कोरोना के ओमीक्रॉन या डेल्टा वेरिएंट से डरने की जरुरत नहीं: डॉ अग्रवाल

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मौजूदा हालातों के मद्देनजर यह लेख आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है..जरूर पढ़ें

रायपुर (khabargali) गरियाबंद शासकीय अस्पताल में पदस्थ डॉ महावीर प्रसाद अग्रवाल MBBS MD (मेडिसिन)ने ख़बरगली के पाठकों के लिए कोरोना के नए स्वरूप ओमीक्रॉन या डेल्टा वेरिएंट को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इन दिनों कई लोगों को हल्का सर्दी बुखार या मामुली वायरल से भी उनके मन मे उधल-पुथल है कही मुझको ओमिक्रोन या डेल्टा वाला कोविड तो नही हुआ है.. और ये डर बेचैनी स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार बनाने के लिये काफ़ी हैं। इसलिये पुनः हम सभी को पुरानी बाते कभी नही भुलानी चाहिए। ये सभी हमें कोविड से मिले अनुभव ही है।

बेवजह भीड़ भाड़ वाली जगह जाने से बचना है।

मास्क और दो गज की दूरी का हमेशा ध्यान रखना होगा।

बार बार साबुन से हाथ धोने की आदत खुद के साथ साथ घर के बच्चों और बुजुर्गो को भी “सीख देनी” होंगी।

सभी को जो भी 15 साल से अधिक आयु के है उन्हें वैक्सीन की दो खुराक जरूर दी जानी हैं इसके लिये बच्चों के माता पिता को आगे आना चाहिए ।

 किसी प्रकार के भय या अफवाह में नहीं आना चाहिए। क्योंकि ये सभी हमारे विद्वान वैज्ञनिकों और वरिष्ठ चिकित्सकों के लम्बें अनुसंधान और सोच समझ पर आधारित हैं। इसे हल्के में ना ले और दुसरो को भी इसकी अहमियत बताये। जो भी शुगर ब्लड प्रेशर थाइरॉइड कैंसर किडनी के मरीज या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो उन्हे विशेष करके ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि यह बात सभी को समझ लेना है और अपने आस पास लोगों को समझाना भी हैं यह कोविड जिंदगी भर हमारे साथ रहेगा और ये कही जाने वाला नही है। क्योकि इसके पहले भी और भी कई वायरल बीमारिया हुई है और लोग इससे बीमार पड़कर ठीक भी हुए हैं लेकिन वो बीमारी आज भी हमे देखने में मिलती हैं लेकिन पहले के मुकाबले बहुत कम मिलती हैं। ठीक इसी तरह कोविड भी है जिसे हम सभी को इसके लिए सजग रहना हैं। और अपने दिनचर्या को इसके अनुरूप ढाल लेने की जरूरत हैं।

जैसे की आप सभी को पता हैं इसके पहले स्वाइन फ्लू, साँर्स, और बर्ड-फ्लू, H1N1जैसी गंभीर बीमारियों ने पूरे विश्व के लोगो के श्वासन तंत्र की गंभीर समस्या उत्पन्न कर पूरे विश्व को संकट में डाला था l लेकिन ये सभी बीमारी अब उतनी नही रही जितना एक समय हुआ करती थी ठीक ये ही कोविड के साथ भी हैं। लेकिन ये सभी बीमारियों इनके बचाव और इलाज़ के लिए विश्व के वैज्ञानिकों और चिकित्सको को बहुत कुछ सिखा गयी है। इसलिये यह पता करने की जरूरत नही की कौन सा वैरिएंट वाला कोविड है। क्योकि समय मौसम और भौगोलिक बदलाव से इनके जीन मे भी परिवर्तन (म्यूटेशन) होता है। जिससे ये पहले से मौजुद या पुराने जांच मे आसानी से पकड़ मे नहीं आते लेकिन इनके इलाज में ज्यादा बदलाव नहीं आता एक जैसा ही रहता है। इसलिए इनसे मिलते लक्षण यदि किसी को हैं तो “जल्दी जांच, जल्दी इलाज” ही इससे निपटने का सही तरीका है।

वैरिएंट के प्रकार की जानकारी सामान्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आवश्यक है। दवाइयों का असर, टीके का असर, फैलने की क्षमता, मारक क्षमता आदि, पर आम जनता को कोई किस वैरिएंट से बीमार हुआ, ये जानकारी उतनी महत्व नही रखती। आप कितने बीमार है, आपको किस स्तर की मेडिकल सेवा लगेगी, ऑक्सीजन या एडमिशन लगेगा, ये महत्वपूर्ण होता है, न कि वैरिएंट का प्रकार।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि आपको भयभीत होने की भी जरूरत नहीं हैं क्योकि जब 2019 के अंतिम समय मे जब कोविड ने चीन के साथ पुरे विश्व में अपने पैर पसारे थे। तब कोविड नाम मात्र से ही भय का माहौल था जबकि उस समय हमारे पास इसके इलाज के लिए ना दवाई और ना ही वैक्सीन था साथ अनुभव की कमी थी। जबकि आज ठीक इसके विपरित ये सभी दवाईयों और वैक्सीन के साथ साथ कोविड पहले से भी बहुत कुछ अनुभव दे गया है। ठीक इसी तरह डेंगू के भी 4 प्रकार होते है (डेंगू 1,2,3,4) और HIV के 1,2 पर आप कभी परेशान नही होते की मरीज को कौन सा डेंगू है या HIV क्योंकि आपको पता नही की इसके भी प्रकार होते है। आज के मोबाइल व्हाट्सएप और इंटरनेट नेटवर्क के कारण सभी को जानकारी आसानी से उपलब्ध हो तो जाती हैं। चाहे वो आपके महत्व की हो या नही, तो वैरिएंट के चक्कर और डर से निकले।

कोविड वापस पुनः पिछले 10 दिनों से अपने आस पास बढ़ रहा है, इस बार कपकपी के साथ बुखार, कमजोरी, सर्दी-खांसी ये लक्षण थोड़े ज्यादा दिख रहे हैं। तो ऐसे लक्षण होने पर कोविड जांच करवा लें, साथ ही ध्यान रहे कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आये या नेगेटिव, या इसके प्रकार ये ज्यादा महत्व नहीं रखते क्यूंकि ये नियमित जीन में हो रहे बदलाव से ये वायरस जल्द पकड़ मे नहीं आ पाते। इस तरह हम नेगटिव रिपोर्ट के कारण बिना किसी इलाज के अपनी स्थिति और बिगाड़ लेते हैं। इसलिये ऑक्सीजन लेवल नियमित अंतराल में 94% से कम आ रहा है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र मे संपर्क करे और अस्पताल में भर्ती हो। घर मे ऑक्सीजन लगा कर मरीज को अति गंभीर स्थिति में पहुंचने का इंतजार न करे। सभी को भर्ती की आवश्यकता नही है, अतः अभी से जिनको जरूरत है, वही भर्ती हो, बाकी डॉक्टर से सलाह ले और घर मे दवाइयां और सबसे महत्वपूर्ण “आराम” करे और स्वास्थ्य सिस्टम को सुचारू रूप से काम करने में मदद करे।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि घबराए नहीं, तीसरी लहर अगर आती भी है, तो पहली और दूसरी लहर से सीखे सबक और बहुतों के वैक्सीन के दोनों डोज की खुराक की मदद से आप और हम इससे आसानी से निपट सकते है। बस घबराए नहीं, जांच से नही डरे, आगे से आकर जांच करवाएं, वैक्सीन की दोनों डोज लगवाए। फेक, अपुष्ट और संदिग्ध मैसेज आगे न बढ़ाएं। पॉजिटिव सोच रखे और समाज और सोशल मीडिया में सकारात्मकता बनाये रखे । इस तरह हम कोरोना के किसी भी लहर से अपनी और समाज की रक्षा कर सकते हैं।