूजा

22 जनवरी के बाद नई विधि से भगवान राम की पूजा की जाएगी. प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद रामानंदी सम्प्रदाय की विधि अपनाई जाएगी. इस दौरान पांच वक्त की विशेष आरती होगी, रामलला के वस्त्र रोजाना बदले जाएंगे. आचार्य दास ने बताया कि पहली और आखिरी आरती पर विशेष सूट का प्रयोग किया जाएगा. बता दें राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विशेष पूजन की नवीन विधि की सूची सत्येंद्र दास को सौंपी है.