बारहवीं की पुस्तक से खालिस्तान के संदर्भ हटे

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सरकार ने ये फैसला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की आपत्ति के बाद लिया

नई दिल्ली (khabargali) एनसीईआरटी की पुस्तकों से पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज और अल्लामा इकबाल को हटाए जाने के बाद अब पंजाब में सिख रियासत खालिस्तान की मांग वाला संदर्भ भी हटा दिया गया है. सरकार ने ये फैसला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की आपत्ति के बाद लिया है. इसमें कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से अलग सिख राष्ट्र खालिस्तान की मांग के संदर्भ हटाने की मांग की गई है, जिसे गलत तौर पर किताब में पेश किया गया था.

गौरतलब है कि एसजीपीसी ने पिछले महीने इल्जाम लगाया था कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपनी 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान के सिलेबस में सिखों के बारे में ऐतिहासिक विवरण को गलत तरीके से पेश किया है. संगठन का ऐतराज आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के बारे में 'स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति' पुस्तक में लिखे गए संदर्भों से था. आनंदपुर साहिब के प्रस्ताव में संघवाद को मजबूत करने के लिए एक दलील थी, लेकिन इसकी व्याख्या एक अलग सिख राष्ट्र के लिए याचिका के रूप में की गई थी. किताब से इस वाक्य को भी हटाया गया है, कि चरमपंथी तत्वों ने भारत से अलगाव और 'खालिस्तान’ के निर्माण की वकालत शुरू कर दी थी. जिन वाक्यों को हटाया गया है, उनमें से एक में लिखा है ‘‘प्रस्ताव, संघवाद को मजबूत करने के लिए एक दलील थी, लेकिन इसकी व्याख्या एक अलग सिख राष्ट्र के लिए याचिका के रूप में भी की जा सकती है’’. इस वाक्य को भी हटाया गया कि अधिक चरमपंथी तत्वों ने भारत से अलगाव और 'खालिस्तान' के निर्माण की वकालत शुरू कर दी. बयानों को फिर से इस तरह लिखा गया है कि प्रस्ताव, संघवाद को मजबूत करने की दलील थी.

शिक्षा मंत्रालय में स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार के अनुसार, ‘‘श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को गलत तरीके से पेश करके सिख समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री को वापस लेने के संबंध में एसजीपीसी से ज्ञापन प्राप्त हुआ था. इस मुद्दे की जांच के लिए एनसीईआरटी की विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई थी और उसकी सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया गया था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एनसीईआरटी ने शुद्धि पत्र जारी किया है. नए शैक्षणिक सत्र के लिए भौतिक रूप से पुस्तकें मुद्रित की जा चुकी हैं, वहीं डिजिटल पुस्तकों में बदलाव दिखेगा.’’ आनंदपुर साहिब प्रस्ताव 1973 में शिरोमणि अकाली दल का अपनाया गया एक दस्तावेज था. प्रस्ताव में सिख धर्म के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गयी और पंजाब के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग की गयी. इसमें यह भी मांग की गयी कि चंडीगढ़ शहर को पंजाब को सौंप दिया जाना चाहिए और पड़ोसी राज्यों में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से कई विषयों और अंशों को हटाने से पिछले महीने विवाद शुरू हो गया था और विपक्ष ने केंद्र पर ‘‘बदले की भावना के साथ लीपापोती’’ करने का आरोप लगाया था.

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