भारत में शुक्रवार से होगी रमजान की शुरुआत

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नई दिल्ली (khabargali) इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान की शुरुआत भारत में शुक्रवार से होगी। दिल्ली के फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि देश में कहीं भी चांद नजर नहीं आने की सूचना मिलने के बाद चांद कमेटी ने यह फैसला किया कि पहला रोजा शुक्रवार को होगा।

रमाजन इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इसमें एक महीने तक इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रोजा रखते हैं। इस पवित्र महीने की शुरुआत चांद देखने के बाद से होती है। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। रमजान के प्रारंभ होते ही मुस्लिम लोग रोजा रखना शुरू कर देते हैं। अरबी शब्दकोश में उपवास को सौम कहा जाता है, इसलिए इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फारसी में उपवास को रोजा कहते हैं। इस साल ये पाक महीना 23 मार्च से शुरू होने की उम्मीद है।

रमजान में हर मुसलमान के लिए रोजा रखना अनिवार्य माना गया है। रोजा की शुरुआत सुबह सहरी के साथ होती है और फिर शाम में इफ्तार करके रोजा खोला जाता है। माना जाता है कि रमजान की शुरुआत चांद दिखने के अगले दिन से होता है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि मक्का में आज चांद नजर आता है तो कल से आरंभ हो सकता है।

क्या है सहरी

रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी ली जाती है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान माह में सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है।

क्या है इफ्तार

दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रहने के बाद शाम को नमाज पढ़ने के बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। इसके बाद से सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है।

रमजान में रखें इन नियमों का पालन

इस बार रमजान का महीना पूरे 30 दिन का होगा। इस बार आखिरी रोजा 21 अप्रैल को होगा और इस हिसाब से इस बार ईद 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। रमजान के महीने में कुछ सख्त नियमों का पालन करना अनिवार्य है। आइए जानते हैं क्या है वो नियम। रमजान के दौरान हर रोजेदार के लिए पांच वक्त की नमाज बहुत जरूरी है। रमजान के पवित्र महीने में ईद से पहले जकात यानी दान बेहद जरूरी है। जकात में अपने सालभर की कमाई का ढाई फीसदी हिस्सा जरूरतमंदों को दान देना अच्छा होता है। इस महीने इबादत करने वाले हर शख्स को अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए।

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