एनकाउंटर बलात्कारी सोच का हो !! टीवी व फिल्में फैला रही अश्लीलता.. मोबाइल पर पोर्न देखने की लत बढ़ी

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गंदी सोच का नतीजा.. पॉर्न वेबसाइट पर लोग सर्च कर रहे हैं हैदराबाद रेप विक्टिम का विडियो

मोबाइल, टेलीविजन और सिनेमा में अश्लीलता चरम पर

रायपुर (khabargali @ अजय सक्सेना ) उन लोगों के लिए यह बुरी खबर है जो अभी यहां यह पढ़ कर जानेगें कि उन्नाव रेप कांड की पीड़िता ने शुक्रवार की रात 11. 40 को अंतिम सांस ले ली.  उन्नाव केस के आरोपियों की राक्षसी हौसले की गंदी सोच थी कि बलात्कार पीड़िता जब अदालत जा रही थी, तभी बलात्कार के दो आरोपियों समेत पांच लोगों ने उसे कथित रूप से आग के हवाले कर दिया था. इस दौरान पीड़िता 90 प्रतिशत तक झुलस गई थी. अस्पताल में पीड़िता की हालत बहुत नाजुक थी और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था.वहीं यहां एक दूसरी बड़ी घटना का जिक्र करना जरूरी है जो हैदराबाद में पिछले दिनों घटी. शुक्रवार की सुबह डाक्टर युवती के रेप और मर्डर के आरोपियों को हैदराबाद पुलिस मौके-ए-वारदात में जांच के अह्म हिस्से के हिसाब से ले गई और उसके बाद जो उनके एनकाउंटर की घटना हुई जिसे देश की जनता न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया की तत्परता से जान गई. पूरी घटना पर लोगों की प्रतिक्रिया चौक- चौराहे से लेकर बेडरूम तक चली और चल ही रही है. लोगों का रेपिस्टों पर इतना गुस्सा है कि वे हुए इनकाउंटर को सही ठहरा रहे हैं और पुलिस की लगभग सभी लोग ताऱीफ ही कर रहे हैं. इस एनकाउंटर के बाद लोग दिल्ली में हुए जघन्य निर्भया कांड के दरिंदों के फांसी की सजा को लेकर देरी पर भी जम कर भड़ास निकाल रहे हैं. वहीं कुछ स्वार्थी लोग राजनीतिक और मजहबी चश्मा लगाए बयानबाजी कर रहे हैं. जबकि बलात्कार के आरोपियों को मजहब के चश्मे से देखा जाना कतई उचित नहीं है . बलात्कारी कहीं भी हो सकते हैं, किसी भी चेहरे के पीछे, किसी भी बाने में, किसी भी तेवर में, किसी भी सीरत में. बलात्कार एक प्रवृति है. अपराधी का कोई धर्म नहीं होता है. वह सिर्फ बच्चियों और युवतियों के प्रति एक गंदी सोच से भरा इंसान होता है.. बहरहाल अब जरूरी हो चला है कि खूब एनकांउटर हो और वह एनकाउंटर बलात्कारी गंदी सोच का हो..इतनी जोरों से विरोध की आवाज उठे जो केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के कानों तक जाए..और वे लगाम लगाएं टीवी,फिल्मों और मोबाइल पर ताकि अश्लीलता की सुनामी थमे और समाज में बच्चियों और महिलाओं के प्रति एक सम्मान का भाव जागे और बलात्कारी जैसी गंदी सोच का एनकाउंटर हो.

हैदराबाद की युवती का नाम पॉर्न वेबसाइट्स के टॉप ट्रेंडस में 

हवस और दरिंदगी की शिकार हुई तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ गैंग रेप के बाद हत्या और फिर लाश को जला देने की इस घटना ने देश को हिला कर रख दिया है. लेकिन इस बीच एक ऐसी खबर बेहद शर्मनाक और चौंकाने वाले आई कि गैंगरेप का शिकार बनी हैदराबाद की युवती का नाम पॉर्न वेबसाइट्स के टॉप ट्रेंडस में आ गया. कई इंटरनेट यूजर्स  ने इन वेबसाइट के ट्रेंड्स के स्क्रीनशॉट शेयर किए. जिनमें युवती के नाम को सबसे ऊपर ट्रेंड करता देखा गया. जानकारों का मानना है कि बड़ी संख्या में लोग ये वीडियो इन साइट्स पर सर्च कर रहे हैं साथ ही इस कीवर्ड के साथ कई फेक वीडियो भी अपलोड किए गए हैं, जिसके चलते ये इन साइट्स पर टॉप ट्रेंड में है. ट्विटर पर कई यूजर्स ने दावा किया है कि बीते 48 घंटों में इन साइट्स पर इस नाम से 80 लाख बार सर्च दर्ज की गई. रूस की मीडिया वेबसाइट 'रशिया टुडे' के मुताबिक एक बड़ी पॉर्न वेबसाइट के भारतीय  और पाकिस्तानी  दोनों ही वर्जन पर हैदराबाद गैंगरेप पीड़िता का नाम टॉप ट्रेंड्स में शामिल था. वेबसाइट के मुताबिक यह सप्ताह भर इस वेबसाइट पर टॉप ट्रेंड  बना रहा. इससे भारत के लोगों को बहुत ज्यादा बुरे अनुभव और शर्मिंदगी से गुजरना पड़ा. इसके बाद भारतीय लोगों ने इस वेबसाइट से पीड़ित युवती के नाम को हटाने की गुजारिश की. 

ट्रेंड में आने की वजह यह है

एक बड़ी पॉर्न वेबसाइट पर फेक वीडियो अपलोड  करने वाले लोगों ने हैदराबाद की पीड़ित युवती के नाम से कई वीडियो अपलोड किए हैं. साथ ही कई लोग इस नाम से पॉर्न वेबसाइट पर सर्च भी कर रहे हैं. जिसके चलते यह नाम सर्च रिजल्ट में ऊपर आ गया है. इससे सिर्फ संवेदनशील लोगों ही नहीं बल्कि मानवता को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. निर्भया कांड के 7 साल बाद फिर एक बार रेप जैसी घटनाओं को रोकने लिए कड़े कानून बनाने की बात कही जा रही है लेकिन भारत में रेप की घटनाओं के पीछे पोर्न वेबसाइट को बड़ा कारण माना जाता है. इन पोर्न वेबसाइट पर सरकार का ध्यान ही नहीं है. यह बेहद शर्मनाक है कि लोग एक तरह हाथ में मोमबत्ती लेकर सड़क पर नजर आते है तो दूसरी ओर रेप पीड़ित महिला के वीडियो को पॉर्न साइट पर देखना चाहते है. सरकार चाहे तो इन सब पर लगाम लगा सकती है.

भारत में पॉर्न एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है

पिछले कुछ सालों में पॉर्न एडिक्शन के चलते ही महिलाओं के प्रति अपराधों में तेजी से इजाफा हुआ है.अगर रेप की सभी घटनाओं को उठाकर देखे तो उसके पीछे अपराधियों की पॉर्न देखने की लत और शराब को बड़ा कारण पाया गया है चाहे वह पहले भोपाल में मासूम से रेप की घटना हो या अब हैदराबाद या रांची की घटना. इन सभी में अपराधियों ने पोनोग्राफी और शराब की लत के चलते अपराध को अंजाम दिया है.

पोनोग्राफी  बेहद खतरनाक- डॉ. आनंद दुबे

पोर्न को बेहद खतरनाक मानते हुए मनोचिकित्सक डॉ. आनंद दुबे कहते हैं कि आज इंटरनेट पर आसान से उपलब्ध होने वाली पोनोग्राफी रेप जैसे अपराधों को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा कारण साबित हो रही है. वह कहते हैं कि पोर्न की लत बच्चों और किशोरों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है और हमको सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा और अनिवार्य कर उसको तुरंत रोकना होगा वरना आने वाले समय की हम कल्पना भी नहीं कर सकते है.

 डॉ. आनंद दुबे बताते हैं कि आजकल पॉर्न एडिक्शन से पीड़ित लोग आते है जो गहरे डिप्रेशन का शिकार हो जाते है. बड़ी संख्या में युवा स्मार्ट फ़ोन पाते ही कुछ दिनों बाद ही पोर्न वेबसाइट पर सर्फिंग शुरू कर देते हैं , फिर उन्हें इस कदर लत लग जाती है कि पढाई- लिखाई छोड़ पूरे समय पोर्न देखने लगते हैं और फिर उनके अंदर कुंठा और निराशा का भाव घर कर जाता है. पोर्नोग्राफ़ी  उनके मनोवैज्ञानिक और शारीरिक विकास दोनों को प्रभावित करते है. उनकी एकाग्रता और याददाश्त में कमी आ जाती है.इसका सबसे खतरनाक प्रभाव ये हैं कि महिलाओं के प्रति व्यवहार आक्रामक हो जाता है और युवा अश्लील छींटाकशी करके के साथ साथ अपराध की ओर बढ़ जाते है. 


पोर्नोग्राफी के आंकड़े डराते है

भारत में पोर्नोग्राफी कितनी तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है इसको केवल इससे समझा जा सकता है कि 10
में से 8 युवा18 वर्ष की उम्र से पहले पोर्नोग्राफी देख लेते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक लगभग 80% युवा अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को साझा नहीं करते है. वहीं 15 से 19 साल की उम्र में पोर्न एडिक्ट होने की सबसे अधिक सम्भावना रहती है.

मोबाइल,टेलीविजन और सिनेमा में अश्लीलता पर होड़

इंटरनेट पर नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसी वेबसीरिज पर पहले ही अश्लीलता की बाढ़ आ चुकी है. मोबाइल पर वाटसअप पर धडल्ले से पोर्न क्लीपिंग का आदान-प्रदान हो रहा है. किसा भी व्यक्ति का मोबाईल इससे बचा नही है. कई व्हाट्सएप ग्रुप में सदस्य रोजाना हजारों पोर्न क्लीपिंग डाल रहे हैं जिन्हे चोरी- छिपे देख- देख कर अपनी विपरीत लिंग के प्रति बेहद घटिया सोच को बढ़ावा दे रहे हैं. टेलीविजन की बात करें तो बिग बॉस जैसा कार्यक्रम अश्लीलता और गंदगी का हर हद पार कर चुका है. सरकार को ऐसे घटिया प्रोग्रामों पर रोक लगनी चाहिये. समझ नहीं आता सरकार ऐसे प्रोग्रामों को टीवी पर दिखाने की हरी झंडी कैसे देती है ? एक समय था जब टीवी पर रामायण, महाभारत, चाणाक्य, महाराणा प्रताप, उड़ान जैसे सीरियल दिखाए जाते थे और आज बिग बॉस, रोडिज या सास बहु के झगड़े दिखाकर देश की युवा जनरेशन की मानसिकता को सड़ाया जा रहा है. बड़ी विडम्बना है कि हमारे देश का मिडिया ऐसे भौंडे घटिया प्रोग्रामों को टीआरपी देने का काम करता है. फिल्मों की बात की जाए तो ऐसे अश्लील संवाद, ऐसे अश्लील सीन और ऐसे अश्लील गाने देखने- सुनने के बाद बच्चे और नौजवानों की मानसिकता का बलात्कारी चेहरा स्वस्फूर्त तैयार हो ही रहा है. भारतीय फिल्में आरंभ से ही एक सीमा तक भारतीय समाज का आईना रही हैं जो समाज की गतिविधियों को रेखांकित करती आई हैं. फिल्मों से सामाजिक सरोकारों के प्रतिबिंब होने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन सिनेमा का मौजूदा दौर तमाम वर्जनाएं लांघ रहा है.  

खबरगली की अपील

सोचिऐ हम किस ओर जा रहे है..? इस लेख को आगे प्रेषित (Forward ) करें ताकि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों तक आवाज जाए और वे इन पर ध्यान दें. किसी तरह इस घिनौने षडयंत्र पर रोक लगे. हमारी सनातन संस्कृति को विकृत होने से रोका जा सके.. देश में अमन- चैन का वातावरण बने. लोग अपनी बेटियों और बहनों की सुरक्षा को लेकर जो इन दिनों बेहद डरे हुए थोड़ा राहत की सांस ले सकें.
तब तक खबरगली का यह जनजागरूकता का अभियान भी जारी रहेगा...

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