रविन्द्र गिन्नौरे का अग्र लेख
ख़बरगली@साहित्य डेस्क
धार्मिक भावनाओं को आहत कर हिंसा और आतंक का माहौल फैलाने वाले छत्तीसगढ़ में पैर पसारने लगे हैं। बलौदा बाजार प्रदर्शन के चलते ऐसा ही भयावह मंजर देखने को मिला। प्रदर्शन के दौरान सुनियोजित षड्यंत्र कारियों ने तोड़फोड आगजनी करते हुए मारपीट भी की। हिंसक वारदातें को अंजाम देने वाले 148 आरोपियों को पुलिस ने अब तक गिरफ्तार किया है। वीडियो फुटेज के आधार पर गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है।
छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की घटनाएं तेजी से घट रही हैं। केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद ऐसी घटनाएं तेजी से घट रहीं है। शांत और आपसी सौहार्द्र को सँजोए छत्तीसगढ़ धार्मिक हिंसक उन्मादों से अब तक अछूता रहा है। छत्तीसगढ़ में इसकी शुरूआत के साथ एक के बाद एक मंदिरों की मूर्तियों को खंडित कर तोड़फोड़ करने वाले सक्रिय हो गए हैं। मंदिरों में हमलावर लोग भले ही स्थानीय लोग. हैं लेकिन इनके पीछे एक सोची-समझी रणनीति बनाने वाले सशक्त षड़यंत्रकारी काम कर रहें हैं। ऐसे षड़यंत्रकारी घर्म स्थलों को निशाने पर लेकर लोगों के बीच हिंसा के बीज बो रहें है।
समूचे देश में भय और आतंक का माहौल पैदा करने वाले आखिर कौन हैं.. ? छत्तीसगढ़ में घर्म स्थलों पर तोड़फोड़ कर मूर्तियों को खंडित करने का सिलसिला मई 2024 से चल रहा हैं। इस पर एक नजर डालें । 16 मई को गिरौधपुरी महाकोनी स्थित अमर गुफ़ा में तोड़फोड़ हुई। 25 मई के दौरान शिकारी केसली, लोहारी, भंवरगढ़, गोरदी के मंदिरों की मूर्तियों को खंडित किया गया। शिकारी केसली में हनुमान प्रतिमा खंडित कर दी गई। 10 जून को बलौदा बाजार में सतनामी समाज के प्रदर्शन के बीच हिंसा, आगजनी का तांडव हुआ। बलौदाबाजार की आग शांत हुई नहीं थी कि ।। जून को अंबिकापुर के समीप शिवमंदिर पर कहर बरपाया गया। 16 जून को रायपुर खरोरा के फरहदा गाँव में कृष्ण की मूर्ति खंडित कर दी गई। एक के बाद एक एक धर्मस्थलों की मूर्तियों को खंडित करने के पीछे आखिर कौन हैं ?
घर्म स्थलों पर तोड़फोड़ कर हिंसा और आतंक फैलाने वाले रायपुर और बलौदाबाजार में एकाएक सक्रिय कैसे हो गये हैं? दस जून को सतनामी समाज ने बलौदा बाजार जिला परिसर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ती चली गई। पुलिस और प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की भीड़ के हिंसक मनसूबे को गंभीरता से नहीं लिया। भीड़ ने सरकारी कार्यालयों में घुसकर उग्र रूप ले लिया। तोड़फोड़ करने के साथ कर्मचारियों से मारपीट कर आगजनी करने वाले बेखौफ तांडव करते रहे। सरकारी कार्यालयों को आग के हवाले किया वहीं कार्यालयों के आसपास खड़े वाहनों को भी निशाना बनाया गया।
प्रदर्शनकारियों में कुछ लोग एक सोची समझी साजिश को अंजाम देते रहे। जिन्होंने ऐसी रणनीति बनाई की प्रशासन पंगु सा बना रह गया। बलौदा बाजार में दो किलोमीटर तक उग्र भीड़ का सैलाब चारों तरफ उमड़ पड़ा और हर कोई अपनी जान बचाकर भाग खड़ा होना हुआ। चौतरफा हिंसा,आगजनी को अंजाम देती हिंसक भीड़ ने वह सब कुछ किया जैसा वे तय करके आये थे। लोगों की कार और दुपहियां वाहन जो दूर दूर तक खड़े थे उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। आग बुझाने के लिए आये फायर बिग्रेड को रास्ता नहीं दिया और उन्हें बीच सड़क रोककर आग के हवाले कर दिया। सरकारी कार्यालयों में लगी आग बुझाई नहीं जा सकी और आग ने सब कुछ राख कर दिया। पुलिस भीड़ पर काबू पाने के लिए लाठी चार्ज नहीं कर सकी ना ही अश्रु गैस के गोले फेंक सकी। पहले जो पुलिस प्रदर्शनकारियों के लिए इंतजाम में जुटी थी वह हिंसक होती भीड़ को देखकर अपनी जान सलामती के लिए पीछे हट गई। फिर भी बहुत सारे पुलिस कर्मी धायल हो गये।
छत्तीसगढ़ को कलंकित करने वाली घटना से कई सवाल उठते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे भाजपा की तुष्टीकरण नीति और लापरवाही कहा है। इसी के साथ बघेल ने कई सवाल भी उठाए हैं। धरना प्रदर्शन को कलेक्टर से परमिशन दिलाने वाला कौन था? रैली में आने वाले हजारों लोगों के लिए भोजन, मंच, पंडाल, माइक का इंतजाम किसने किया था ? प्रदर्शनकारियों में लोग लाठी, डंडा लेकर आए थे प्रशासन क्या कर रहा था? आम जनता के वाहन जलाये जा रहे थे लोगों को दौड़कर पीट जा रहा था तो पुलिस कहां थी..!
यह राजनीतिक विरोधाभास कहा जा सकता है। कांग्रेस की घटना को भाजपा की तुष्टिकरण नीति इंगित कर रही है अगर ऐसा होता तो रायपुर के भाजपा विधायक मोतीलाल साहू के भतीजे पर जानलेवा हमला नहीं होता। विधायक ने आरोप लगाया कि पुलिस की वर्दी में कुछ लोगों ने उनको रोका और कार से नीचे उतारकर बुरी तरह से पीटा। इसके बाद गाड़ी में तोड़फोड़ की गई।
बलौदा बाजार में हिंसक घटना के बाद कलेक्टर और एसपी को सस्पेंड कर दिया गया। इसी के साथ अब तक भीम आर्मी, भीम रेजीमेंट, भीम क्रांतिवीर, क्रांति सेना, इंडियन सतनामी समाज जैसे 20 संगठनों के प्रमुखों सहित 148 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार लोगों में बीस मोस्टवांटेड निकले। सोशल मीडिया की पोस्ट को खंगाल कर हिंसा फैलाने वालों की तलाश जारी है। वीडियो फुटेज के आधार पर दोषियों की गिरफ़्तारी हो रही है।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा सुनियोजित तरीके से हिंसा की गई है। एक सुंदर बिल्डिंग जला दी गई, इससे क्या हासिल हुआ! उन्होंने स्पष्ट कहा कि उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई होगी। बहरहाल बलौदा बाजार की हिंसात्मक घटना को राजनीतिक चश्मे से न देखकर उसके पीछे षड्यंत्र का पर्दाफाश करना होगा ताकि छत्तीसगढ़ में धार्मिक आतंकवाद हिंसा अपना पैर नहीं पसार सके और छत्तीसगढ़ को कलंकित करने वालों का चेहरा सामने आ सकें।
(यह लेखक के निजी विचार है)
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