
सरकार ने इसे लेकर राजपत्र में भी प्रकाशन कर दिया है
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ में मतांतरण के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने एक योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में संवाद किया जाएगा और इसके माध्यम से समस्या का समाधान किया जाएगा और छत्तीसगढ़ में सांप्रदायिका फैलाने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी।छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे लेकर राजपत्र में भी प्रकाशन कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें पुलिस को कभी भी गिरफ्तारी का अधिकार होगा। पकड़े गए आरोपी को एक साल तक हिरासत में रखा जा सकेगा और जमानत भी मुश्किल होगी। रासुका की धारा-तीन-2 से मिले शक्तियों का प्रयोग जिला कलेक्टर और मजिस्ट्रेट एक जनवरी से 31 मार्च 2023 तक की अवधि में कर सकते हैं। दरअसल गृह विभाग को नारायणपुर हिंसा के बाद प्रदेश के 31 जिलों से साजिश के इनपुट मिले हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री व विधायक करेंगे बैठक
छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी समाज के प्रमुखों व ग्रामीणों के साथ बैठक करेंगे। ये बैठक गांव से लेकर जिला स्तर तक आयोजित की जाएगी, जहां आदिवासी समाज के प्रमुखों व ग्रामीणों के साथ बातचीत कर समस्या पर चर्चा होगी। इस अभियान की मानीटरिंग मुख्यमंत्री सचिवालय से की जाएगी।
सचिव स्तर के अधिकारी रखेंगे पैनी नजर
साथ ही सचिव स्तर के अधिकारी हर एक गतिविधियों पर नजर रखेंगे। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार ने सांप्रदायिकता भड़काने वालों पर एक्शन लेने का निर्देश दिया है। सरकार ने माहौल बिगाड़ने वालों पर रासुका लगाने का अधिकार कलेक्टरों को दिया है। सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ा कर रहा है या आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है। कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
आदिवासियों के बीच हुआ था विवाद
बता दें कि साल के पहले दिन एक जनवरी को नारायणपुर में आदिवासियों और मतांतरित आदिवासियों के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद ही राज्य सरकार ने इस मुद्दे को लेकर पहल की शुरुआत की है। ताकि राज्य में आदिवासियों के बीच किसी भी तरह का विवाद न हो। उल्लेखनीय है कि राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने है। ऐसे में सरकार आदिवासी वोटरों को अपने पाले में रखने के लिए मतांतरण विवाद से बचने का रास्ता तलाश रही है।
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