कल्याण का एक ही उपाय है सत्संग : स्वामी राघवाचार्य

Satsang is the only solution for welfare: Swami Raghavacharya, Raipur, Khabargali, Bhagwat Mahapuran week is going on in the Mahamaya temple premises of the capital

रायपुर (खबरगली)राजधानी के महामाया मंदिर प्रांगण में चल रहे भागवत महापुराण सप्ताह में कथा के चौथे दिन व्यास पीठ से स्वामी राघवाचार्य ने बताया कि कल्याण का एक ही उपाय है सत्संग। जब भगवान की विशेष कृपा होती है तो जीव को सत्संग का सौभाग्य प्राप्त होता है। संस्कृति चक्र में जीव के भ्रमण को देखकर अपने कर्मों के स्वरूप विविध योनियों में दुख पाते हुए देखकर भगवान के हृदय में जब करुणा उत्पन्न होती है, तो भगवान ऐसी कृपा करते हैं कि उस जीव को सत्संग मिले। और सत्संग में आकर वो भगवान की महिमा को सुनकर संसार की असारता को सुनकर, सार तत्व भगवान हैं, इस बात को समझकर भगवान का अनुगत होकर भगवत शरणागत हो, भक्ति के पथ पर चल पडे़ और परम कल्याण का प्राप्त करे। यही भगवान की परम कृपा है।

बिना सत्संग के, बिना भगवान की कथा के भगवत तत्व को कोई जान नहीं सकता। इसलिए वेद भगवान ने कहा- पहले सुनने का अभ्यास करो। सुनने का अभ्यास अगर कर लिया तो आगे सबकुछ हो जाएगा। और यही व्यक्ति से नहीं हो पाता। चार घंटे बैठकर दत्तचित्त होकर, सावधान होकर ध्यानपूर्वक एक-एक शब्दों को हम श्रवण करें और विचार करें यही श्रवण विधि है। श्रवण भक्ति है। भगवान की कथा में अनुराग उत्पन्न हो जाए तो भक्ति जीवन में आ गई। देवर्षि नारद ने कहा- भगवान की कथा में प्रीति उत्पन्न हो जाए यही भक्ति है। यह किसका मत है, तो कहते हैं- देवर्षि गर्ग का। महर्षि गर्ग कहते हैं भगवान की कथा में प्रीति हो जाए यही भक्ति है। कथा में प्रीति होना यह बड़ी उपलब्धि है जीवन की। फिर तो आगे सबकुछ जीव को प्राप्त हो जाता है।

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