
बदली परिपाटी .. वरिष्ठ सदस्यों ने कहा- ऐसी परिस्थिति दुबारा न आए
जानिए अपर कलेक्टर एवं निर्वाचन अधिकारी ने क्या-क्या नियम तय किए
रायपुर (khabargali) राजधानी के रायपुर प्रेस क्लब के इतिहास में इस बार पहली बार प्रशासनिक नियम-कानून के साथ चुनाव होने जा रहे हैं। दरअसल क्लब के लंबित चुनाव का मामला कोर्ट में जाने के बाद रजिस्ट्रार फर्म्स एवं संस्थाएं तथा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश पर अपर कलेक्टर एवं निर्वाचन अधिकारी बी सी साहू चुनाव करवा रहे हैं।
बीते शनिवार को उन्होंने कलेक्टोरेट में प्रत्याशियों की बैठक लेने के पश्चात रायपुर प्रेस क्लब परिसर का भ्रमण कर 17 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान सहायक निर्वाचन अधिकारी राकेश देवांगन भी साथ थे। कलेक्टोरेट के कक्ष क्रमांक 09 में आयोजित बैठक रायपुर प्रेस क्लब चुनाव में प्रत्याशियों को निर्वाचन अधिकारी ने निर्वाचन के दौरान तय निम्नलिखित नियमो की जानकारी दी।
इन नियमों का पालन करना होगा
1. प्रेस क्लब परिसर के सौ मीटर के दायरे में प्रचार सामग्री लगाने की अनुमति नही होगी।
2. मतदान के दिन प्रेस क्लब परिसर में केवल सदस्य मतदाता प्रवेश करेंगे ।
3. सदस्य मतदान के पश्चात परिसर से बाहर रहेंगे।
4. मतदान के लिए दो बूथ की व्यवस्था प्रेस क्लब भवन में होगी जिसमे एक में सरल क्रमांक 400 और दूसरे में बाकी सरल क्रमांक के मतदाता वोट डालेंगे।
5. मतदान के दौरान मोबाइल पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा।
6. मानद सदस्यो को कतार में नही लगना पड़ेगा उन्हें पहले वोट डालने की सुविधा रहेगी।
7. सदस्य को अपना आईडी प्रूफ दिखाना होगा। ये भी पहली बार होगा- इस बार प्रत्याशियों के नाम के सामने उनकी तस्वीर भी होगी। हर पद का अलग बैलेट पेपर होगा।
पहले क्या होता था..
64 वर्षीय इस प्रेस क्लब में पहले निर्विरोध चुनाव हुए करते थे। फिर अखबारों के सम्पादक चुनाव अधिकारी बनते थे जिनमें स्व. सत्येंद्र गुमाश्ता, स्व. रम्मू श्रीवास्तव, स्व. कुमार साहू आदि जैसे सम्मानीय नाम रहे। फिर वरिष्ठ पत्रकार श्री आसिफ इकबाल, श्री शंकर पांडेय और श्री कौशल किशोर मिश्र ने भी कई चुनाव संपन्न करवाए । चुनाव के दौरान टीम वर्क के चलते कुछ पत्रकार पर्यवेक्षक भी तय किए जाते थे और वे कुशलता से अपनी भूमिका का निर्वहन भी करते थे। फर्म्स एवं संस्थाओं के नियमानुसार पूरी चुनावी प्रकिया होती थी। मतदान के बाद बंद कमरे में प्रत्याशियों की मौजूदगी में पारदर्शिता के साथ मतों की दो बार गिनती होती थी और परिणाम घोषित होता था। अब तक यहाँ का चुनाव हमेशा सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न होता आया है।
अब क्या होगा...
अब प्रशासन इस चुनाव को अपने नियम-कानून के हिसाब से कराने की भूमिका में आ गया है। अब अन्य चुनावों की तरह यहाँ भी सुरक्षा कर्मी के रूप में पुलिस नजर आएगी। कुछ वर्षों से प्रेस क्लब का परिसर बैनर और पोस्टरों से पट जाया करता था, वो नजारा नहीं दिखेगा। सारे उम्मीदवार और उनके समर्थक वोट डालने आने वाले सदस्यों को अपने पक्ष में मनुहार करते मतदान कक्ष तक जाते थे। परिसर में सदस्यों के अलावा उनके खास परिचित भी आ पाते थे। मतदान के दौरान मोबाइल प्रतिबंधित नहीं होता था। मतदान के पहले और बाद में सदस्य परिसर में ही कुछ देर रुक अन्य सदस्यों से मेलजोल करते थे, तमाम विषयों में चर्चा करते थे, हंसी-मजाक करते थे। पत्रकार सदस्यों का एक अच्छा मेल-मिलाप हो जाता था। क्योंकि व्यस्त नौकरी के चलते अधिकांश कई-कई दिनों के बाद मिलते थे। अब यह शायद यह सब नहीं हो पायेगा। इन परिस्थितियों को देखते हुए कुछ वरिष्ठ सदस्यों का यह कहना है कि पत्रकारों के चुनाव का मामला प्रशासन निपटाए ये दुःखद हालात हैं , सदस्यों को तय करना चाहिए कि ऐसी परिस्थिति दुबारा न आए।

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