छत्तीसगढ़ की तीन लोक कला, संस्कृति व कलाकारों को बड़ा सम्मान

Teejan Bai, Sangeet Natak Akademi Fellowship, Mamta Chandrakar, Sangeet Natak Akademi Award, Khairagarh, Kashyap brothers, Ustad Bismillah Khan Youth Award 2020, Chhattisgarh, Khabargali

तीजन बाई को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, ममता चंद्राकर को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, खैरागढ़ के कश्यप बंधुओं को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 2020

नई दिल्ली (khabargali) राष्ट्रीय संगीत नृत्य और नाटक अकादमी नई दिल्ली की सामान्य परिषद ने पुरस्कारों की घोषणा की है। संगीत नाटक अकादमी ने देशभर से मिली प्रविष्टियों में से अलग-अलग श्रेणियों में 128 श्रेष्ठ कलाकारों और संगीत साधकों को पुरस्कारों के लिए चुना है। यह पुरस्कार 2019, 2020 और 2021 के लिए दिए जाएंगे। अलग-अलग राज्यों के 10 प्रख्यात कलाकारों को सूची में रखा गया है। छत्तीसगढ़ की लोक कला, संस्कृति व कलाकारों को भी बड़ा सम्मान मिला है। प्रदेश की दो बड़ी हस्तियों पद्मविभूषण तीजन बाई को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप के लिए चुना गया है। वहीं लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर को साल 2019 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। इनके अलावा साल 2020 के लिए हिंदुस्तानी वोकल संगीत के लिए खैरागढ़ के कश्यप बंधुओं डा. प्रभाकर और डा. दिवाकर कश्यप को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित करने की घोेषणा भी की गई है। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक विशेष अलंकरण समारोह में प्रदान किए जाएंगे।

संगीत नाटक अकादमी ने साल 2022 के लिए दस प्रतिभाओं को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप के लिए चुना हैं। अकादमी फेलो के सम्मान में तीन लाख रुपए की पुरस्कार राशि व अकादमी पुरस्कार में एक ताम्रपत्र एवं एक लाख रुपए की नकद राशि दी जाएगी। फेलोशिप पर अकादमी का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। इस वक्त देश मेें केवल 39 लोगों को यह फेलोशिप मिल रही है। अकादमी ने तीन सालों (2019, 2020 और 2021) के लिए अलग-अलग विधाओं में 128 लोगों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के चुना है।

डॉ. प्रभाकर कश्यप और डॉ. दिवाकर कश्यप संगीतकारों के परिवार में जन्मे हैं। कश्यप बंधुओं ने शुरुआती संगीत की शिक्षा अपने माता-पिता, पं. रामप्रकाश मिश्रा और मीरा मिश्रा से ग्रहण की हैं। बाद में दोनों को बनारस घराने के आचार्य पद्मभूषण पं. राजन मिश्रा और पं. साजन मिश्रा ने शिक्षा दी। दिवाकर कश्यप खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय मेें पढ़ाते भी हैं। ममता चंद्राकर वर्तमान में खैरागढ़ संगीत कला विश्वविद्यालय की कुलपति हैं। उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं तीजन बाई वर्तमान में भिलाई स्थित गनियारी में निवासरत है। तीजनबाई को पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।