रेप पीडि़ता कोमा में गई या मौत, तो 10 दिनों में फांसी
कोलकाता (khabargali) कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले महीने एक चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बाद सोमवार को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया। सदन ने बलात्कार के ख़िला.फ पेश किये गए ‘अपराजिता बिल’ (बलात्कार रोधी विधेयक) को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024’ में .फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। इस बिल को पश्चिम बंगाल के .कानून मंत्री मलय घटक ने सदन के पटल पर रखा। इसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के साथ साथ ‘प्रोटेक्शन ऑ.फ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल एब्यूज विधेयक, 2019 में संशोधन कर इसमें पश्चिम बंगाल राज्य के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को ‘आंखों में धूल झोंकने वाला’ बताया, हालांकि इसके बावजूद विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अधिकारी द्वारा पेश किए गए अधिकांश संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया।
बिल के विशेष बिन्दु
1.‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024’ में दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास या फिर मृत्युदंड और जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है।
2. बिल के मुताबिक पहली रिपोर्ट दर्ज होने के 21 दिन के भीतर ट्रायल पूरा हो जाना चाहिए।
3. बलात्कार पीडि़ता की मौत होने या उसके स्थायी रूप से अचेत अवस्था में चले जाने की सूरत में ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। दोषियों को 10 दिन में फांसी होगी।
4. बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए और उन्हें पेरोल की सुविधा न दी जाए।
5. इसके अलावा पीडि़ता की पहचान को सार्वजनिक करने पर भी कानून में सख्ती का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत अगर कोई ‘बिना अनुमति के’ मुकदमे की कार्यवाही का विवरण या इसका खुलासा करता है, तो उस पर 3 से लेकर 5 सालों की सज़ा होगी।
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