
नई दिल्ली (khabargali) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि वह दो दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे देंगे और दिल्ली में समय पूर्व चुनाव कराने की मांग करेंगे. केजरीवाल ने कहा कि जब तक लोग उन्हें ‘’ईमानदारी का प्रमाणपत्र’’ नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. आबकारी नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने कहा कि अगले कुछ दिन में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की बैठक होगी और पार्टी के एक नेता को मुख्यमंत्री चुना जाएगा.
‘’चर्चा में रहने का हथकंडा’’ और ‘’नाटक’’: भाजपा
भाजपा ने केजरीवाल पर पलटवार करते हुए उनके इस कदम को ‘’चर्चा में रहने का हथकंडा’’ और ‘’नाटक’’ करार दिया. बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने तंज कसा, "कौन सी ऐसी निजी चीज़ है जो आप 48 घंटे की मोहलत मांगने की कोशिश कर रहे हैं. सरकारी काम आप कर नहीं सकते तो फिर 48 घंटे किसके लिए चाहिए." "जब उन्होंने इस्तीफ़े की बात की तो हम ये कह सकते हैं कि ये जुर्म का इक़बालिया बयान हो गया, आपने मान लिया है कि आप पर जो आरोप हैं उसके साथ आप पद पर नहीं रह सकते. " उन्होंने सवाल किया कि केजरीवाल किस मजबूरी में इस्तीफ़े की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "दिल्ली में उनकी सरकार है वो चाहें तो असेंबली भंग कर दें. पहले चुनाव करवाने की मांग क्यों कर रहे हैं."
'मजबूरी में लिया गया फ़ैसला'- कांग्रेस
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि वो ‘नाटक’ कर रहे हैं जब उन्हें जेल हो गई थी तभी उन्हें सीएम पद छोड़ देना चाहिए था, लेकिन उसक वक्त उन्होंने ऐसा नहीं किया. अब बचा क्या है, अब ये घोषणा करने का क्या मतलब है." "सुप्रीम कोर्ट ने उन पर सरकारी फाइल साइन करने को लेकर पाबंदी लगाई है. हेमंत सोरेन भी जेल से रिहा हुए हैं, उन पर कोई शर्त नहीं लगाई गई थी."
पद पर रहने के लिए कोई नैतिकता नहीं बच जाती : जेडीयू
जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बयान जारी कर कहा - "सर्वोच्च न्यायालय ने आपको मजबूर कर दिया है. आपको मुख्यमंत्री कार्यालय जाने से मना कर दिया है. यह मजबूरी में लिया गया फ़ैसला है. यह आपके मन से लिया गया फ़ैसला नहीं है." उन्होंने कहा, “सीएम बनने या न बनने का मतलब नहीं है क्योंकि हम तो बहुत पहले से कह रहे थे कि उन्हें ये पद छोड़ देना चाहिए. भले ही किसी कारण से आपको जेल हुए हो आपको बहुत पहले ये पद छोड़ देना चाहिए था लेकिन अब ये केवल नाटक है.” “इतिहास में शायद पहली बार हुआ है कि कोई पद पर बैठा आदमी जेल जाए और उसे ज़मानत मिलने पर कोर्ट कहे कि ख़बरदार तुमने कोई फ़ाइल छुई या तुम कुर्सी पर बैठे. हेमंत सोरेन साब जेल से छूटे तो उन पर कोई रोक कोर्ट ने नहीं लगाई. “सुप्रीम कोर्ट को भी डर है कि ये आदमी सुबूत मिटा देगा, गवाहों को डराएगा-धमकाएगा. सुप्रीम कोर्ट एक क्रिमिनल की तरह उन्हें ट्रीट कर रहा है इसलिए पद पर रहने के लिए कोई नैतिकता नहीं बच जाती है.”
- Log in to post comments