कोरोना संक्रमित होने पर कितना ख़तरा है डायबिटीज़ होने का?

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डेस्क(khabargali)। कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे विशेषज्ञ इन दिनों संक्रमित लोगों में डायबिटीज़ के मामले देख रहे हैं.विशेषज्ञों का कहना है कि उन लोगों में भी डायबिटीज़ देखने को मिला है जिनमें यह पहले से नहीं था. चिकित्सक इसे कोविड-19 से हुई डायबिटीज़ कह रहे हैं।

मुंबई के केईएम हॉस्पिटल के डायबिटीज़ विशेषज्ञ डॉ. वेंकटेश शिवाने ने बताया, "कोरोना संक्रमितों में डायबिटीज़ के मामले 10 प्रतिशत से भी कम मरीज़ों में दिखे हैं, इसके बाद भी यह चिंता का विषय तो है ही।"

दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने के बाद हुए डायबिटीज़ को लेकर अध्ययन चल रहा है. जिन मरीज़ों में डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर होता है उनमें कोरोना संक्रमण होने का ख़तरा ज़्यादा होता है।

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डायबिटीज़ होने से हृदय संबंधी रोग का ख़तरा क्यों बढ़ता है? इसके बारे में जानने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद शुगर का लेवल क्यों बढ़ता है?

विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी अहम वजहें हैं-

डायबिटीज़ लोगों में कोरोना संक्रमण और बीमारी के चलते काफ़ी तनाव उत्पन्न होता है. तनाव से शुगर का लेवल बढ़ता है।

इलाज के दौरान स्टेरॉयड के सेवन से भी शुगर की मात्रा बढ़ती है।

जिन लोगों में डायबिटीज़ के लक्षण कभी नहीं थे, उनमें भी संक्रमण के बाद तेज़ी से शुगर का स्तर बढ़ता है।

पोस्ट कोविड केयर कितना ज़रूरी?

डॉ. शिवाने बताते हैं, "कोविड से ठीक होने के बाद सेलिब्रेट करने की ज़रूरत नहीं है, अगर आप डायबिटीक हैं तो फिर आपने आधी लड़ाई ही जीती है. कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में शरीर में शुगर लेवल नियंत्रित करना सबसे अहम है.

कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के लिए वे सुझाव देते हैं कि-

कोरोना संक्रमित प्रत्येक शख़्स को डायबिटीज़ की जांच करानी चाहिए.

ख़ासकर जो लोग अपने घरों में क्वारंटीन हैं उन्हें अपने शुगर लेवल की जांच करनी चाहिए.

कोरोना से ठीक होने के 180 दिनों के भीतर शुगर लेवल को नियंत्रित करना बेहद आवश्यक है.

शुगर लेवल 70 और 180 तक होना चाहिए.

एचबी1सी ( तीन महीने का औसत शुगर लेवल) सात से कम होना चाहिए.

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