
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं में तीजा पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व की शुरुआत कड़ू भात (करेला-भात) से होती है। मान्यता है कि तीजा व्रत से एक दिन पहले महिलाएं करेला-भात खाती हैं और अगले दिन निर्जला उपवास रखती हैं। यही वजह है कि तीजा से पहले करेले का खास महत्व होता है। इसी परंपरा को जीवित और सम्मानित रखने के लिए राजधानी रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल वार्ड के पार्षद और नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने एक अनूठी पहल करते हुए वार्ड की लगभग 1200 महिलाओं को करेला भेंट किया।
सोमवार सुबह से ही पार्षद आकाश तिवारी और उनकी टीम वार्ड की गलियों में घर-घर पहुंचे। महिलाओं को तीजा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने करेला भेंट किया। इस पहल का उद्देश्य परंपरा को सहेजना और महिलाओं को महंगाई के दौर में थोड़ी मदद देना था। स्थानीय लोगों ने इसे एक सराहनीय कदम बताया।
महंगाई से महिलाएं परेशान तीजा के ठीक पहले करेले की मांग अचानक बढ़ जाती है, जिससे बाजार में इसकी कीमत 80 से 100 रुपए किलो तक पहुंच गई है। महंगाई के इस दौर में कई परिवारों के लिए त्योहार की परंपराएं निभाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में महिलाओं को मुफ्त करेला भेंट करना उनके लिए बड़ी राहत और खुशी की बात रही।
महिलाओं ने जताया आभार, दिया आशीर्वाद करेला प्राप्त करने वाली महिलाओं ने पार्षद आकाश तिवारी के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह न केवल धार्मिक परंपरा का सम्मान है, बल्कि समाज में महिलाओं को सम्मान देने का भी प्रतीक है। महिलाओं ने पार्षद को तीजा पर्व की शुभकामनाएं और आशीर्वाद भी दिया। तीजा पर्व का महत्व छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व का विशेष महत्व है। इसे हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत से एक दिन पहले करेला-भात खाने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
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