
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ और ओडिशा जल मार्ग से भी जुड़ेंगे। इसे ओडिशा के संबलपुर बैराज से नवा रायपुर के बीच बनाने की तैयारी है। इसके लिए राष्ट्रीय जलमार्ग-64 (महानदी नदी) के विस्तार के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। इस डीपीआर तैयार करने का जिम्मा आईआईटी मद्रास के एनटीसीपीडब्ल्यूसी (राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तट प्रौद्योगिकी केंद्र) को दिया गया है।
इस कार्य में ओडिशा सरकार के अनुरोध पर हीराकुड में एमआईसीई (बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी) सुविधाएं स्थापित करने के औचित्य का अध्ययन करना भी शामिल होगा। इससे परिवहन के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की 197वीं बोर्ड बैठक हुई। इसमें भारत में अंतरदेशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
इसमें छत्तीसगढ़ और ओडिशा को जल मार्ग से जोड़ने की पहल भी शामिल है। बताया जाता है कि इसके लिए राज्य सरकार भी लंबे समय से प्रयास कर रही है। दोनों राज्यों के बीच जल विवाद भी : हालांकि महानदी के पानी को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद भी चल रहा है। दोनों राज्यों के बीच महानदी के पानी के उपयोग को लेकर करीब 37 साल से विवाद चल रहा है। दरअसल, महानदी के कैचमेंट एरिया का 53 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में और 46.5 प्रतिशत ओडिशा में है। इसलिए महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
राज्य में खेती- किसानी से लेकर उद्योग और अर्थव्यवस्था में इसकी महती भूमिका है, लेकिन हीराकुंड बांध से छत्तीसगढ़ को न पानी मिल रहा है और न ही बिजली। महानदी का यह विवाद सबसे पहले 1983 में शुरू हुआ। 2016 में ओडिशा सरकार इस मामले को लेकर कोर्ट में चली गई। 2017 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। वहां से ट्रिब्यूनल में भेजा दिया गया। अब दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है।
जल मार्ग के निर्माण से यह है फायदा
जलमार्ग परिवहन सड़क और रेल परिवहन की तुलना में धीमा हो सकता है।
मौसम की स्थिति के प्रति संवेदनशील हो सकता है।
कई बाधाएं हो सकती हैं, जैसे कि चट्टानें, पुल, और अन्य बाधाएं।
जलमार्ग निर्माण से वन्यजीव आवासों को नुकसान हो सकता है।
जलमार्ग निर्माण से जल प्रदूषण, पर्यावरणीय समस्याएं हो सकती हैं।
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