
निवृत्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया विमोचन
जानिए गोठ झंगलू मंगलू की कैसे हुई शुरुआत..और क्यों प्रसिद्ध है ये कॉलम
रायपुर (khabargali) निवृत्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास में वरिष्ठ पत्रकार विजय मिश्रा की समसामयिक विषयों व घटनाओं पर आधारित हास्य व्यंग की किताब " गोठ झंगलू मंगलू के " के प्रथम संस्करण का विमोचन किया । इस अवसर पर गीत गजल और व्यंग्यकार रामेश्वर वैष्णव सहित बड़ी संख्या में साहित्य जगत से जुड़ी हस्तियां , पत्रकारगण, जनप्रतिनिधिगण और गणमान्यजन उपस्थित थे।
ऐसी रही गोठ झंगलू मंगलू की यात्रा
राजधानीवसियों के लिखने- पढ़ने वाले वर्ग के बीच " गोठ झंगलू मंगलू के " कालम की चर्चा आम बात है। विजय मिश्रा जो कि राजधानी के सबसे पुराने सांध्य दैनिक अग्रदूत के वरिष्ठ पत्रकार हैं, ने इस कालम की शुरुआत अक्टूबर सन 2000 में की। उन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य बनने वाला ही था । खेल पत्रकारिता और कई खेल में पारंगत विजय ने खबरगली को बताया कि कुछ दिनों पहले उनके मन में विचार आया कि अपनी छत्तीसगढ़ी बोली - बात में एक प्रयोग किया जाय । सांध्य दैनिक अग्रदूत के प्रधान संपादक स्व विष्णु सिन्हा जी की अनुमति से "गोठ झंगलू मंगलू " के शीर्षक के साथ कालम शुरू हुआ जो आज लगातार प्रकाशित होते- होते 23 साल का हो चुका है ।
श्री मिश्रा ने बताया कि सिन्हा जी के उत्साहवर्धन से सफर चलता रहा और अब प्रधान संपादक संजय सक्सेना जी के उत्साहवर्धन से झंगलू - मंगलू का सफर जारी है । यह कालम अमूमन प्रतिदिन प्रकाशित होता है वो भी प्रथम पृष्ठ पर ।
आम छत्तीसगढ़िया किरदार हैं झंगलू - मंगलू
विजय आगे बताते हैं कि झंगलू - मंगलू बिल्कुल आम छत्तीसगढ़िया किरदार हैं और समसामयिक विषयों पर अपनी प्रतिक्रिया अपने गांव के चौपाल पर बैठ कर अपने ही अंदाज में व्यक्त करते हैं । अंदाज तीखा जरुर होता होगा लेकिन यकीन मानिए किसी के प्रति दुर्भावना या दुराग्रह नहीं है । हालाँकि इस पर लोगों की अलग - अलग राय हो सकती है , सहमति के साथ असहमति भी होगी तथापि सभी का स्वागत है ।
व्यंग्य के अलावा भी ...
उन्होंने बताया कि लोग इसे व्यंग्य कालम कहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है । झंगलू - मंगलू की बातों में व्यंग्य के साथ - साथ कटाक्ष है , उलाहना है , ताना है , आक्रोश है , आक्षेप है , दुख है , खुशी है , हास्य है , चुहुलबाजी है , हंसी - ठिठोली है , मजाक है , दर्द है और देशप्रेम भी है । आलोचना है तो प्रशंसा भी है । ऐसा कोई दावा मेरी ओर से नहीं है कि यह छत्तीसगढ़ी कालम है । आम छत्तीसगढ़िया जिस प्रकार आपस में बातें करते हैं , झंगलू - मंगलू भी उसी तरह आपस में वार्तालाप करते हैं । अंग्रेजी , हिन्दी के साथ उर्दू के शब्दों का उपयोग भी बेधडक करते हैं ।
"गोठ झंगलू मंगलू " के चर्चित होने की यह वजह
"गोठ झंगलू मंगलू " कालम के चर्चित होने की बड़ी वजह है कि विजय मिश्रा हमेशा समसामयिक विषयों पर झंगलू मंगलू के द्वारा त्वरित टिप्पणी करते हैं जिसे लोग पसंद करते हैं। विजय इस कालम को तमाम सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर करते हैं और लोग उसे आगे बढ़ा देते हैं। खास कर छत्तीसगढ़ी भाषा को जानने- समझने वाले इसे बड़ी रुचि से पढ़ते हैं। इस कालम को पसंद करने वाले आम लोग से बड़े लोग भी रहे हैं । प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी "गोठ झंगलू मंगलू " को सोशल मीडिया में शेयर किया था। पिछले 23 सालों से लिखते- लिखते लगभग 8000 के करीब इसकी कड़ी लोगों के सामने आ चुकी है।
झंगलू के मन में बड़े प्रश्न रहते हैं मंगलू जिनका सटीक जवाब देता है
विजय द्वारा लिखे जा रहे इस कालम की एक खास बात यह है कि हमेशा भोला झंगलू ही जिसके मन में हालिया घटनाओं और खबरों को लेकर कोई प्रश्न रहता है जो वह मंगलू से पूछता है और मंगलू जो कि बड़ा जानकार है .. अपने हाजिर जवाब से झंगलू को लगभग संतुष्ट करने में कामयाब हो ही जाता है।
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