अमरीका की नई वीजा पॉलिसी ने भारतीयों की चिंता बढ़ाई, कारोबार पर संकट

America's new visa policy raises concerns among Indians, threatens business

रायपुर (खबरगली) अमरीका की नई वीजा पॉलिसी में एचवन-बी वीजा नवीनीकरण और नए आवेदन पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त भुगतान अनिवार्य किए जाने से भारतीय समुदाय में चिंता है। ट्रंप प्रशासन के इस बदलाव से न केवल भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पेशेवर बल्कि भारतीय कंपनियां भी प्रभावित होंगी।

छोटे-मझोले कारोबार पर संकट

एक कंपनी की सीईओ मीनल मिश्रा ने कहा, यह नियम भारतीय प्रवासियों और कंपनियों पर सीधा असर डालेगा। खासकर छोटे और मंझोले संस्थान यदि बजट बाधा का सामना करेंगे तो एचवन-बी कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो सकती है। इसका असर भारत और अमरीका दोनों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

इस नियम को वापस लिया जाएगा

शिकागो स्थित सूचना प्रौद्योगिकी विश्लेषक (आईटी एनॉलिस्ट) नमिता कैस्ता ने कहा, अमरीका में रह रहे करीब 7 लाख भारतीय इस नियम से चिंतित हैं। कंपनियों को 1 लाख डॉलर अतिरिक्त देना होगा। जिससे भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होगी और बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंका है। हमें उम्मीद है कि इस नियम को वापस लिया जाएगा।

अदालत का रुख कर सकती हैं कंपनियां

अमरीका में कार्यरत रायपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर मनीष सिंह ने कहा, नई वीजा पॉलिसी से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले भारतीय युवाओं पर सीधा असर पड़ेगा। अमरीकी कंपनियां भारतीय प्रतिभा पर लंबे समय से निर्भर रही हैं। यदि पॉलिसी ज्यादा कठोर हुई तो इससे कंपनियों को भी दिक्कत होगी और भारतीय पेशेवरों के अवसर सीमित हो सकते हैं।

चूंकि एचवन-बी वीजा अमरीकी संसद द्वारा कानून से बना है, इसलिए राष्ट्रपति को इसमें प्रतिकूल बदलाव करने का अधिकार नहीं है। इस आदेश के खिलाफ कई कंपनियां अदालत का रुख कर सकती हैं। प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में भारतीय युवाओं को अपनी क्षमता और कौशल और मजबूत करना होगा। बदलावों के बावजूद प्रतिभाशाली युवाओं के लिए रास्ते हमेशा बने रहेंगे। युवाओं को अब स्वदेश में और अमरीका के अलावा अन्य देशों में अवसर तलाशने होंगे।

भय की स्थिति, बजट की समीक्षा होगी

शिकागो में फार्मा इंडस्ट्री में सप्लाई चेन के सीनियर मैनेजर दंतेवाड़ा निवासी गणेश कर ने कहा, बड़ी कंपनियां जैसे गूगल, अमेजन या भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां उच्च वेतन पर प्रतिभाशाली युवाओं को लाती हैं। अब यदि 1 लाख डॉलर अतिरिक्त देना पड़े तो कंपनियां स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देंगी। यह नियम भारतीय पेशेवरों के लिए चिंता की बात है। कंपनियां अपने बजट की समीक्षा करेंगी और छंटनी की आशंका बढ़ जाएगी। अभी ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि डिटेल आनी बाकी है।

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