रायपुर(khabargali) आरक्षण को लेकर राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के दस सवाल पर सियासत तेज हो गई है। इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है, राज्यपाल के सवाल पूरी तरह से राजनीतिक हैं। उन्होंने विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर न होने काे भाजपा का षड्यंत्र भी बताया है। आरक्षण के संशोधन विधेयक काे लेकर लगातार सियासी जंग हो रही है। इस मामले में लगातार भाजपा और कांग्रेस के बयान आ रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल के भी इस मामले में लगातार बयान सामने आ रहे हैं।
एक दिन पहले राज्यपाल ने आरक्षण के मामले में दस सवाल दागे हैं। इसकाे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन द्वारा विभागों से जानकारी मांगने को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि कोई भी विभाग विधानसभा से बड़ा नहीं हो सकता है वहीं सीएम भूपेश बघेल ने विधेयक में देरी को भाजपा का षड्यंत्र बताया है। सीएम ने कहा, भाजपा नहीं चाहती कि आदिवासियों को आरक्षण मिले।
राज्यपाल के सवाल भाजपा के बयानाें की तरहः चाैबे
वहीं संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, जैसा बयान भाजपा के नेता दे रहे हैं, वैसे ही प्रश्नों को राजभवन से सरकार को भेजा गया है, जो बिल्कुल भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा, राज्यपाल को सारा अधिकार है वह हमारी संवैधानिक प्रमुख हैं। सदन में हमने सर्वानुमति से विधेयक पारित किया है। जैसा बयान डॉ. रमन या भाजपा नेता दे रहे हैं, उसी प्रकार के प्रश्नों को राजभवन सरकार को प्रेषित करता है, यह उचित नहीं। अगर विधेयक लौटाना है तो बिंदुओं के साथ लौटाना चाहिए। विधेयक पर पुनर्विचार कराना है तो विधानसभा को लौटाया जाना चाहिए।
मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, राज्यपाल राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से मार्गदर्शन ले सकती हैं। हमारी मांग है, जो विधेयक विशेष सत्र में पारित किया गया उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए। राजभवन को जितनी जानकारी देनी चाहिए सभी जानकारियां दे दी गई है। न्यायालय में कौन सा मामला ठहर सकता है, इसके बारे में राज्यपाल को कौन जवाब दे सकता है। न्यायालय, राजभवन और राज्य सरकार की अपनी सीमाएं हैं। न्यायालय में हम किस तरह अपना पक्ष रखेंगे यह पूछना लाजमी नहीं है।
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