सावधान !! फर्जी कस्टमर केयर से भरा है इंटरनेट.. वरना आप भी ऐसे ठगे जाएंगे

 khabaragalee saibar kraim elart raayapur (khabargali) haal mein hee raajadhaanee kee ek inteeriyar dijainar onalain thagee kee shikaar ho gaeen. unhonne tyohaar par onalain shoping sait se dres mangavaayee theen. nishchit samay par dres nahin pahunchee to unhonne kastamar keyar mein kol kiya. unhen ek link bheja gaya. us link ko kholate hee dijainar ke khaate se 2.30 laakh nikal gae. is tarah kee thagee ke hajaaron  maamale saamane aa rahe hain phir bhee log satarkata nahin barat rahe hain.   thag ne unhen

खबरगली साइबर क्राइम एलर्ट

रायपुर (khabargali) हाल में ही राजधानी की एक इंटीरियर डिजाइनर ऑनलाइन ठगी की शिकार हो गईं। उन्होंने त्योहार पर ऑनलाइन शॉपिंग साइट से ड्रेस मंगवायी थीं। निश्चित समय पर ड्रेस नहीं पहुंची तो उन्होंने कस्टमर केयर में कॉल किया। उन्हें एक लिंक भेजा गया। उस लिंक को खोलते ही डिजाइनर के खाते से 2.30 लाख निकल गए। इस तरह की ठगी के हजारों  मामले सामने आ रहे हैं फिर भी लोग सतर्कता नहीं बरत रहे हैं। 

ठग ने उन्हें सिर्फ 22 रुपए भुगतान करने को कहा था

डिजाइनर के मोबाइल पर ट्रांजेक्शन का मैसेज आया। मैसेज देखकर वे चौंक गईं, क्योंकि ठग ने उन्हें सिर्फ 22 रुपए भुगतान करने को कहा था, लेकिन उनके खाते से 1.40 लाख निकाल गया। उन्होंने  अपना खाता और एटीएम कार्ड ब्लॉक कराया। पुलिस में भी शिकायत की। हैरानी की बात है कि खाता ब्लॉक कराने के बाद भी खाते से 90 हजार निकाल लिया गया। गंज पुलिस और साइबर सेल की टीम जांच में जुटी है। 

खाता ब्लॉक कराने की प्रक्रिया पर ही सवाल  

डिजाइनर सबसे ज्यादा इस बात से हैरान है कि खाता ब्लॉक कराने के बाद भी खाते से 90 हजार कैसे निकाल लिया गया। यह बैंक खाता ब्लॉक कराने की प्रक्रिया पर सावल उठा ही रहा है।   

ये हैं मामला

पुलिस के मुताबिक स्टेशन रोड की 24 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर ने 21 अक्टूबर को ऑनलाइन शॉपिंग साइट शेन इंडिया में एक ड्रेस पसंद की। उन्होंने ऑन लाइन ही ऑर्डर दे दिया, 27 तारीख को ड्रेस उनके घर पहुंचाने का सौदा हुआ। पर ड्रेस नहीं पहुंची। पार्सल नहीं आया तो उन्होंने इंटरनेट में कंपनी की साइट खोली। उसमें से कस्टमर केयर नंबर निकालकर कॉल किया। और ठगी का सिलसिला निकल पड़ा।

पुलिस का कहना है

पुलिस का मानना है कि ठगों ने कंपनी की जगह अपना नंबर अपलोड कर दिया था। उन्होंने इंटीरियर डिजाइनर को उनका पैसा वापस करने झांसा दिया और एक लिंक भेजा। उसमें 22 रुपए पेमेंट करने को कहा गया। उन्होंने जैसे ही लिंक को खोला और जानकारी अपलोड की। उसके बाद खाते से दो किश्त में पैसा निकल गया। वे मामला समझ गईं। उन्होंने बैंक के कस्टमर केयर में कॉल कर कार्ड और खाते को ब्लॉक कराया। उनके पास कार्ड और खाता होल्ड कराने का मैसेज आया। दूसरे दिन उन्होंने पुलिस में शिकायत की। इसी बीच फिर 90 हजार निकलने का मैसेज आया। उनके खाते से पूरे पैसे निकाल लिए गए। पुलिस जांच कर रही है कि ब्लॉक करने के बाद भी उनके खाते से पैसे कैसे निकले हैं। 

लिंक से हैक करते है मोबाइल और खाता 

पुलिस ने बताया कि जालसाज ठगी के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मदद ले रहे हैं। वे ऐसे एडवांस फर्जी लिंक बना रहे हैं, जिसमें कुछ भी अपलोड करने पर डाटा ठग के पास पहुंच जाता है। उससे वे मोबाइल और खाता दोनों हैक करते हैं। इस तकनीक से ओटीपी नंबर भी ठग के पास पहुंच जाता है। उसे उन्हें पूछने की जरूरत नहीं होती। ठगी के शिकार लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगती।

वेबसाइट पर हाई प्रोफाइल कंपनियों के फर्जी कस्टमर केयर का नंबर अपलोड करते हैं शातिर ठग

शातिर ठग अब नए-नए तरीकों से लोगों के बैंक खातों से रुपये ऐंठने में लगे हुए हैं। शातिरों ने ठगी करने का नया ट्रेंड अपना लिया है। ठग अब वेबसाइट पर हाई प्रोफाइल कंपनियों के कस्टमर केयर का नंबर अपलोड कर जरूरतमंद लोगों के बैंक खातों से रुपये उड़ा रहे हैं, जिसकी शिकायत दिन-प्रतिदिन साइबर सेल में लगातार बढ़ती जा रही है। हर वर्ष ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं।  विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराध की बढ़ती वजह कुल आबादी में 95 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्ट मोबाइल फोन होना और सतर्कता और जावकारी का न होना है।

जालसाज कस्टमर से बैंकिंग जानकारी मांगते हैं और...

जालसाजों ने इस फर्जीवाड़े के लिए फर्जी वेबसाइट बनाई है. इस वेबसाइट पर असली कंपिनयों के फर्जी नंबर दिए गए हैं. लोग इन नंबरों को असली समझकर फोन करते हैं. जालसाज भी असली कस्टमर केयर की तरह बात करता है. कॉल पर आप उसे असली प्रतिनिधि समझकर सारी समस्या बता देते हैं. जालसाज समस्या को हल करने के लिए कस्टमर से बैंकिंग जानकारी मांगता है. आपके जानकारी देते ही वह आपके बैंक अकाउंट से पैसे साफ कर जाता है और आपको ठगी का पता ठगे जाने के बाद होता है.

एक्सपर्ट की ये है राय

जानकार बताते हैं कि ऐसी घटनाएं उन कंपनियों के कस्टमर्स के साथ ज्यादा होती हैं जो सिर्फ ऐप के जरिये ही अपनी सेवाएं देती हैं. ज्यादातर ऐप बेस्ड कंपनियों का कस्टमर केयर नंबर नहीं होता है, जिससे लोगों को संपर्क करने के लिए उन्हें चैट या मेल करना होता है. लेकिन जानकारी की कमी के कारण लोग उनका कस्टमर केयर नंबर तलाशते हैं और जालसाजों के चंगुल में फंस जाते हैं. 


साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं

परेशान और हैरान करने वाली बात यह भी है कि आरबीआई भी खुद मानता है कि ऐसी घटनाएं देश में लगातार बढ़ती ही जा रही है, जिसका खुलासा आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में किया है. इसके मुताबिक, साल 2017-18 में साइबर फ्रॉड के कुल 2,069 मामले सामने आए. इन मामलों में कुल 109.5 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ है. वहीं, 2016-17 में बैंकों में साइबर फ्रॉड के कुल 1,372 मामले सामने आए हैं. इन मामलों में कुल 42 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ.

एटीएम कार्ड बदलने के नाम पर निकाले रुपये

एक व्यापारी ने करीब दो माह पहले पुराने एटीएम कार्ड को बदलने के लिए बैंक में अप्लाई किया था। कई दिनों तक कोई जवाब नहीं मिलने पर पीडि़त ने बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल किया। फोन रिसीव करने वाले ने एप्लीकेशन नंबर और एटीएम से संबंधित जानकारी ली। यह जानकारी बताते ही पीडि़त के खाते से दो बार में करीब 42 हजार रुपये कट गए।

जोमैटो के नाम पर ठगी 

एक घटना में एक छात्रा ने जोमैटो से ऑर्डर कर खाना मंगवाया था। छात्रा ने इसका ऑनलाइन पेमेंट किया था। डिलीवरी ब्वॉय के जाने के बाद छात्रा को पता चला कि खाना खराब है। पीडि़ता ने गूगल पर सर्च कर जोमैटो कंपनी का कस्टमर केयर सर्च किया। फोन रिसीव करने वाले ने पीडि़ता ने पूरी जानकारी ली और कहा कि आप वह मोबाइल नंबर बताइए, जो बैंक खाते से लिंक है। पीडि़ता छात्रा ने वह नंबर बता दिया। इसके कुछ देर बाद ही खाते से रुपये कटने शुरू हो गए। करीब 11 मिनट के अंदर पीडि़ता के खाते से करीब 80 हजार रुपये निकाल लिए गए। 

बैंक के कस्टमर केयर पर ठगी

एक प्राइवेट कंपनी का खाता एक्सिस बैंक में है। कुछ दिन पहले उसने बैंक के कस्टमर केयर पर फोन किया। कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर सर्च करके लिया था। कस्टमर केयर पर फोन करने वाले ने सीवीवी और ओटीपी के बारे में जानकारी ली, जिसके थोड़ी देर बाद खाते से 35 हजार रुपये निकाल लिए गए। बाद में पता चला कि यह नंबर पर एक्सिस बैंक के कस्टमर केयर का है ही नहीं। तब जाकर पीडि़त को ठगी का पता चला।