चट्टानों से भी मजबूत इस मासूम बालक के साहस को सलाम : भूपेश बघेल
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ के जांजगीर में 11 साल के राहुल के बोरवेल में गिरे हुए 90 घंटे से ऊपर हो गए हैं। बताया जा रहा है कि अब जल्द ही राहुल को बाहर निकाला जा सकेगा। एनडीआरएफ, सेना, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित 500 से अधिक कर्मी शुक्रवार शाम से चल रहे व्यापक बचाव अभियान में जुटे हुए हैं। दिल्ली में उठापठक के बीच भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जांजगीर के पिहरीद में बोरवेल में फंसे मासूम राहुल के बचाव अभियान पर संपर्क बनाये हुए हैं। कलेक्टर से बीच-बीच में पूरी जानकारी ले रहे हैं। इस बीच ट्वीट कर उन्होने मासूम राहुल और अभियान दल के सदस्यों का हौसला बढ़ाने के लिए कहा कि सबकी दुआएं मासूम राहुल के साथ है। अभी इशारों में उन्होने कुछ खाने की मांग की है। रेसक्यू अभियान जारी है। चट्टानों से भी मजबूत इस मासूम बालक के साहस को सलाम है।
राहुल होश में है
कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि राहुल की हालत अब बिगड़ रही है।हालांकि सर्जन का कहना है कि उसकी सांस की गति सामान्य है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना और पुलिसकर्मियों सहित बचाव दल बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर गड्ढे से सुरंग बनाने के मकसद से सतह के नीचे की चट्टानों को काटने के लिए संघर्ष करते रहे। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक राहुल होश में है और उसकी हरकतें दिख रही हैं।
महज ढाई फीट की दूरी पर राहुल
बोरवेल में गिरे राहुल को निकलने में कुछ समय लगेगा क्योंकि NDRF की टीम बहुत ही नजदीक पहुंच चुकी है। लेकिन एक- दो बड़े पत्थरों के बीच में आ जाने से मुश्किलें पैदा हो रही हैं। हालांकि, एनडीआरएफ की टीम बहुत ही सूझबूझ से पत्थर को हटाने का काम कर रही है क्योंकि डर है कि पत्थर को तोड़ते समय कहीं राहुल को चोट न लग जाए। एनडीआरएफ की टीम ने बल्ली के सहारे एक स्ट्रक्चर खड़ा किया है। इसके साथ ही वाइब्रेटर से राहुल के नीचे के पत्थर को चिकना बनाया जा रहा है। जिससे उसको बाहर निकालने के दौरान चोट न लगे।
गड्ढे का मुंह चौड़ा होने की वजह से राहुल को मिल रही राहत
स्थानीय प्रशासन के अनुसार बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे का मुंह जरूर छोटा है, लेकिन अंदर से वह चौड़ा हो गया है। वहीं नीचे पत्थर भी लगे हैं। इसके कारण राहुल उसमें अटका हुआ है। हालांकि उसे काफी चोटें भी आई होंगी। इसके बाद भी उसने हिम्मत बांधी हुई है।
कैमरे के माध्यम से राहुल की स्थिति की निगरानी की जा रही है
उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ लगातार कैमरे के माध्यम से राहुल की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हमने एक स्पीकर को रस्सी से नीचे उतारा है ताकि उसके माता-पिता उससे बात कर सकें और उसका हौसला बढ़ा सकें। उसे आज केला और ओआरएस का घोल दिया गया।'' उन्होंने कहा, ‘‘माता-पिता के अनुसार, बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है और ठीक से बात नहीं कर पा रहा है। वह हमारे आदेशों का ठीक से जवाब नहीं दे रहा है। हम उसे बहुत पहले रस्सी के जरिए बाहर निकाल लेते, लेकिन उसने उसे नहीं पकड़ा।'' बचावकर्मी भी एहतियात बरत रहे हैं क्योंकि बोरवेल के अंदर कोई केसिंग पाइप नहीं है।
मिट्टी धंसने का खतरा बना हुआ है
बोरवेल आठ इंच चौड़ा है, इसलिए मिट्टी धंसने का खतरा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिकित्सकीय दल को सतर्क रहने और बच्चे को बाहर निकाले जाने के बाद अस्पताल पहुंचाने के लिए एक हरित गलियारा बनाने का निर्देश दिया है। बोरवेल के अंदर कुछ पानी था जहां बच्चा फंसा था। एनडीआरएफ के जवान इसे निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने बोरवेल चालू करने के लिए कहा गया था, जबकि भूजल स्तर को कम करने के लिए पास के दो बांध से भी पानी छोड़ा जा रहा इस बीच, बच्चे को सुरक्षित निकाले जाने के लिए सोशल मीडिया पर दुआएं की जा रही हैं।
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