भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया के सामने लाने वाले पहले पत्रकार थे राजकुमार केसवानी

Rajkumar keswani khabargali

नई दिल्ली(khabargali)। देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार केसवानी का शुक्रवार को कोरोना से निधन हो गया। संक्रमित होने के बाद उन्हें राजधानी के बंसल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। अप्रैल के पहले हफ्ते में उन्हें कोरोना हुआ था। हालांकि 21 अप्रैल को उनकी कोरोना निगेटिव आ गई थी। पिछले 10-12 दिन से वो वेंटिलेटर पर थे। राजकुमार केसवानी भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया के सामने लाने वाले पहले पत्रकार थे और इसी गैस कांड की रिपोर्टिंग ने उन्हें दुनियाभर में मशहूर किया।

न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए भी उन्होंने गैस त्रासदी की इंवेस्टिगेटिव सिरीज की थी। वे भास्कर में लगातार कई दशकों से मशहूर कॉलम ‘आपस की बात’ लिख रहे हैं। वे 2003 में दैनिक भास्कर इंदौर के रेसिडेंट एडिटर बने थे और उसके बाद 2004 से 2010 तक भास्कर की मैगजीन रसरंग के संपादक भी रहे।

केसवानी ने ढाई साल पहले जताई भोपाल गैस कांड की आशंका

वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने बताया, राजकुमार केसवानी उनके अच्छे मित्र थे। उन्हें वह पिछले 40 साल से जानते थे। केसवानी पहले साप्ताहिक मैगजीन ‘शहर नामा’ और साप्ताहिक अखबार रपट निकालते थे। रपट में उन्होंने ढाई साल पहले भोपाल गैस कांड को लेकर भविष्यवाणी कर दी थी। मैं उस समय इंडियन एक्सप्रेस मध्य प्रदेश का संवाददाता था। गैस कांड को लेकर उन्होंने जनसत्ता में आर्टिकल लिखा था, वह बहुत चर्चित हुआ था। मुझे 3 दिसंबर 1984 गैस कांड की रात याद है। मुझे रात करीब 12.30 बजे केसवानी जी का फोन आया। उन्होंने पूछा कि शहर में कुछ हुआ है क्या? मेरा दम घुट रहा है।

उनका घर भोपाल के इतवारा में था। मैंने पुलिस कंट्रोल रूम फोन लगाया, लेकिन कहीं बात नहीं हुई। बाहर निकला तो देखा कि सड़क पर लोग भाग रहे थे। कुछ देर में मेरी भी आंखों में जलन होने लगी। पूछने पर कुछ लोगों ने बताया कि यूनियन कार्बाइड संयंत्र की गैस की टंकी फूट गई है। यह संयोग था कि उन्होंने उसके खतरे को लेकर सबसे पहले लिखा। उस घटना की मुझे ही पहले जानकारी दी।

केसवानी का पत्रकारिता का करियर

-1968 में स्पोर्ट्स टाइम्स के सह संपादक के रूप में काम शुरू किया। - 1977 में हिन्दी साप्ताहिक अखबार ‘रपट’ निकाला। - 1998-2003 तक एनडीटीवी के मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ ब्यूराे प्रमुख रहे। - 2003 से दैनिक भास्कर इंदौर के संस्करण के संपादक बने। - 2004 से 2010 तक भास्कर समूह में ही संपादक (मैगजीन्स) रहे।

इन पत्र-पत्रिकों से जुड़े रहे 50 साल की पत्रकारिता में वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। इसमें द न्यूयॉर्क टाइम्स, द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया, संडे, द संडे ऑब्जर्वर, इंडिया टुडे, आउटलुक, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, इंडियन एक्सप्रेस, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, दिनमान, न्यूज टाइम, ट्रिब्यून, द वीक, द एशियन एज, द इंडिपेंडेंट।

गैस कांड से प्रसिद्धि पर दु:ख जताते थे

सप्रे संग्रहालय के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार विजय दत्त श्रीधर ने बताया कि राजकुमार केसवानी अनूठे पत्रकार थे। वह खोजी पत्रकारिता के साथ सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता करते थे। उन्होंने बताया, केसवानी का पुराने शहर के पीरगेट के पास छोटा सा ऑफिस हुआ करता था।

जहां से वह रपट नाम का अखबार निकाला करते थे। उस अखबार में यूनियन कार्बाइड के प्रलय के कारण बनने की पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। जो बाद में सही साबित हुई। उसने ही उनको दुनिया में प्रसिद्धि दिलाई। श्रीधर बताते हैं कि केसवानी हमेशा कहते थे कि मुझे दुख है कि गैस कांड की घटना के कारण मुझे पहचान मिली।

वरिष्ठ आईएएस को कहते थे, तुम भोपाल की पटिया संस्कृति के हत्यारे हो

श्रीधर बताते हैं कि केसवानी के वरिष्ठ आईएएस एमएन बुच से अच्छे संबंध थे। वह हमेशा बुच को भोपाल की पटिया संस्कृति का हत्यारा कहते थे। बुच ने भोपाल नगर निगम में रहते घरों के बाहर लगे पटिया को तुड़वा दिया था। कारण बताया था कि नालियों की सफाई ठीक से नहीं होती है। श्रीधर बताते हैं कि उस समय लोगों के घरों के बाहर लकड़ी की पटिया लगी होती थी। इस पर बैठकर लोग चर्चा किया करते थे। यह भोपाल में पारस्परिक संवाद के लिए महत्वपूर्ण होते थे। यह लोगों के बीच सामाजिक संवाद के केंद्र थे।

श्रीधर बताते हैं कि केसवानी का परिवार सिंध से आकर भोपाल में बसा था। उनके पिता लक्ष्मण दास केसवानी भी भोपाल शहर की सामाजिक-राजनीतिक हलचल के केन्द्र हुआ करते थे। वह डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा के मित्र थे। उनके पिता सिंधी भाषा में अखबार निकालते थे, जो अभी भी निकलता है।