हिंदुओं के हिन्दी संवत् मास चित्रगुप्तजी के नाम से है जो अपभ्रंश होकर चैत्रमास हो गया
खजुराहो के विश्व प्रसिध्द सुर्य मंदिर का नाम चित्रगुप्त है
रायपुर (khabargali) हिंदुओं के हिन्दी संवत् मास चित्रमास है जो अपभ्रंश होकर चैत्रमास हो गया है। यह मास चित्रगुप्तजी के नाम से है। इसी चित्रमास के पूर्णिमा को चित्र (चित्रा) नक्षत्र में ब्रह्माजी जी द्वारा 11000 सालकी तपस्या करने के उपरांत उनकी कायासे श्री चित्रगुप्तजी भगवान मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के तट पर उत्पन्न हुए थे। उज्जैन में ही काफी पौराणिक चित्रगुप्त मंदिर भी हैं जहाँ प्रसाद के रूप में कलम, दवात चढ़ाया जाता है जिससे प्रसन्न होकर श्री चित्रगुप्त भगवान अपने भक्तो को मनवांछित फल प्रदान करते हैं, साथ ही कायस्थ के चार तीर्थो में उज्जैनी नगरी में बसा श्री चित्रगुप्त भगवान का ये मंदिर पहले नंबर पर आता है। चित्रमास की पूर्णिमा चित्र पूर्णिमा अर्थात् चित्रगुप्त पूर्णिमा कही जाती है।
चित्रगुप्त के जन्म की कथा
भगवान चित्रगुप्त के जन्म की कथा काफी रोचक है। जब यमराज ने अपने सहयोगी की मांग की, तो ब्रह्मा ध्यान में चले गए। उनकी एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरूष उत्पन्न हुआ। इस पुरूष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। इसलिए ये कायस्थ कहलाये और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा। वह यमराज के सहयोगी बने। जो जीव जगत में मौजूद सभी का लेखा-जोखा रखते हैं। इसीलिए कायस्थ वर्ग चित्रगुप्त जी को वह अपना ईष्ट देवता मनाते हैं।
खजुराहो के सुर्य मंदिर का नाम चित्रगुप्त
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूचि में शामिल यह मंदिर मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो में बने मंदिरों में केवल यही एकमात्र सूर्य मंदिर है जिसका नाम चित्रगुप्त भगवाल के नाम पर पड़ा । गर्भगृह में स्थित रक्षारूढ़ भगवान सूर्य की प्रतिमा के दाहिने ओर हाथ में लेखनी लिए चित्रगुप्त की खण्डित प्रतिमा है। यह मंदिर निरन्धार शैली में बना है। चित्रगुप्त मंदिर राजा धंगदेव वर्मन के पुत्र महाराजा गण्डदेव ने 11वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में बनवाया था।
सर्वश्रेष्ठ संरक्षित स्मारक
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है इस मंदिर खजुराहो के स्मारकों को प्राचीन काल के सबसे अच्छे संरक्षित स्मारक घोषित किये गए हैं। मंदिरों का पुनः अविष्कार खजुराहो के मंदिर जिनका निर्माण मध्यकाल में हुआ था, इन्हें फिर से 20वीं सदी में पुनः खोज निकाला गया जिसके बाद इन्हें संरक्षित किया गया। खजुराहो के मंदिरों को मध्यकालीन काल के दौरान का भारतीय वास्तु प्रतिभा का सबसे बेहतरीन नमूना माना जाता है।
कांचीपुरम् चेन्नई में भी है चित्रगुप्त भगवान के मंदिर
कांचीपुरम् चेन्नई में चित्रगुप्तजी का प्राचीन मंदिर है। पूरे दक्षिण भारत में चित्र पूर्णिमा के दिन को चित्रगुप्तजी का जन्मदिन मनाया जाता है और चित्र पूर्णिमा से वैशाख पूर्णिमा तक यम नियम का पालन किया जाता है।
ऐसा है भगवान चित्रगुप्त का स्वरूप
भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात है। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। यमराज और चित्रगुप्त की पूजा एवं उनसे अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने से नरक का फल भोगना नहीं पड़ता है। यमराज के दरवार में उस जीवात्मा के कर्मों का लेखा जोखा होता है। कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले भगवान हैं चित्रगुप्त। यही भगवान चित्रगुप्त जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त जीवों के सभी कर्मों को अपनी पुस्तक में लिखते रहते हैं और जब जीवात्मा मृत्यु के पश्चात यमराज के समझ पहुचता है तो उनके कर्मों को एक एक कर सुनाते हैं और उन्हें अपने कर्मों के अनुसार क्रूर नर्क में भेज देते हैं।
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