रायपुर सेंट्रल जेल में फिर गैंगवार, एक गंभीर...जेल प्रशासन की भूमिका पर लगा प्रश्नचिन्ह

Raipur Central Jail

जेल में आरोपियों ने स्टील के गिलास को काटकर बनाया था हथियार

रायपुर (khabargali) रायपुर केन्द्रीय जेल  से फिर एक बार गैंगवार का मामला सामने आया है। राजधानी में कई गंभीर मामलों में जेल में बंद रक्सेल गैंग के गुर्गों और रफीक गैंग के गुर्गों के बीच पुरानी रंजिश के चलते आज खूनी गैंगवार की जानकारी सामने आई है।

जेल प्रबंधन पूरे मामले की जांच कर रही है वही घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रायपुर जेल में बंद रक्सैल गैंग व रफीक गेंग के गुर्गों के बीच गिलास को काटकर चाकूनुमा हथियार बना आपस में एक दूसरे के साथ जमकर मारपीट किए जाने की सूचना सामने आई है।

सूचना के अनुसार रक्सैल और उसके गुंडों ने रफीक और उसके गुर्गों के ऊपर हमला कर दिया। जिसके चलते रफीक नाम के युवक को गंभीर चोंटें आई है। घायल बंदियों का अस्पताल के जेल वार्ड में इलाज जारी है। बताया जा रहा है कि बैरक नंबर 1 और 3 में रफीक  गैंग और बैरक नंबर 2 में रक्सेल गैंग के गुर्गे बंद हैं। दोनों गुटों में मारपीट हुई जिसमें रफीक नाम के युवक को मामूली चोंटें आई है। घायल का इलाज जेल अस्पताल में चल रहा है। बताया जा रहा है कि बैरक नंबर 1 और 3 में रफीक गैंग और बैरक नंबर 2  में रक्सेल गैंग के गुर्गे बंद हैं। इधर इस मामले में केन्द्रीय जेल और डीजी प्रभारी केके गुप्ता ने इस पूरी घटना से ही इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने जेल में आए दिन कैदियों के बीच झड़प होने की बात स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। जेल में भीड़ होने के कारण अक्सर कैदियों के बीच में झड़प होती रहती है। कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

गैंगवार ने फिर जेल प्रशासन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया

रायपुर की सेंट्रल जेल में हुए गैंगवार ने एक बार फिर जेल प्रशासन प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।  इस गैंगवार ने इस बात को भी साबित कर दिया है कि राजधानी में  अगर अपराधियों में  पुलिस की दहशत होती तो अपराधी जेल में सजा पाते हुए भी अपराध नहीं करते। जेल के अंदर का गैंगवार यह दर्शा रहा है कि पूरा मामला वर्चस्व का है। अब इस वर्चस्व का मतलब आसानी से समझा जा सकता है। जेल के अंदर जिस तरह से दो गुट भिड़े, उसने जेल की सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है। इस घटना से यह भी साबित हो रहा है कि अपराधियों में जेल जाने का अब कोई डर नहीं रहा। 
 जेल से छूटे कैदी जैसे सूत्रों के मुताबिक जेल के अंदर रसूखदार अपराधियों को सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध है। जेल के अंदर बड़े पहुंच वाले अपराधियों का अपना जुगाड़ है,  उनको वहां किसी प्रकार की तकलीफ  नहीं है।  जेल के अंदर मोबाइल मिलने की घटना अब कोई नई बात नहीं है। मोबाइल जैमर की बात करें तो जेल के अंदर का जैमर जेल के अंदर कम जेल के बाहर ज्यादा काम करता है। अंबेडकर अस्पताल के मरीजों ने हमेशा यह शिकायत की है।  बहरहाल इस वारदात ने यह तो बता दिया है कि जेल भी अब लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। जबकि जेल के अंदर अधिकांश मजबूर, गरीब, हालात के मारे लोग बंद हैं जो इन रसूखदार कैदी के आतंक के बीच डरे- सहमे रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक जेल के अंदर कैदी जितना मालामाल होता है उसे उतना ही खाने- पीने- सोने- नहाने- धोने और दूसरे आराम सुलभ हो जाते हैं। लंबे समय से सूत्रों से जानकारी खबरनवीसों को मिलती रहती है कि जेल में पैसे और दूसरे 'कीमती' सामान जो वहां सजा भोग रहे कैदियों की जरूरत या तलब रहती है थोड़ी बहुत सैटिंग से आसानी से उपलब्ध हो जाती है। अब जब प्रदेश की तस्वीर बदलने की बात हो रही है तो लाजिमी है कि चिंता भी भी उन्ही की है और जिम्मेदारी भी।

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