विधायक विश्राम गृह बनेगा एमबीबीएस छात्रों के लिए हॉस्टल, स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र

MLA rest house will be converted into a hostel for MBBS students, letter written to the health minister Chhattisgarh news hindi news latest news khabargali

रायपुर (khabargali) पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के छात्रों के लिए हॉस्टल नहीं है। नया हॉस्टल भी नहीं बना है। इसलिए कॉलेज के डीन ने टैगोर नगर स्थित विधायक विश्राम गृह को हॉस्टल बनाने की मांग कर दी है। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को पत्र भी लिखा है। यही नहीं, वार्डन की टीम ने विधायक विश्राम गृह का निरीक्षण भी कर लिया है। दूसरी ओर, छात्राओं के हॉस्टल के लिए अभी भी जगह की तलाश की जा रही है। अगस्त में एडमिशन शुरू हो जाएगा। ऐसे में छात्र-छात्राओं को देवेंद्रनगर स्थित मकानों में महंगे के किराए में रहना पड़ेगा।

नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 230 सीटें हैं, लेकिन प्रथम वर्ष के 150 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को हॉस्टल की जरूरत पड़ती है। पुराने हॉस्टल को तोड़कर नया बनाया जा रहा है, लेकिन यह भी अधूरा है। कॉलेज प्रबंधन पिछले साल से सर्वसुविधायुक्त मकान खोज रहा है, लेकिन मिल नहीं रहा है। डीन फुंडहर में कामकाजी महिलाओं के लिए बने हॉस्टल को देखने भी गए थे, लेकिन वहां एक भी कमरा खाली नहीं होने से प्रबंधन को निराशा हाथ लगी।

देवेंद्रनगर के आसपास भी होस्टल की तलाश किया गया, लेकिन नहीं मिला। अभी एक छात्र एक किराए के कमरे के लिए 5 से 8 हजार रुपए तक चुका रहा है। विधायक विश्राम गृह अगर मिल जाएगा तो वहां से कॉलेज आने-जाने के लिए बस की व्यवस्था की जाएगी। यही नहीं, सिक्योरिटी व वार्डन की व्यवस्था भी की जाएगी।

ताकता रह गया कॉलेज, तहसील कार्यालय शिफ्ट

पुराने स्वास्थ्य संचालनालय कार्यालय को हॉस्टल बनाने की योजना थी,लेकिन यहां पर तहसील कार्यालय शिफ्ट हो चुका है। नया भवन कब तैयार होगा और तहसील कार्यालय कब शिफ्ट होगा, इसका इंतजार करना होगा। तब तक हॉस्टल के लिए नए भवन की तलाश करनी होगी। डीएमई कार्यालय दो साल पहले नवा रायपुर शिफ्ट हुआ था। वहीं, आयुष्मान भारत योजना का स्टेट नोडल एजेंसी कार्यालय भी सालभर पहले नवा रायपुर चला गया है।

इस कार्यालय में 20 के आसपास बड़े कमरे हैं, जो छात्रों के रहने के लिए पर्याप्त बताया जा रहा है। जब डीएमई कार्यालय शिफ्ट हुआ, तब इसे होस्टल बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह अधूरी ही रह गई। वर्तमान में इस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में पैरामेडिकल कोर्स के डायरेक्टर व प्रथम तल पर नर्सिंग काउंसिल रजिस्ट्रार का कार्यालय है। इन दोनों कार्यालयों को आसपास शिफ्ट कर हॉस्टल बनाने की योजना थी।

जरूरतमंद छात्रों को भारी पड़ रहा किराया, नए हॉस्टल का इंतजार

मेडिकल कॉलेज कैंपस में दो पुराने कंडम हॉस्टल को तोड़कर नया बनाया जा रहा है। इसके पूरा बनने में अभी समय है। ये होस्टल 100-100 सीटर हैं। इसके कारण एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को देवेंद्रनगर में महंगे में किराए में रहना पड़ रहा है। एमबीबीएस कोर्स में कई जरूरतमंद व गरीब छात्र भी प्रवेश लेते हैं। हॉस्टल नहीं होने से उन्हें किराया महंगा पड़ रहा है। हॉस्टल नहीं होने से उनके पैरेंट्स भी परेशान हैं। कॉलेज में एमबीबीएस की 230 सीटें हैं। प्रबंधन के अनुसार, हर साल 60 से 70 फीसदी यानी 138 से 150 छात्रों को हॉस्टल की जरूरत पड़ती है।
 

Category