छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी की राष्ट्रपति को चिट्ठी: CJI गवई की ‘भगवान विष्णु से प्रार्थना करो’ टिप्पणी पर माफी और इस्तीफे की मांग, हिंदू भावनाओं पर चोट का आरोप

Chhattisgarh Civil Society writes to President: Demands CJI Gavai's apology and resignation for his 'pray to Lord Vishnu' remark, alleges hurting Hindu sentiments; CJI Gavai's comment amounts to blasphemy and Hinduphobia: Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

CJI गवई की टिप्पणी ईशनिंदा और हिंदू फोबिया: डाॅ. कुलदीप सोलंकी

रायपुर (khabrgli) छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी ने माननीय राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री भूषण रामकृष्ण गवई की हालिया टिप्पणी पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है। संगठन ने आरोप लगाया है कि श्री गवई द्वारा सुनवाई के दौरान दिए गए बयान न केवल असंगत और पूर्वाग्रही थे, बल्कि सनातन धर्म का सीधा अपमान भी किया हैं। श्री गवई द्वारा सनातन धर्म के विरुद्ध की गई ईशनिंदा पर सोसायटी ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करके कार्रवाई की मांग की है।

संगठन के संयोजक डॉ. कुलदीप सोलंकी ने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में कहा है कि यह टिप्पणी श्री राकेश दलाल द्वारा भगवान विष्णु की प्रतिमा बहाली से संबंधित दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की गई थी। डॉ. सोलंकी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी विश्वभर में एक अरब से अधिक हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली है और इससे न्यायपालिका की पवित्रता एवं निष्पक्षता पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। पत्र में राष्ट्रपति से मांग की गई है कि मुख्य न्यायाधीश श्री गवई को तुरंत सार्वजनिक रूप से बिना शर्त क्षमा याचना करने का निर्देश दिया जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि उनकी टिप्पणियों से न्यायपालिका में जनता का विश्वास गहराई से प्रभावित हुआ है, इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से पदत्याग की सलाह दी जानी चाहिए।

डॉ. सोलंकी ने यह भी सुझाव दिया है कि चूँकि भगवान राम और कृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार हैं, ऐसे में यदि श्री गवई सनातन धर्म में आस्था नहीं रखते तो उन्हें अपने नाम से “रामकृष्ण” स्वयं हटा देना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि संगठन को राष्ट्रपति पद की गरिमा और निष्पक्षता पर पूरा भरोसा है और वे उम्मीद करते हैं कि माननीय राष्ट्रपति न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बनाए रखने और सनातनियों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा हेतु शीघ्र हस्तक्षेप करेंगे।

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