10 से 20 नवंबर तक तीज-त्योहार का सिलसिला दूसरे चरण के मतदान को प्रभावित कर सकता है
भाजपा-कांग्रेस में शुरू हो गई है चर्चा, जल्द ही चुनाव आयोग को सौंपा जा सकता है ज्ञापन
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का विधानसभा चुनाव 17 नवंबर को प्रस्तावित है। जिसके तहत 70 विधानसभा की सीटें हैं, अब इस तिथि में मतदान को लेकर राज्य में बदलाव की मांग उठने लगी है क्योंकि 10 से 20 नवंबर तक छत्तीसगढ़ में तीज-त्योहार का सिलसिला शुरू हो रहा है। जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ में मतदान का प्रतिशत कमजोर हो सकता है। त्यौहारी सीजन में लोगों को चुनावी गतिविधियों में शामिल कर पाना नेताओं को भी मुश्किल लग रहा है। इसलिए सभी राजनीतिक दल इस बात पर सहमत नजर आ रहे हैं कि 17 की तारीख को आगे बढ़ाया जाए इसके लिए वे दलील रख रहे हैं कि जब राजस्थान में चुनाव की तारीख बदली जा सकती है तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? फिलहाल निर्वाचन आयोग की ओर से कोई संकेत अभी तक नहीं मिले हैं।
ये बड़े त्योहार होने है
10 नवंबर को धनतेरस, 12 नवंबर को नरक चतुर्दशी(छोटी दिवाली), 12 नवंबर को दिवाली, 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा और उसी दिन भाई दूज है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार गोवर्धन पूजा 14 नवंबर से ही मातर और मेला-मड़ई की भी शुरुआत भी होती है,आमतौर पर यह त्यौहार ग्रामीण इलाकों में पांच दिनों तक चलता है। इसके बाद 17 नवंबर को खरना से छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है जो 20 नवंबर सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के साथ समाप्त होगा। इसी 17 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में उत्तर भारत के बड़ी संख्या में मतदाता हैं, जो छठ पर्व में अपने-अपने गांव (बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड) जाते हैं।
अंगारमोती मंडई भी 17 नवंबर को
धमतरी जिले के अंगारमोती मंदिर में 17 नवंबर को ही प्रसिद्ध मंडई का आयोजन तय हुआ है। यह तय माना जा रहा है कि आस्था का पर्व, लोकतंत्र के पर्व को फीका कर सकता है,क्योंकि अंगारमोती मंडई में लोग सुबह से गंगरेल पहुंचने लगते है।
सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भी चिंतित
सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के बीच भी इस बात को लेकर चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के चलते पूरे त्यौहार में परिवार से अलग रहना पड़ सकता है, छत्तीसगढ़ में अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं, जो आमतौर पर दीपावली मनाने मध्यप्रदेश जाते हैं। इस बार चुनाव की ड्यूटी के चलते उन पर त्योहारों के उमंग का रंग फीका पड़ने वाला है।
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